देवरिया विधानसभा उपचुनाव: जीतेगा त्रिपाठी, चुनाव चिन्ह कोई हो
नई दिल्ली। देवरिया सदर विधानसभा सीट हॉट और उपचुनाव रोचक हो गया है। यह महज संयोग नहीं है कि ब्राह्मण बहुल इस सीट पर सभी चार प्रमुख राजनीतिक दलों ने जो उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं वो सभी त्रिपाठी यानी ब्राहमण हैं। जबकि पिछले चार विधान सभा चुनावों में यहाँ से पिछड़ी जाति के उम्मीदवार ही जीतते आए हैं। लेकिन इस बार गणित बदला गया है। जब सभी प्रमुख दलों के प्रत्याशी के नाम के आगे त्रिपाठी लगा हो तो लोग भी चुटकी लेने लगे हैं कि चाहे जिस दल का प्रत्याशी जीते, जीतेगा त्रिपाठी ही। देवरिया सदर सीट पर भाजपा से डॉ सत्यप्रकाश मणि त्रिपाठी, सपा से ब्रह्माशंकर त्रिपाठी, बसपा से अभयनाथ त्रिपाठी और कांग्रेस से मुकुंद भास्कर मणि त्रिपाठी मैदान में हैं। लेकिन असली मुकाबला बीजेपी और सपा के बीच माना जा रहा है।
इन चारों त्रिपाठी प्रत्याशियों में सबसे अनुभवी
इन चारों त्रिपाठी प्रत्याशियों में सबसे अनुभवी सपा के ब्रहमाशंकर त्रिपाठी हैं। वो पांच बार विधायक और दो बार सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। हालांकि देवरिया सदर सीट से पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं। राजनीति की उनकी कर्मभूमि सदर से मात्र 30 किलोमीटर दूर है इसलिए सदर पर भी उनकी राजनितिक पकड़ अच्छी है। ब्रह्माशंकर त्रिपाठी चार बार कसया और एक बार कुशीनगर से विधायक रह चुके हैं। बसपा के उम्मीदवार अभयनाथ त्रिपाठी ने 2017 के विधानसभा चुनाव में सदर से अपनी किस्मत आजमाई थी लेकिन तीसरे नंबर पर रहे थे। कांग्रेस के मुकुंद भास्कर त्रिपाठी और भाजपा के डॉ. सत्य प्रकाश मणि त्रिपाठी दोनों नए चेहरे हैं।
बीजेपी के डॉ.सत्यप्रकाश मणि
बीजेपी के डॉ.सत्यप्रकाश मणि पीएचडी हैं और स्थानीय संत विनोबा डिग्री कॉलेज में राजनीति शास्त्र पढ़ाते हैं। डॉ. सत्य प्रकाश मणि त्रिपाठी ब्लॉक प्रमुख व जिला पंचायत सदस्य रह चुके हैं। भाजपा के अलग-अलग प्रकोष्ठों में अहम जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। डॉ. के पीछे सत्तारूढ़ दल की चमक और ताकत भी है। बीजेपी ने सबसे अंत में देवरिया सदर सीट का प्रत्याशी काफी सोच विचार के घोषित किया। इससे अंदाज लगाया जा सकता है कि पार्टी आला कमान के लिए यह सीट कितनी महत्वपूर्ण है। बीजेपी या सीट किसी कीमत पर खोना नहीं चाहती। हालांकि डॉ. सत्यप्रकाश मणि त्रिपाठी को टिकट दिए जाने से इस सीट से विधायक रहे जन्मेजय सिंह के पुत्र अजय सिंह उर्फ़ पिंटूअपनी दावेदारी पक्की मान रहे थे। लेकिन टिकट कटने से नाराज होकर पिंटू सिंह ने फिलहाल बगावती तेवर दिखाते हुए 16 अक्टूबर को नामांकन भी कर दिया।
ये खिलाड़ी चुनावी मैदान में
अजय सिंह उर्फ़ पिंटू सिंह का कहना है कि पहले वह एक पार्टी की और से नामांकन करने वाले थे लेकिन तकनीकी कारण और कार्यकर्ताओं की राय के बाद निर्दल प्रत्याशी के रूप में लड़ने का निर्णय लिया है। वह निर्दल प्रत्याशी के रूप में ही भाजपा से आरपार की लड़ाई लड़ेंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने उनके साथ विश्वासघात किया है। पिता स्वर्गीय जन्मेजय सिंह के सपनों को साकार करने के लिए चुनाव मैदान में उतरे हैं। अजय सिंह ने भारतीय जनता पार्टी पर पिछड़ों की उपेक्षा करने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि पार्टी के बड़े नेताओं ने आश्वाेसन देने के बाद भी उनका टिकट काट दिया। पिण्टू सिंह ने कहा कि पिता जी की तेरहवीं में आये पार्टी के बड़े जिम्मेदार नेताओं ने उनसे चुनाव की तैयारी के लिए कहा था और टिकट के लिए आश्वस्त किया था। उसके बाद अचानक टिकट काट दिया गया। भारतीय जनता पार्टी ने पिछड़ों की उपेक्षा की है, जिसका खामियाजा उसे भुगतना पड़ेगा। वह अपने निर्णय से पीछे नहीं हटेंगे। उधर भाजपा के जिलाध्यक्ष अंतर्यामी सिंह ने कहा अजय कुमार सिंह पिंटू भाजपा के निष्ठावान कार्यकर्ता हैं, कुछ नाराजगी है, उनको मना लिया जाएगा। उम्मीद की जा रही है कि आला कमान उन्हें समझा-बुझा कर शांत कर देगा। पिंटू सिंह अगर नहीं मानते तो पिछड़ी जाति का होने के नाते बीजेपी प्रत्याशी के लिए सर दर्द बन सकते हैं।
कांग्रेस प्रत्याशी मुकुंद भास्कर मणि त्रिपाठी
कांग्रेस प्रत्याशी मुकुंद भास्कर मणि त्रिपाठी इस सीट पर नया चेहरा हैं लेकिन पहले से ही पार्टी में अंदरूनी कलह का सामना कर रहे हैं। पिछले हफ्ते टिकट पर चर्चा के दौरान बैठक में थप्पड़बाजी हो चुकी हैं। पार्टी नेता तारा यादव और समर्थकों के खिलाफ कार्रवाई हुई। बसपा ने सबसे पहले देवरिया से अभयनाथ त्रिपाठी को टिकट देने की घोषणा की। उसके बाद अन्य पार्टियों को भी ब्राह्मण प्रत्याशी उतारने पड़े लेकिन 2017 के विधान सभा चुनाव में अभयनाथ त्रिपाठी कुछ ख़ास नहीं कर पाए थे। वाह सपा के बाद तीसरे नंबर पर रहे थे।
सदर विधानसभा उपचुनाव में प्रमुख प्रत्याशी
भाजपा- डॉ सत्य प्रकाश मणि त्रिपाठी
सपा- ब्रह्माशंकर त्रिपाठी
बसपा- अभयनाथ त्रिपाठी
कांग्रेस- मुकुंद भास्कर मणि त्रिपाठी
निर्दल- अजय उर्फ़ पिंटू सिंह