अवैध बूचड़खानों पर रोक के बाद अब मीट की दुकान में बिक रहा है टॉफी-बिस्किट
मोहम्मद हनीफ कुरैशी ने बच्चों की पढ़ाई का खर्च, परिवार के रोज की डिमांड पूरी करने के लिए मीट की दुकान में ही बिस्किट, टॉफी और पान मसाला बचना शुरू कर दिया है।
मिर्जापुर। सीएम योगी आदित्यनाथ के अवैध बूचड़खानों और बिना लाइसेंस के मीट की दुकानों पर रोक के बाद बेरोजगार दुकानदारों ने रोजी-रोटी के लिए धंधा बदल दिया है। जिन दुकानों पर मीट बिकता था वहां पर टॉफी-बिस्किट मिलने लगा है। यही नहीं जिन होटलों पर कबाब आदि बिकता था। वहां का भी जायका बदल गया है, यहां भी दुकानदार सब्जी-रोटी बेचने लगे हैं।
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परिवार
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खर्च
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लिए
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दुकान
कुरैश नगर में वैसे तो कई मीट की दुकानें कभी रोजी-रोटी का सहारा हुआ करती थीं लेकिन आदित्यनाथ के सीएम बनने के बाद से सात दिनों से मीट के लाले पड़ गए हैं। मोहम्मद हनीफ कुरैशी ने बच्चों की पढ़ाई का खर्च, परिवार के रोज की डिमांड पूरी करने के लिए मीट की दुकान में ही बिस्किट, टॉफी और पान मसाला बचना शुरू कर दिया है। कुछ लोग ऐसे भी हैं कि काम न होने की वजह से मीट की दुकान में सो रहे हैं।
कबाब की जगह रोटी-सब्जी
नगर के गुड़हट्टी बाजार स्थित नान बेचने वाले 60 साल पुराने दुकानदार मो. समीम का होटल हाजी लल्ला जो कभी कबाब, बिरियानी और मुगलिया पराठे के लिए जाना जाता था। अब रोटी-सब्जी बेचने लगा है। समीम बताते हैं कि 22 मार्च से मीट की सप्लाई बंद हो चुकी है। लाइसेंस न होने की वजह से चिकन और मटन भी नहीं मिल रहा है।
जिले में सात बूचड़खाने लाइसेंसी थे
जिले में एक बूचड़खाना मुख्यालय शहर के कुरैश नगर में था तो अदलहाट में दो, चुनार में दो को मिलाकर कुल सात स्लॉटर हाउस लाइसेंसी थे। 6 बूचड़खानों का परमिट जिला पंचायत की ओर से जारी किया गया था जबकि मुख्यालय पर कुरैश नगर के बूचड़खानों को नगर पालिका परिषद की ओर से लाइसेंस दिया था। इसे जल प्रदूषण व पर्यावरण प्रदूषण बोर्ड की ओर से बंद करवा दिया गया था। इसी प्रकार जिला पंचायत ने भी नवीनीकरण न होने की वजह से स्लॉटर हाउसों पर ताला चढ़ा दिया। जिसके बाद जिला प्रशासन ने सभी को अवैध मानते हुए बंद करवाया है।
अनापत्ति प्रमाणपत्र की दिक्कत
बूचड़खानों के संचालन को लेकर ज्यादातर पर्यावरण व जल प्रदूषण बोर्ड ने आपत्ति जताई है। किसी भी बूचड़खाने के पास वैध लाइसेंस नहीं है। एनओसी जारी करने के लिए मानक पूरा करना पड़ेगा। तभी लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया पूरी हो पाएगी। इसमें भी दीवार 15 फीट उंची होनी चाहिए। साफ-सफाई के साथ सीसीटीवी कैमरे लगे हों। पशुओं को कटने से पहले और मीट की आपूर्ति के समय मेडिकल कराकर रसीद कटाया जाए। इन मानकों को पूरा न कर पाने के कारण इन्हें बंद करना पड़ा।
स्लॉटर हाउस बंद, सड़क पर लोग
स्लॉटर हाउस के बंद होने से मीट व्यवसाए से जुड़े लोग सड़क पर आ गए हैं। संचालकों को परिवार का पेट पालना भारी पड़ रहा है। संचालक नसीम कुरैशी कहते हैं कि डीएम को पत्र सौंपकर स्लॉटर हाउस के लिए लाइसेंस जारी करने की मांग की है। हालांकि इन लोगों को सरकार पर विश्वास भी है कि सरकार में बूचड़खानों के संचालन के लिए कोई न कोई तरीका जरूर इजाद किया जाएगा। इस व्यवसाय की पूरी चेन है, काटने से लेकर बेचने, होटल, दुकान, चमड़ा, हड्डी व्यवसाय के साथ ही नमक आदि की खपत भी बड़े मात्रा में होती है। कम से कम एक हजार परिवार को प्रत्यक्ष तौर पर रोजगार मिला हुआ था जो अचानक बंद हो गया है।