यूपी: बूचड़खानों के बंद होने से भुखमरी के कगार पर बाघ, शेर!
अवैध बूचड़खानों के बंद होने का असर कानपुर चिड़ियाघर के मांसाहारी जानवरों पर पड़ा है। उनके लिए खानों का अकाल पड़ गया है।
कानपुर। अवैध बूचड़खानों के बन्द होने से जहां शाकाहारियों के बीच खुशी की लहर है, वहीं मांसाहारी वन्य प्राणियों की जान के लाले पड़ गये हैं। दो दिन से कानपुर चिड़ियाघर में मांस सप्लाई ठप्प होने से सौ से अधिक वन्य प्राणियों को भोजन नसीब नहीं हुआ है। इसे अवैध बूचड़खाने बन्द होने का साईड इफेक्ट माना जा रहा है। हालात का जायजा लेने के लिये उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य वन सचिव संजीव सरन ने कानपुर चिड़ियाघर का दौरा किया।
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मांसाहारी जीवों के सामने आया संकट
उत्तर प्रदेश में अवैध बूचड़खानों के खिलाफ हो रही कार्यवाही से जानवरों की कटाई बन्द हुई है लेकिन गेंहू के साथ कुछ घुन भी पिस रहे हैं। दरअसल बाजार से मांस गायब होने से कानपुर चिड़ियाघर के जानवरों के लिए मुश्किलें खड़ी हो गयी हैं। यहां इन्सानी कैद में सौ से अधिक ऐसे वन्य प्राणि हैं जो कुदरती तौर पर मांसाहारी है और उन्हें खाने में दोनो वक्त भैंस का मीट परोसा जाता है। लेकिन पिछले दो दिनों से उन्हें मीट का एक टुकड़ा भी नसीब नहीं हुआ है।
बाघिन और शेरनियों पर आई आफत
सबसे ज्यादा परेशानी उन एक दर्जन मादा जानवरों के लिये हैं जिनके गर्भ में नन्हीं जानें पल रही हैं। चिड़ियाघर के डाक्टरों का कहना है कि अगर जल्दी ही इन्हें भोजन नहीं दिया गया तो उनके गर्भ में पल रहे बच्चों को खतरा हो सकता है। इनमें दुलर्भ प्रजाति की शेरनी और बाघिन भी शामिल है।
'शेर भूखा मर जायेगा लेकिन घास को छुएगा भी नहीं'
कानपुर चिड़ियाघर के पशु पक्षियों के लिये भोजन की आपूर्ति एक ठेकेदार द्वारा की जाती है। लेकिन अवैध बूचड़खानों को सील किये जाने के बाद से वो केवल शाकाहारी फूड सप्लाई कर पा रहा है। कहते हैं कि शेर भूखा मर जायेगा लेकिन घास को छुएगा भी नहीं। इन्सानी कैद में फंसे इस टाईग्रेस की हालत भी कुछ ऐसी है। पिछले 48 घण्टों में भूख से निढाल इस टाईग्रेस के शरीर में अब इतनी ताकत भी बाकी नहीं बची है कि वो उठ भी सके। किस्मत की दोहरी मार यह भी कि वो इस समय गर्भवती है और जल्दी ही उसे खाना नहीं मिला तो उसकी जान पर बन सकती है। चिड़ियाघर के डाक्टर इन गर्भवती जानवरों को अतिरिक्त विटामिन और टानिक उनके भोजन में मिलाकर देते थे और अब वो भी बन्द हो गया है।
चिड़ियाघर में कहां से आ रहा था मीट?
कानपुर चिड़ियाघर एशिया के सबसे अधिक भौगोलिक क्षेत्र वाले जूलॉजिकल पार्कों में शुमार किया जाता है। आंकड़ों के मुताबिक यहां 100 से ज्यादा मांसाहारी प्राणी हैं जिनमें 11 शेर , 2 सफेद शेर , 12 तेन्दुओं के अलावा मगरमच्छ , घड़ियाल , तेंदुआ , सियार , लोमड़ी और कई मांसाहारी पशु पक्षी हैं जिनकी रोजना खुराक में करीब 200 किलो मीट की जरूरत रहती है। बदले हालातों का जायजा लेने के लिये आज वन विभाग के ओहदेदार अफसर चिड़ियाघर पहुंचे लेकिन उनके पास इस सवाल का कोई जवाब नहीं था कि क्या अब तक चिड़ियाघर को अवैध बूचड़खाने से मीट सप्लाई हो रहा था? यदि ऐसा नहीं था तो फिर सप्लाई बाधित क्यों हुई है? दौरे पर आये अफसर इन सवालों पर बात करने से कतराते नजर आये।
इन दुश्वारियों के बीच वाईल्ड लाइफ लवर्स मानते हैं कि योगी आदित्यनाथ प्राणि मात्र से स्नेह रखने वाले मुख्यमंत्री हैं और इस इन्सानी कैद के वन्य प्राणियों की तकलीफ जानने के बाद वे जरूर कोई कारगर कदम उठायेगें।
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