पाठ्यक्रम में केवल हिंदू महापुरुषों की गाथाएं शामिल किये जाने पर उलेमा को ऐतराज
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सहारनपुर। केंद्र के बाद प्रदेश में भाजपा की पूर्ण बहुमत सरकार बनने का असर अब बच्चों के पाठ्यक्रम में भी नजर आएगा। प्रदेश की योगी सरकार नए शिक्षण सत्र में कक्षा छ: से आठ तक के पाठ्यक्रम में बदलाव कर हिंदुत्व के लिए संघर्ष करने वाले महापुरुषों और राष्ट्रवादी विचारधारा के क्रांतियों को शामिल करने का निर्णय लिया है। देवबंदी उलेमा ने सरकार के इस फैसले पर आपत्ति जताते हुए इसे हिंदुत्व के एजेंडे को लागू करने की ओर बढ़ाया गया कदम बताया।
योगी सरकार के नए फैसले के बाद अब कक्षा छ: से आठ तक के बच्चें अपने पाठ्यक्रम में बाबा गोरखनाथ के जीवन चरित्र के साथ-साथ गोरक्षनाथ मंदिर के योगदान को भी पढ़ेंगे, गोरखपुर के ही बाबू बंधू सिंह को भी पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है।इनके अलावा जनसंघ के संस्थापक सदस्य पंडित दीनदयाल उपाध्याय एवं आल्हा-उदल की जीवनी व संघर्ष की जानकारी पाठ्यक्रम के माध्यम से बच्चों को दी जाएगी। पाठ्यक्रम में बदलाव के इस फैसले पर उलेमा ने कड़ा रोष जताते हुए इसे प्रदेश सरकार की भगवा एजेंडे को बढ़ावा देने वाली नीति करार दिया है।
उलेमा ने दो टूक कहा कि अगर सरकार बच्चों को महापुरुषों के बारे में ही पढ़ाना चाहती है तो जंगे आजादी में सरे फहरिस्त रहने वाले उलेमा को भी पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए। दारुल उलूम निस्वाह के मोहतमिम मौलाना अब्दुल लतीफ कासमी ने कहा कि अगर इन लोगों का सर्वसमाज के उत्थान में योगदान है तो बहुत अच्छा कदम है। लेकिन अगर यह नाम सिर्फ हिंदुत्व की पहचान के लिए शामिल किए जा रहे हैं तो प्रदेश सरकार ऐसी आग से खेल रही है जिसका नुकसान पूरे देश को उठाना पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि बेहतर हो कि प्रदेश सरकार बच्चों के कोर्स में ऐसे लोगों को शामिल करें जिन्होंने मुल्क और सर्वसमाज के लिए कुरबानियां दी हैं। उन्होंने सरकार से सीधा सवाल किया कि अगर कौम के नाम से लोगों की जिंदगी बच्चों को पढ़ाई जाएगी तो उलेमा का योगदान भी सुनेहरे लफजों से लिखने लायक है। उन्होंने सरकार की नीयत पर शक जताते हुए कहा कि सिर्फ हिंदुत्व के नाम पर दूसरी कौमों को नजरअंदाज किया जा रहा है, जो बर्दाश्त के काबिल नहीं है।