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इलाहाबाद में सपा का बढ़ा जनाधार, फिर क्यों मिली ऐसी हार?

इलाहाबाद की 12 विधानसभा सीट में बमुश्किल एक सीट पर खाता खोलने वाली सपा को इस बार 3.17 फीसदी ज्यादा वोट मिले, इसके बावजूद सपा का लगभग सफाया हो गया।

By Gaurav Dwivedi
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इलाहाबाद। जिले की 12 विधानसभा सीट पर सिर्फ एक करछना सीट जीतने वाली सपा के लिए ये हार पचने वाली नहीं है। क्योंकि पिछले विधानसभा की अपेक्षा इस बार इलाहाबाद में सपा को 3.17 फीसदी ज्यादा वोट मिले हैं। पिछली बार आठ सीट जीतने वाली सपा के हाथ से इस बार सात सीटें कैसे निकल गई? इस पर अब चर्चा शुरू हो गई है। क्या कारण है कि जनाधार बढ़ने के बावजूद भी सपा को हार मिली है? तो वहीं खाता न खोल पाने वाली भाजपा ने 8 सीट जीत ली।

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28 से 31 फीसदी हुआ वोट

अखिलेश यादव ने कांग्रेस से गठबंधन के बाद जब चुनाव का शंखनाद किया तो अंदाजा भी न रहा होगा कि सपा को इलाहाबाद जिले में इस तरह से पराजय का मुंह देखना पड़ेगा। प्रत्याशी स्तब्ध है, वरिष्ठ नेताओं में खामोशी है, स्थानीय पदाधिकारियों के पास जवाब नहीं है कि आखिर जनाधार बढ़ा तो हार कैसे हुई। पिछले चुनाव में सपा को पूरे जिले में 28.23 फीसदी वोट मिले थे। इसके मुकाबले इस बार मतदाताओं का रुझान सपा की तरफ ज्यादा रहा। सपा को इस बार 31.40 फीसदी वोट मिले। पिछली विधानसभा के मुकाबले इस बार 3.17 फीसदी वोट ज्यादा मिलने के बाद भी पार्टी का ऐसा हश्र होगा, ये शायद विपक्षी दलों ने भी नहीं सोचा होगा।

सपा का कोई विधायक नहीं बचा सका सीट

इलाहाबाद में शहर दक्षिणी से हाजी परवेज अहमद, फाफामऊ में अंसार अहमद, प्रतापपुर में विजमा यादव, सोरांव में सत्यवीर मुन्ना को पार्टी ने टिकट दिया था। ये मैदान में सबसे तगड़े कैंडिडेट थे, बावजूद इसके इन्हें गठबंधन का सहारा भी मिला। फिर भी इनमें से कोई जीत दर्ज नहीं कर सका।

तीन विधायक का टिकट भी काटा

इलाहाबाद में सपा ने अपने तीन विधायकों का पत्ता काट दिया। मेजा, फूलपुर और हंडिया से वर्तमान विधायकों को टिकट नहीं दिया गया। मेजा विधानसभा सीट से विधायक रहे गिरीश चंद्र उर्फ गामा पांडेय की जगह पार्टी ने राम सेवक पटेल को मैदान में उतार दिया। फूलपुर से सईद अहमद की जगह मंसूर आलम जबकि हंडिया में प्रशांत सिंह का टिकट काटकर निधि यादव को प्रत्याशी बना दिया गया। तीनों सीटों पर प्रत्याशी बदलने के बावजूद एक भी जीत खाते में नहीं आई।

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English summary
SP gained more than three percent vote this up assembly election in Allahabad than last one but defeat so badly
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