यूपी चुनाव: इमरान मसूद ही नहीं, इन 5 नेताओं को भी पार्टी बदलने के बावजूद नहीं मिला टिकट
लखनऊ, 17 जनवरी। उत्तर प्रदेश में चुनावी रणभेरी बज चुकी है, तमाम राजनीतिक दलों ने अपने योद्धाओं को मैदान में उतार दिया है। पहले चरण के मतदान के लिए लगभग सभी दलों ने अपने उम्मीदवारों की लिस्ट को जारी कर दिया है। लेकिन पश्चिमी यूपी में होने वाले पहले चरण के मतदान के लिए दलों ने अपने उम्मीदवारों की जो लिस्ट जारी की है उसमे कई बड़े चेहरे इस लिस्ट से नदारद हैं। ये वो चेहरे हैं जिन्हें कद्दावर नेता माना जा रहा था, लेकिन जिस तरह से इन नेताओं को टिकट तक नहीं मिला वह इन नेताओं के लिए जरूर एक बड़ा झटका है।

बुलंदशहर के बाहुबली नेता भगवान शर्मा उर्फ गुड्डू पंडित को सपा ने टिकट नहीं दिया है। आजतक की रिपोर्ट के अनुसार शामली से मुस्लिम नेता और पूर्व विधायक अब्दुल राव वारिस को भी सपा ने इस बार टिकट नहीं दिया है। इस बार यह सीट आरएलडी के खाते में चली गई है। पश्चिमी यूपी के अहम जिला मुजफ्फरनगर में कादिर राणा को बड़ा चेहरा माना जाता है। वह पूर्व सांसद रह चुके हैं और तकरीबन तीन दशक से सक्रिय राजनीतिक में हैं। सपा से पहले एमएलसी, फिर राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गल से विधायक और फिर बसपा से सांसद रहने के बाद बिजनेस के क्षेत्र में कादिर राणा ने कदम रखा। लेकिन बसपा छोड़ सपा में शामिल होने वाले कादिर राणा के लिए यह घाटे का सौदा साबित हुआ है। तीस साल में पहली बार वह पहली बार चुनावी मैदान में नहीं हैं।
वहीं इस लिस्ट में इमरान मसूद का नाम भी शामिल हैं जिन्हें सहारनपुर का बड़ा नेता माना जाता है। कांग्रेस छोड़ सपा में शामिल होने वाले इमरान मसूद को सपा ने टिकट नहीं दिया है। इससे पहले इमरान कांग्रेस में थे और उन्हें राहुल गांधी और करीबी माना जाता था। अगला नाम हाजी याकूब कुरैशी का आता है जोकि मेरठ में बड़ा चेहरा हैं। वह निर्दलीय विधायक भी रह चुके हैं और मुलायम सरकार में मंत्री भी रह चुके है। इनके बेटे इमरान कुरैशी को बसपा ने टिकट दिया था लेकिन बाद में इसे वापस ले लिया गया। सपा में हाजी याकूब कुरैशी की एंट्री शाहिद मंजूर और अतुल प्रधान की वजह से मुश्किल है और आरएलडी पहले ही अपने उम्मीदवार घोषित कर चुकी है। वहीं हाजी शाहिद अखलाक जोकि मेरठ के बड़े मुस्लिम नेता हैं और चार दशक से उनका परिवार राजनीति में हैं। शाहिद अखलाक सपा और बसपा दोनों में रह चुके हैं। माना जा रहा था कि वह सपा छोड़ बसपा में जा सकते हैं लेकिन ऐसा नहीं हुआ और उन्हें सपा ने इस बार टिकट नहीं दिया हैा।