यूपी: 8 मौतों के जिम्मेदार महताब आलम को शिवपाल ने सौंपी कानपुर की कमान
कानपुर। शिवपाल सिंह यादव ने जब से सेक्युलर मोर्चा का गठन किया गया है तभी से यह पार्टी चर्चा में बनी हुई है। इसी कड़ी में समाजवादी पार्टी के बागी नेता और बिल्डर महताब आलम को शिवपाल यादव ने समाजवादी सेक्युलर मोर्चा में न सिर्फ शामिल किया बल्कि महताब को कानपुर का दारोमदार भी सौंपा। शिवपाल के इस फैसले के बाद यह मामला विवादों में इसलिए आ गया क्योंकि महताब आलम पर अवैध इमारत निर्माण व उसके ढहने से 10 मजदूरों की मौत का मुकदमा उनपर चल रहा है। यह मुकदमा कानपुर विकास प्राधिकरण ने दायर किया है।
समाजवादी सेक्युलर मोर्चा का झंडा उठाने के बाद आज कानपुर में महताब आलम का कार्यकर्ताओं ने जोरदार स्वागत किया। उन्हें नगर की लोकसभा सीट पर पार्टी उम्मीदवार को जिताने की जिम्मेदारी दी गई है। यह बात और है कि कानपुर में सपा के कद्दावर नेता भी चुनाव में कभी नंबर दो की लड़ाई में नहीं रहे हैं। ऐसे में महताब पर मोर्चा को ताकत देना रेगिस्तान में सरोवर बनाने जैसा काम होगा। फिर भी महताब को मौका देना शिवपाल की एक सोची समझी रणनीति का हिस्सा कहलाएगी।
सपा के जिलाध्यक्ष के रूप में वे काफी सक्रिय रहे थे, लेकिन 1 फरवरी 2017 को महताब आलम की निर्माणधीन बहुमंजिला बिल्डिंग ढह गई थी। जिस में दस मजदूरों की दबकर मौत हो गई थी। तब कानपुर विकास प्राधिकरण ने महताब आलम को दस मौतों का जिम्मेदार ठहराते हुए मुकदमा दर्ज करवाया था, जिसके बाद से महताब आलम फरार चल रहे थे। विधानसभा चुनाव से पहले उनसे जिलाअध्यक्ष का पद छीनकर फजल महमूद को दे दिया गया था। इसके बाद महताब आलम ने सपा से बगावत कर दी थी।
अब शिवपाल ने उन्हें सेक्युलर मोर्चे में कानपुर का जिलाअध्यक्ष बना दिया है। जिससे 2019 चुनाव में सपा को नुकसान उठाना पड़ सकता है। राजनीति में अपनी दूसरी पारी शुरू कर रहे महताब अपने माथे से अवैध बिल्डिंगों का निर्माण करने और दस मजदूरों की मौत के कलंक को कैसे धोऐगें, यह सवाल उन्हें कतई परेशान नहीं कर रहे हैं। उनका कहना है कि जब बनारस और कोलकता में निर्माणाधीन पुल गिरा और उसमे काफी लोग मारे गए तो उसकी जिम्मेदारी सरकार ने नहीं ली थी और इसका दोष निर्माण ऐजेंसी पर थोप दिया गया था। अब उनके राजनैतिक विरोधी उनकी इमारत ढहने का दोष उनपर कैसे लगा सकते हैं। यह जिम्मेदारी उस ठेकेदार की है जो एग्रीमेंट के तहत निर्माण कर रहा था। फिलहाल महताब आलम हाई कोर्ट से स्टे लेकर बाहर खुले मैदान में हैं। अगर चुनाव से पहले समाजवादी सेक्युलर मोर्चे से सत्तारूढ़ भाजपा का कोई गठजोड़ हुआ तो महताब इसका राजनैतिक और कारोबारी दोनों फायदा उठाने की स्थिति में होगें।
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