सपा कलह के बीच यूपी के रण को जीतने का शाह का मेगा प्लान
उत्तर प्रदेश की किले को जीतने के लिए शाह की रणनीति के आगे ढेर ना हो जाए अन्य सियासी दल, सपा ने भी माना शाह का लोहा।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में चुनाव के बिगुल के साथ ही भारतीय जनता पार्टी अपनी पूरी ताकत झोंकने लगी है। इस चुनाव में भाजपा का एक चुनावी नारा हाथी जम गया जाड़े में, पंजा गया भाड़े में, साइकिल गई कबाड़े में, अब बस कमल बचा अखाड़े में काफी लोकप्रिय हो रहा है। इस चुनाव में अमित शाह भाजपा की जीत के लिए कई ऐसी रणनीति बना रहे हैं जिसे इससे पहले यूपी भाजपा के कार्यकर्ताओं ने सुना नहीं है। अमित शाह इस बार के चुनाव में प्रदेश के जातीय समीकरण को देखते हुए जिलेवार एक एक लिस्ट बना रहे हैं और यह लिस्ट उनके स्मार्ट फोन में मौजूद है।
शाह की गुजरात की टीम, RSS विंग यूपी चुनाव में
उत्तर
प्रदेश
के
चुनावी
रण
में
भारतीय
जनता
पार्टी
एकलौती
ऐसी
पार्टी
है
जो
बिना
सीएम
उम्मीदवार
के
मैदान
में
उतरी
है,
पार्टी
पूरी
तरह
से
प्रधानमंत्री
मोदी
के
चेहरे
पर
निर्भर
है,
माना
जा
रहा
है
कि
यूपी
में
आगामी
चुनाव
तक
तकरीबन
हर
हफ्ते
पीएम
मोदी
विशान
जनसभा
को
संबोधित
करेंगे,
इसकी
पूरी
योजना
शाह
ने
तैयार
भी
कर
ली
है।
सूत्रों
की
मानें
तो
इसके
लिए
शाह
ने
अपनी
भरोसेमंद
टीम
गुजरात
से
बुलाई
है
और
वह
इसपर
काफी
हद
तक
निर्भर
भी
हैं
और
इसपर
बहुत
की
करीबी
से
नजर
भी
रख
रहे
हैं।
शाह
ने
इसके
अलावा
आरएसएस
से
भी
इस
चुनाव
में
मदद
की
अपील
की
है।
विवादित
बयानों
पर
पूरा
नियंत्रण
शाह
की
अपील
पर
आरएसएस
ने
तमाम
जगहों
पर
अपने
कार्यकर्ता
मैदान
में
उतार
दिए
हैं
जो
तकरीबन
हर
बूथ
पर
मौजूद
हैं।
इससे
पहले
भी
संघ
ने
2014
के
चुनाव
में
तमाम
साधू
और
संतो
की
फौज
को
चुनावी
मैदान
में
उतारा
था
और
पार्टी
को
71
सीटों
पर
जीत
हासिल
हुई
थी,
उस
वक्त
मैदान
में
साध्वी
निरंजन
ज्योति,
साक्षी
महाराज
मैदान
में
थे,
लेकिन
जिस
तरह
से
इन
लोगों
ने
राम
जादे
हरामदे
जैसे
बयान
दिए
थे
उसपर
इस
बार
अमित
शाह
ने
पूरा
नियंत्रण
कर
रखा
है
और
किसी
भी
तरह
का
कोई
विवादित
बयान
सामने
नहीं
आया
है।
अभी
तक
किसी
भी
भाजपा
के
सांसद,
व
यूपी
के
मंत्री
को
चुनाव
मैदान
में
उतरने
को
नहीं
कहा
गया
है।
राजनाथ के भविष्य पर भी सवाल
दिलचस्प बात यह है कि सूत्र कहते हैं कि अगले लोकसभा चुनाव में लाल कृष्ण आडवाणी गांधीनगर से चुनाव नहीं लड़ेंगे और अमित शाह इस चुनाव में मैदान में उतरेंगे और पार्टी के कार्यकर्ता यहां तक कहते हैं कि अगले चुनाव में जीत के बाद अमित शाह देश के अगले गृहमंत्री बनेंगे। ऐसे में जो बात काफी दिलचस्प है वह यह कि ऐसे में मौजूदा गृहमंत्री राजनाथ सिंह कहां जाएंगे जिन्हे इस बार के यूपी चुनाव में उस तरह की महत्ता नहीं दी गई है जिसकी उन्हें अपेक्षा थी।
सपा के कुनबे में शाह की सेंध!
समाजवादी पार्टी में कलह की जड़ माने जाने वाले अमर सिंह को जिस तरह से केंद्र ने जेड श्रेणी की सुरक्षा मुहैया कराई है उसने अलग तरह के संकेत दिए हैं। गृह मंत्रालय में वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि यह सुरक्षा काफी जल्दबाजी में मुहैया कराई गई है, महज 24 घंटों के भीतर इस फैसले पर मुहर लगाई गई , यहां तक की मूलभूत जांच और ऑडिट भी इस फैसले से पहले नहीं की गई। । अमर सिंह अब 24 जवानों की सुरक्षा के घेरे में रहेंगे जिसमें चार से पांच एनएसजी के कमांडो भी होंगे। सपा के भीतर इस श्रेणी की सुरक्षा पाने वाले वह दूसरे नेता है, अमर सिंह के अलावा यह सुरक्षा मुलायम सिंह यादव को भी प्राप्त है। इस फैसले के तुंरत बाद अखिलेश के खेमे ने यह आरोप लगाया कि सपा के भीतर शकुनी की भूमिका अमर सिंह ही निभा रहे हैं। कई ऐसे पोस्टर भी प्रदेश में लगाए गए जिसमें अमर सिंह और शाह के बीच अपवित्र सांठगांठ की बात कही गई है। माना जा रहा है कि अखिलेश यादव इस फैसले को भाजपा और अमर सिंह के बीच गठबंधन के पुख्ता सबूत के तौर पर चुनावी मैदान में रखेंगे। नरेश अग्रवाल यह कह चुके हैं कि अमर सिंह शकुनी की भूमिका निभा रहे हैं और इसका इनाम उन्हें भाजपा की ओर से मिला भी है।
पिता-पुत्र के लिए मुश्किल अमर-शाह की जोड़ी
मुलायम सिंह यादव ने भी हाल में अखिलेश यादव के सामने अपनी कमजोरी को जाहिर करते हुए कहा कि अखिलेश मेरा बेटा है और वह जो कर रहा है सही कर रहा है। हाल में अखिलेश यादव की ओर से चुनाव आयोग को जो दस्तावेज दिए गए हैं उसमें अमर सिंह की भूमिका का जिक्र भी किया गया है। माना जा रहा है कि इन दस्तावेजों में उन्होंने मुरली देवड़ा की बात का भी जिक्र किया है जिसमें उन्होंने कहा था कि अमर सिंह परिवार में सिर्फ विवाद पैदा करते हैं। इसके लिए उन्होंने अंबानी परिवार में अंबानी बंधू के बीच अलगाव, संजय दत्त और प्रिया दत्त के बीच अलगाव का उदाहरण दिया है। अखिलेश यादव ने अपने पिता को यह भी कहा कि अमर सिंह मुलायम सिंह यादव के जरिए खुद देश के राष्ट्रपति के पद पर पहुंचना चाहते हैं और वह नेताजी को बरगला रहे हैं। माना जा रहा है कि मुलायम को उनके रणनीतिकारों ने यह बताया है कि अगर पार्टी दो टुकड़ों में बंटी और पार्टी का चुनाव चिन्ह छिना तो पार्टी टूट जाएगी और आगामी चुनाव में यह धराशाई हो जाएगी।
दूसरे
गुट
से
दूरी
बनाने
में
लगे
मुलायम
ऐसे
में
इन
परिस्थितियों
को
ध्यान
में
रखते
हुए
मुलायम
पार्टी
के
भीतर
के
विवाद
को
खत्म
करने
की
कोशिश
कर
रहे
हैं,
इसी
के
चलते
उन्होंने
एक
बार
फिर
से
बयान
दिया
कि
पार्टी
के
भीतर
सब
ठीक
है
और
किसी
भी
तरह
का
झगड़ा
नहीं
है।
सूत्रों
का
कहना
है
कि
मुलायम
ने
अपने
कान
उन
तमाम
बातों
की
ओर
से
हटा
लिया
है
जो
उनका
दूसरा
परिवार
पार्टी
की
राजनीति
की
विरासत
को
संभालने
की
कोशिश
कर
रहा
है।
माना
जा
रहा
है
कि
अमर
सिंह
जोकि
लखनऊ
में
थे
और
वह
शिवपाल
यादव
और
साधना
के
गुट
में
हैं
उनसे
एक
साथ
मिलने
से
भी
मुलायम
ने
इनकार
कर
दिया
था।
अखिलेश-आजम ने माना मजबूत हो रही भाजपा
आजम खान और शिवपाल यादव ने मुलायम सिंह से इस बात को एक बार फिर से दोहराया है कि पार्टी के भीतर विवाद है और चुनाव को महज कुछ हफ्ते ही रह गए हैं, लेकिन पार्टी की ओर से एक भी बड़ी रैली नहीं हो सकी है, ऐसे में पार्टी खुद के लिए गड्ढा खोद रही है, लेकिन दूसरी तरफ अमित शाह तमाम पीएम मोदी की बड़ी रैलियों के जरिए लगातार अपनी पैठ बना रहे हैं, भाजपा नोटबंदी का जमकर प्रचार कर रही है और उसको इसका लाभ भी हो रहा है, इसके पीछे उन्होंने अमर सिंह और शाह की जोड़ी को जिम्मेदार भी बताया है।
सपा
के
लिए
क्या
होगा
बीच
का
रास्ता
सूत्रों
का
कहना
है
कि
अखिलेश
जिनके
पास
पार्टी
का
90
फीसदी
समर्थन
है
वह
अमर
सिंह
के
मुद्दे
पर
समझौते
के
लिए
तैयार
नहीं
है
और
ना
ही
टिकटों
के
बंटवारे
को
लेकर
किसी
भी
तरह
का
नरम
रुख
दिखाने
के
मूड
में
हैं,
हालांकि
वह
शिवपाल
यादव
के
साथ
कुछ
मुद्दों
पर
समझौते
को
तैयार
हैं,
ऐसे
में
मुमकिन
है
मुलायम
सिंह
यादव
इसके
जरिए
फिर
से
कोई
रास्ता
निकालें।
वहीं
दूसरी
तरफ
मायावती
प्रदेस
में
यह
संदेश
देने
की
कोशिश
कर
रही
हैं
कि
प्रदेश
के
मुसलमान
सपा
पर
भरोसा
नहीं
करे
और
अपना
वोट
व्यर्थ
ना
जाने
दे,
लिहाजा
बसपा
को
अपना
वोट
दे,
इसके
लिए
उन्होंने
97
मुस्लिम
उम्मीदवारों
को
टिकट
भी
दिया
है।