यूपी विधानसभा में पाए गए विस्फोटक के बारे में बड़ा खुलासा
यूपी विधानसभा में पाया गया कथित विस्फोटक का सैंपल अवैध किट से किया गया था टेस्ट, एक पत्र में हुआ इस बात का खुलासा, यूपी डीजीपी ने एफएसएल हेड को सस्पेंड करने को कहा, जानबूझकर किया गया सरकार को गुमराह
लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा के भीतर कथित पीईटीएन विस्फोटक पाउडर मिलने से काफी हंगामा हुआ था। लेकिन जिस फॉरेंसिक साइंस की लैबोरेटरी में इस पाउडर का टेस्ट किया गया था उसपर अब सवाल खड़ा हो गया है। दरअसल एफएसएल में जिस किट से इस पाउडर का टेस्ट किया गया था उसकी इसकी वैद्यता पहले ही खत्म हो चुकी थी। 13 जुलाई को विधानसभा के भीतर सपा विधायक की सीट के नीचे एक प्लास्टिक बैग में यह पाउडर पाया गया था, जिसके बाद सदन की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े हो गए थे।
यूपी फॉरेंसिक लैब के मुखिया को सस्पेंड करने की संस्तुति
इस पाउडर को आगरा की एफएसएल में टेस्ट के लिए भेजा गया था, यहां इस पाउडर को टेस्ट किए जाने के बाद बताया गया था कि यह पीईटीएन विस्फोटक है, जिसके बाद इस पूरे मामले की जांच को एनआईए के सुपुर्द कर दिया गया था। दो रिष्ठ अधिकारियों जिसमें आईपीएस डीजी टेक्निकल सर्विसेज महिंद्र मोदी और यूपी के डीजीपी सुलखान सिंह के बीच 27 जुलाई को एक पत्र के जरिए जो जानकारी साझा की गई है उसके अनुसार श्याम बिहारी उपाध्याय जोकि लखनऊ स्थित एफएसएल यूपी के हेड हैं उन्हें सस्पेंड करने की बात कही गई है।
2016 में ही खत्म हो गई थी वैद्यता
टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार इस पत्र में कहा गया है कि उपाध्याय ने लोगों को गुमराह किया है। जिस किट से सैंपल को टेस्ट किया गया उसकी वैद्यता पहले ही खत्म हो चुकी थी। लिहाजा उपाध्याय ने ना सिर्फ राज्य के पुलिस मुखिया बल्कि राज्य सरकार को भी गुमराह किया है। जिस किट से सैंपल को टेस्ट किया गया उसकी वैद्यता मार्च 2016 में ही खत्म हो चुकी थी। ऐसे में एफएसएल मुखिया ही इस ममाले मे लोगों के बीच गलतफहमी फैलान के जिम्मेदार है, जबकि उनको इस बात की जानकारी थी कि इस किट की वैद्यता खत्म हो चुकी है।
जानबूझकर किया गुमराह
पत्र में यह भी कहा गया है कि उपाध्याय ने वरिष्ठ अधिकारियों को अंधेरे में रखा। साथ ही इस पत्र में यह भी कहा गया है कि यूपी के मुख्य सचिव गृह ने उपाध्याय को कहा था कि वह आगरा की लैब की रिपोर्ट को किसी को नहीं भेजें। जो टेस्ट लैब में किया गया है उसे कोर्ट के भीतर पेश नहीं किया जा सकता है, यही वजह थी कि एक पुख्ता जांच की रिपोर्ट को ही कोर्ट में भेजा जाता है। बावजूद इसके लखनऊ के तीन फॉरेंसिंक एक्सपर्ट जिसमें कंप्यूटर फॉरेंसिंक डिविजन के डेप्युटि डायरेक्टर अरुण कुमार शर्मा, फिजिक्स डिविजन के साइंटिफिक ऑफिसर नरेंद्र कुमार और केमिस्ट्रि डिविजन के साइंटिफिक ऑफिसर मनोज कुमार ने इस सैंपल को पीईटीएन विस्फोटक बताया था। सूत्रों की मानें तो यूपी के डीजीपी ने एक विस्तृत रिपोर्ट को गृह विभाग को भेज दिया है जिसमें उपाध्याय को सस्पेंड करने की बात कही गई है।