UP By-election:कितना चला राहुल-प्रियंका का 'हाथ'रस कार्ड, कांग्रेस की इन सभी सीटों पर जमानतें जब्त
लखनऊ- प्रियंका गांधी वाड्रा की अगुवाई में पिछले कुछ महीनों में कांग्रेस ने यूपी में कानून-व्यवस्था को बहुत बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश की थी। योगी सरकार को निशाने पर रखकर वह बार-बार इसे 'जंगलराज' बताना चाहती थीं। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने हाथरस कांड को देशव्यापी मुद्दा बना दिया। करीब एक हफ्ते तक राष्ट्रीय चैनलों के पूरे नन-प्राइम टाइम और प्राइम टाइम पर यही मामला छाया रहा। अखबारों के लखनऊ से लेकर तिरुवनंतपुरम तक के एडिशन में इसे प्राथमिकता मिली। लेकिन, यूपी में सात सीटों के जो नतीजे आए हैं, उससे लगता है कि कांग्रेस भाजपा सरकार के खिलाफ अपने आक्रामक तेवरों से वोटरों को संतुष्ट कर पाने में पूरी तरह से नाकाम साबित हुई है।
Recommended Video
यूपी की जिन 7 विधानसभा सीटों पर अभी चुनाव हुए थे, उनमें से कांग्रेस ने 6 सीटों पर अपना उम्मीदवार उतारा था। उसके 4 उम्मीदवारों की जमानतें जब्त हो गई हैं। कुछ को तो 2 फीसदी या 1 फीसदी के आसपास वोट मिले हैं। पड़ोसी राज्य बिहार में भी कांग्रेस को इतनी ही सीटों पर जमानतें गंवानी पड़ी हैं। गुजरात और मध्य प्रदेश बडे़ उदाहरण हैं कि कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा चुनाव जीतने वाले विधायक ही इस्तीफा देकर उपचुनाव में भाजपा से चुनाव जीत गए हैं। शायद यही वजह है कि 10 तारीख को बिहार चुनाव और कई राज्यों के उपचुनाव में मिली कामयाबी से गदगद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीजेपी मुख्यालय में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कांग्रेस पर तंज कसा कि जो लोग नहीं समझते हैं कि चुनाव विकास के मुद्दे पर लड़े जाते हैं, वह कई राज्यों में जमानतें भी नहीं बचा पा रहे हैं।
चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक यूपी की बुलंदशहर, मल्हनी, नौगांवा सादात और देवरिया सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवार अपनी जमानतें भी नहीं बचा पाए। मल्हनी में तो उसे सिर्फ 1.39% वोट ही मिले हैं। वहीं नौगांवा सादात में 2.2 फीसदी और देवरिया में 2.1 फीसदी वोट से संतोष करना पड़ा है। बुलंदशहर में पार्टी को 5.1 फीसदी वोट हासिल हुए हैं। कांग्रेस के लिए सोचने की बात ये है कि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और प्रियंका के खासमखास नेता अजय कुमार लल्लू जिस तमकुहीराज विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं, वह देवरिया लोकसभा सीट के अंदर ही आता है। इसी तरह बिहार के चैनपुर, पारू, नालंदा और हरनौत में भी पार्टी जमानत नहीं बचा सकी।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा था कि 'कुछ लोग कहते हैं कि बैंक अकाउंट, गैस कनेक्शन, घर, अच्छी सड़कें, रेलवे स्टेशन, रिवर ब्रिज और इंटरनेट कनेक्टिविटी चुनावों में मायने नहीं रखते हैं। लेकिन, लोग उन्हें बता रहे हैं कि यही असल मुद्दे हैं।' यूपी भाजपा के सचिव चंद्रमोहन कहते हैं कि कांग्रेस के पास प्रदेश का कोई ऐसा नेता नहीं है, जो राज्य को समझता हो। पार्टी सिर्फ प्रतिकात्मक सक्रियता दिखाने में शामिल रहती है। जबकि, प्रियंका गांधी वाड्रा ट्विटर और सोशल मीडिया पर ऐक्टिव हैं। उनके मुताबिक, 'भाजपा के पास एक मजबूत संगठन है और पार्टी ने बहुत ही निष्ठा से चुनाव लड़ा है। प्रियंका गांधी को प्रचार से किसने रोका था, जब मुख्यमंत्री और बीजेपी के बड़े नेता चुनाव प्रचार कर रहे थे।'
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष लल्लू ने कहा है कि, 'ये सही है कि 6 में से 3 सीटों पर हमें बहुत ही कम वोट मिले हैं, लेकिन हम बेहतर करने की कोशिश कर रहे हैं और दो पर हम दूसरे नंबर पर आए हैं, जबकि सपा चौथे पर रही है.....नौगांवा सादात में हम 20 साल से चुनाव नहीं लड़े हैं। हम अपने प्रदर्शन को लेकर गंभीर हैं।' यूपी में 3 नवंबर को 7 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए थे, जिनमें से 6 पर भाजपा और एक पर समाजवादी पार्टी जीती है।
इसे भी पढ़ें- बिहार चुनाव: LJP अगर NDA का हिस्सा होती तो RJD-Congress को मिलती कितनी सीट,जानिए