यूपी के मऊ में दिखी हिंदू-मुस्लिम एकता, मोहर्रम के चालीसवें में ब्राह्मणों ने मनाया मातम
मऊ। उत्तर प्रदेश का मऊ जनपद काफी संवेदनशील रहा है। बावजूद इसके यहां अमन-चैन और हिन्दू-मुस्लिम एकता देखने को मिली है। इमाम हुसैन के चालीसवें मुहर्रम के जुलुस में गाजीपुर से आए अंजुमन राजकुमार पांडेय एवं अंजुमन ऋषि पांडेय ने मोहर्रम के जुलूस पर नौहा पढ़ा साथ में मातम भी किया। इस बाबत ताजिया कमेटी के अध्यक्ष मकसूद ने बताया कि जनपद के हिन्दू-मुस्लिमों में काफी भाईचारा है। इस दौरान राजकुमार पांडेय एवं ऋषि पांडेय ने मुहर्रम पर नौहा पढ़ हिन्दू-मुस्लिम भाईचारा की मिसाल कायम की है। जनपद भले ही संवेदनशील की श्रेणी में आता हो पर यहां हिन्दू-मुस्लिम में भाईचारा बहुत है जो इस आलम के जुलूस में देखने को मिलता है।
जानकारी के अनुसार मंगलवार की रात परंपरागत तरीके से इमामबाड़ा से चालीसवां के ताजिए के जुलूस की शुरुआत की गई। इस दौरान सुरक्षा के लिहाज से भारी मात्रा में पुलिस बल वहां मौजूद थी। इस दौरान गाजीपुर से आए अंजुमन राजकुमार पांडेय एवं अंजुमन ऋषि पांडेय ने नौहा पढ़ा। इस बीच ढोल ताशे गाजे-बाजे के साथ निकाला गया चालीसवां के ताजिए का जुलूस मऊ के प्रमुख मार्गों से होता हुआ कर्बला के मैदान में दफन हुआ। इस बीच चौक पर मूर्ति विसर्जन के दौरान एक नवयुवक की मौत पर लाउडस्पीकर बंद रहे वह मातम पढ़ रहे लोगों ने 2 मिनट शांत रहकर शोक व्यक्त किया।
इस वीडियों में आप ब्राह्मण परिवार को दोनों लोगों को देख सकते हैं। वैसे तो मऊ अतिसंवेदनशील जिला है। यहां कई बार हिंदू-मुस्लिम दंगे हो चुके हैं लेकिन इस बार मुहर्रम के चालीसवें ने लोगों को अमन व चैन का पैगाम दिया है। आपको बता दें जिस प्रकार हिंदू धर्म में किसी की मौत हो जाने के बाद आत्मा की शांति के लिए तेरहवीं का आयोजन किया जाता है उसी तरह अली और हुसैन के मातम के रूप में चालीसवें का आयोजन होता है।
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