PICs: चाचा की पिटाई और लड़की के प्यार ने बना दिया चिंचू को टॉपर
हमेशा मुझे आगे बढ़ने की प्रेरणा देती रही वो मेरे लिए बहुत लकी है। जब वो मेरी जिंदगी में आई तभी मुझे पहली नौकरी नवोदय में मिली।
वाराणसी। लोक सेवा आयोग छत्तीसगढ़ सयाहक प्राध्यापक [PSC CG] 2016 के एग्जाम में चोलापुर इमिलिया गांव के ज्ञानेंद्र कुमार सिंह ने असिटेंट प्रोफेसर की परीक्षा के हिंदी विषय में टॉप किया है। 12 जुलाई 2017 को रिजल्ट आउट हुआ है। गांव में लोगों को जब पता चला तो बधाई देने वालों का तांता लग गया। प्रेजेंट टाइम ज्ञानेंद्र अरुणांचल प्रदेश के पूर्वी कामेंग के नवोदय विद्यालय में हिंदी प्रवक्ता के पद पर हैं। OneIndia से उन्होंने इंटरव्यू में पूछे गए सवालों के साथ, सफलता का राज भी बताया।
लड़की के प्यार में अंधा नहीं टॉपर हुआ चिंचू
डांट और प्यार की मिसाल बन गया चिंचू
चाचा की डांट से गुस्सा नहीं प्रोत्साहित हुआ चिंचू
इंटरव्यू में पूछे गए प्रश्न
प्रश्न
-
आप
यूपी
के
हैं
तो
छत्तीसगढ़
कमीशन
से
क्यों
अप्लाई
किए?
उत्तर
-
यूपी
सरकार
ने
कमीशन
की
हर
नियुक्ति
पर
रोक
लगा
रखी
है,
इसलिए।
प्रश्न
-
यूपी
गवर्मेंट
कमीशन
की
सीबीआई
जांच
कब
करवा
रही
है?
उत्तर
-
उसके
बारे
में
शासन
स्तर
पर
विचार
चल
रहा
है।
प्रश्न
-
यूपी
लोक
सेवा
आयोग
में
जातिवाद
और
पैसे
की
धांधली
किस
प्रकार
की
जाती
है।
उत्तर
-
इंटरनली
नहीं
बता
सकता,
समाचार
पत्रों
से
जितनी
जानकारी
आप
को
है
उतनी
ही
मुझे
भी
है।
प्रश्न
-
शैली
विज्ञान
से
आप
क्या
समझते
है?
उत्तर
-
यह
भाषा
के
अध्ययन
की
एक
विधि
है,
जिससे
हम
यह
देखते
है
कि
एक
ही
विषय
पर
लेखन
अलग-अलग
क्यों
हो
जाता
है।
प्रश्न
-
नई
कहानी
और
पुरानी
कहानी
में
क्या
अंतर
है?
उत्तर
-
पुरानी
कहानीकार
लिखने
से
पहले
पूरा
प्लाट
दिमाग
में
सेट
करके
लिखते
थे
और
नए
कहानीकार
वर्तमान
पर
आधारित
कहानी
लिखते
हैं
जो
समय
के
साथ
चलती
और
खत्म
होती
है।
ऐसे हुआ प्यार
ज्ञानेंद्र ने बताया कि इलाहबाद में 2014 में जीआरएफ की तैयारी के दौरान ही मेरी मुलाकात भावना से हुई थी। 2014 के आखिर में हमारी शादी हो गई। परिवार को पता चल गया कि दोस्ती प्यार में बदल गई। उसने मुझे एजुकेशन में बहुत सपोर्ट किया। हमेशा मुझे आगे बढ़ने की प्रेरणा देती थी। वह मेरे लिए बहुत लकी है। जब वो मेरी जिंदगी में आई तभी मुझे पहली नौकरी नवोदय में मिली। वो भी स्कॉलर है और गाजियाबाद के मोदी कॉलेज में प्रवक्ता है। बता दें कि दोनों शादी कर चुके हैं।
चाचा की पिटाई से बन गया टॉपर
ज्ञानेंद्र के पिता राम आसरे बताते हैं कि मैं साधारण किसान हूं। बचपन में वो बहुत शैतान था। मुझे लगता था कि पढ़ेगा-लिखेगा नहीं, खेती करेगा। लेकिन उसके चाचा ने केवल एक दिन उसे मारा उसके बाद वो इतने लग्न से पढ़ा की आज उसके टककर का कोई लड़का पुरे गांव में नहीं है।
गांव में शैतानियां कर चिंचुआ बना
ज्ञानेंद्र को बचपन में पढ़ाने वाले उसके चाचा अजय सिंह ने बताया की बचपन में उसका पढ़ने की बजाय ट्रैक्टर चलाने की बात करता था, गांव सबसे शरारती होने के कारण उसके कारनामे से सब डरते थे। वो कभी किसी की गाय खोल देता तो कभी किसी की बाइक पर ब्लेड मार देता, इन्हीं शरारतों के कारण जब वो किसी के घर जाता तो लोग कहते सब लोग सावधान हो जाइए चिंचुआ आ गया। घर में उसे सब प्यार से चिंचू कहते हैं।
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