योगी आदित्यनाथ की 17 रैलियों पर भारी पड़ गई अखिलेश की सिर्फ 2 रैली
लखनऊ। यूपी उपचुनाव में भाजपा की हार की वजह से प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की काफी किरकिरी हो रही है। दरअसल योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर व फूलपुर में एक दो नहीं बल्कि एक दर्जन से अधिक रैलियां की थी, बावजूद इसके वह अपनी संसदीय सीट को बचा नहीं पाए और यहां सपा के उम्मीदवार ने भाजपा को हार का मुंह दिखाया है। यह हार इसलिए भी योगी आदित्यनाथ के लिए शर्मनाक है क्योंकि वह यहां खुद पांच बार लगातार सांसद रहे हैं और पिछले एक साल से वह प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। ऐसे में जिस तरह से योगी के गढ़ में सपा ने उन्हें हार का मुंह दिखाया है उसने पार्टी को बड़ा झटका दिया है।
तमाम रैलियां व कार्यकर्ता सम्मेलन व्यर्थ
फूलपुर और गोरखपुर में योगी आदित्यनाथ ने कुल 17 रैलियों को संबोधित किया था, वहीं सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सिर्फ 2 रैलियों को संबोधित किया था। यही नहीं गोरखपुर में चार कार्यकर्ता सम्मेलन भी हुए थे। गोरखपुर में पार्टी ने चुनाव की घोषणा होने से पहले ही लोगों के घर-घर पहुंचने का अभियान शुरू कर दिया था. यहां तमाम मंत्रियों, नेताओं और कार्यकर्ताओं ने डेरा डाल रखा था, बावजूद इसके भाजपा को यहां हार का सामना करना पड़ा है। खुद अमित शाह ने निर्देश दिया था कि जबतक प्रचार थम नहीं जाता है वह यहां से बाहर नहीं जाएं।
पूरी फौज लगी थी फूलपुर और गोरखपुर में
गोरखपुर में योगी आदित्यनाथ ने 12 जनसभाएं की थी, जबकि फूलपुर में उन्होंने 5 रैलियां की थी। यही नहीं गोरखपुर में चारों कार्यकर्ता सम्मेलन में योगी आदित्यनाथ मौजूद थे। उन्होंने इस चुनाव में कोई भी कोर कसर नहीं छोड़ी थी, बावजूद इसके वह अपने संसदीय क्षेत्र को नहीं बचा सके। गोरखपुर में भाजपा के 14 मंत्री, 8 सांसद, 10 विधायक जुटे थे। जिसमे कैबिनेट मंत्री धर्मपाल सिंह, सूर्य प्रताप शाही, स्वामी प्रसाद मौर्या, दारा सिंह चौहान, अनुपमा जयसवाल और सिद्धार्थनाथ सिंह भी शामिल हैं।
रंग लाया अखिलेश का जादू
वहीं अखिलेश यादव ने गोरखपुर और फूलपुर में सिर्फ एक रैली की थी साथ ही फूलपुर में एक रोड शो किया था। भाजपा सूत्रों का कहना है कि तमाम भाजपा नेता प्रचार करने के लिए गए लेकिन वह जीत को लेकर इतने आश्वस्त थे कि वह घर-घर जाने वाले अभियान में नहीं शामिल हुए। वहीं बसपा के कोआर्डिनेटर्स ने घर-घर जाकर मायावती का संदेश लोगों तक पहुंचाया। सपा के एक नेता ने बताया कि शीर्ष नेतृत्व को भी इस बात की उम्मीद नहीं थी कि वह दोनों सीटों पर जीत जाएगी।
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