यूपी निकाय चुनाव: नंबर 1 होकर भी बीजेपी को मिलीं महज 18 फीसदी सीट
यूपी के नगर निकाय चुनाव में सभी नतीजे आ चुके हैं और चौंकाने वाला तथ्य ये है कि बीजेपी को कुल सीटों का महज 18 फीसदी सीटें मिली हैं। हालांकि राजनीतिक दलों में वह नम्बर वन बनकर जरूर उभरी है। निर्दलीय उम्मीदवारों ने 60 प्रतिशत सीटों पर कब्जा जमाया है। महापौर की 2 सीटें बीएसपी ने जरूर जीतीं, लेकिन कुल मिलाकर समाजवादी पार्टी दूसरे नम्बर की पार्टी बनकर उभरी है। जबकि, बीएसपी तीसरे और कांग्रेस चौथे नम्बर पर है। निर्दलीयों का जादू जहां नहीं चला, वह है महापौर का चुनाव। यहां बीजेपी ने 16 में से 14 सीटें जीतकर अपना दबदबा दिखलाया है। जबकि बीएसपी नेदो सीटों पर अपना कब्जा जमाया। समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के खाते में कोई सीट नहीं गयी।
60 फीसदी से ज्यादा सीटें निर्दलीयों ने जीती
यूपी के 75 जिलों के 652 निकायों में महापौर, नगर पंचायत अध्यक्ष, नगरपालिका परिषद अध्यक्ष, नगर निगम परिषद, नगर पंचायत सदस्य, नगरपालिका अध्यक्ष, नगरपालिका सदस्य की 12, 647 सीटों के लिए चुनाव हुए, जिनमें निर्दलीयों को 7,661 सीटें मिलीं। इसका मतलब ये है कि 60 फीसदी से ज्यादा सीटें निर्दलीयों ने जीत लीं। राजनीतिक दलों में सबसे आगे बीजेपी रही, जिसे 2296 सीटें मिलीं। बीजेपी राजनीतिक दलों में नम्बर वन होकर भी 18 फीसदी सीटें ही पा सकी। दूसरे नम्बर की राजनीतिक पार्टी समाजवादी पार्टी रही, जिन्हें महापौर की एक भी सीट भले नहीं मिली हो, लेकिन कुल 1260 सीटें उसके खाते में आयीं। बीएसपी को महापौर की 2 सीटों समेत 703 सीटें और कांग्रेस को 420 सीटों से संतोष करना पड़ा। इन चार प्रमुख पार्टियों ने कुल मिलाकर 4679 सीटें अपनी झोली में डालीं, जो कुल 36 फीसदी सीटें होती हैं। अन्य के खाते में 4 फीसदी से थोड़ी कम सीटें गयी हैं।
नगर पंचायत सदस्य : राजनीतिक दलों को नहीं मिलीं 30 फीसदी सीट भी
यूपी में 5434 नगर पंचायत सदस्यों के लिए हुए चुनाव में वोटरों ने राजनीतिक दलों को नकार दिया। 3875 सीटें निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीतीं, जबकि सभी राजनीतिक दलों को मिलीं सीटें अगर जोड़ भी लें तो यह संख्या होती है 1533 जो कुल सीटों का 30 फीसदी भी नहीं है। राजनीतिक दलों में सबसे ज्यादा सीटें पाने वाली पार्टी का नाम लें तो वह बीजेपी है जिसे 664 सीटें मिली हैं यानी कुल सीट का 13 फीसदी से भी कम है। समाजवादी पार्टी 453, बीएसपी को 218, कांग्रेस 126, आम आदमी पार्टी 19, राष्ट्रीय लोकदल 34 सीटें हासिल करने में कामयाब रही।
नगरपालिका चुनाव: राजनीतिक दलों को महज 35 फीसदी सीटें
सिर्फ नगर पंचायत सदस्य ही नहीं नगरपालिका सदस्यों के चुनाव में भी जनता ने राजनीतिक दलों को नकार दिया। 5261 सीटों में एक को छोड़कर सभी नतीजे आ चुके हैं। यहां 3380 सीटें निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीती। अगर सभी राजनीतिक दलों को मिली सीटों को जोड़ते हैं तो उन्हें मिलती है 1858 सीटें जो कुल सीट का 35.32 प्रतिशत है। इसका अर्थ ये है कि निर्दलीयों को दो तिहाई सीटें मिलीं। बीजेपी ने महज 922 सीटें हासिल कीं, जो राजनीतिक दलों में सबसे ज्यादा है। बीजेपी को 17.5 फीसदी सीटें मिली हैं। समाजवादी पार्टी को लगभग बीजेपी की आधी यानी 477, बीएसपी को 262, कांग्रेस को 158, आम आदमी पार्टी को 17, सीपीआई को 7 सीटें मिली हैं।
नगर पंचायत अध्यक्ष : बीजेपी को 23%, निर्दलीयों को 32% सीटें
नगर पंचायत अध्यक्ष की 438 सीटों में बीजेपी को महज 100 सीटें मिलीं, जबकि निर्दलीयों ने 182 सीटों पर जीत हासिल की। सभी राजनीतिक दलों को मिलाकर देखा जाए, तो उन्हें 254 सीटें मिलीं, जो कुल सीटों का 58 फीसदी है। बीजेपी को मिली सीटें कुल सीटों का 23 फीसदी भी नहीं है। नगर पंचायत अध्यक्ष की 83 सीटें समाजवादी पार्टी को, बीएसपी को 45 और कांग्रेस को 17 सीटें मिली हैं।
नगर
परिषद
अध्यक्ष
:
बीजेपी
ने
निर्दलीयों
को
दी
मात
नगरपालिका
परिषद
अध्यक्ष
के
लिए
198
सीटों
पर
चुनाव
हुए।
बीजेपी
को
सबसे
ज्यादा
70
सीटें
मिलीं,
जो
कुल
सीट
की
35.35
फीसदी
है।
समाजवादी
पार्टी
को
45,
बीएसपी
को
29
और
कांग्रेस
को
9
सीटें
मिलीं।
निर्दलीयों
का
आंकड़ा
43
रहा।
नगर निगम परिषद में ही निर्दलीयों से आगे रही बीजेपी
नगर निगम परिषद की 1300 सीटों में से एक को छोड़कर सभी नतीजे आ चुके हैं। यहां बीजेपी को 596 सीटें मिली हैं यानी 45.84 फीसदी। यहां निर्दलीयों के खाते में 224 सीटें आयीं और वह बीजेपी के बाद दूसरे नम्बर पर हैं। बाकी दलो में समाजवादी पार्टी 202, बीएसपी 147, कांग्रेस 110 सीटें हासिल कर सकीं।
यूपी के नगर निकाय चुनाव के परिणाम बताते हैं कि राजनीतिक दलों के प्रति मतदाताओं का उत्साह घटा है। उन्होंने अपनी पहली पसंद निर्दलीयों को बनाया है। निर्दलीयों के मुकाबले राजनीतिक दलों में पसंद बनी बीजेपी बहुत पीछे है। इसलिए बीजेपी, एसपी, बीएसपी और कांग्रेस एक-दूसरे से आगे-पीछे रहने की राजनीति चाहे जितने करें, लेकिन सच ये है कि ये सभी दल निर्दलीयों से हार गये हैं।
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