इलाहाबाद: यूपी पुलिस का एक रूप ऐसा भी, देखिए दिल छू जाने वाली तस्वीरें
वर्दी मिलने के बाद से ही आशीष ने ठान लिया कि वो आम वर्दीधारियों के ढर्रे पर नहीं चलेंगे बल्कि लीग से हटकर अपने कर्तव्यों को निभाएंगे। वो बदल की पहल करेंगे और आखिरी दम तक प्रयासरत रहेंगे।
इलाहाबाद। अभी तक आपने पुलिस को तल्ख मिजाज, संवेदनाविहीन, अव्यवहारिक बर्ताव और लोगों में डर बना के रखने वाला जाने कैसा-कैसा रूप देखा होगा। लेकिन आज हम आपको पुलिस का वो पहलू भी दिखाएंगे जो वर्दी के पीछे एक साधारण सा जीवन जीने वाला और नेक दिल होता है।
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पुलिस का ही एक सिपाही है जो अकेले ही दागदार वर्दी और लोगों को सोच के विरुद्ध काम कर रहा है। ब्लड बैंक जाकर रक्तदान करना हो या सड़क पर घूम रहे भूखे बच्चों को भोजन कराना, मजलूमों के लिए इंसाफ की लड़ाई लड़नी हो या अपने विभाग से कानूनी मदद दिलानी हो। ये सिपाही लीग से हटकर मदद करने के लिए तत्पर रहता है। सोशल मीडिया से लेकर जीवन पथ पर सिपाही आशीष मिश्र स्वयं बदलाव का बड़ा उदाहरण बन रहे हैं।
2011 बैच का सिपाही
सूबे के मिर्जापुर के रहने वाले आशीष मिश्रा 2011 बैच के सिपाही हैं और वर्तमान में डीआईजी रेंज इलाहाबाद ऑफिस में तैनात हैं। सिपाही आशीष मिश्र ने हिंदी व इतिहास से परास्नातक तक की पढ़ाई की है। बाद में बीएड व ह्यूमन राइट्स पर डिप्लोमा भी किया लेकिन पुलिस में आने के बाद उन्होंने उन बातों को याद रखा जो कभी वर्दी पाने के पहले सोंचते थे।
बदलाव की तस्वीर
वर्दी मिलने के बाद से ही आशीष ने ठान लिया कि वो आम वर्दीधारियों के ढर्रे पर नहीं चलेंगे बल्कि लीग से हटकर अपने कर्तव्यों को निभाएंगे। वो बदल की पहल करेंगे और आखिरी दम तक प्रयासरत रहेंगे। इसके लिए आशीष सोशल साइट्स पर पुलिस मित्र नाम से ग्रुप भी चलाते हैं और अब उनके साथ हजारों लोग जुड़ चुके है ।
ऐसे करते हैं मदद
आज जब आशीष सड़क पर खड़े थे तब बंजारा जीवन जी रहे कुछ बच्चे सड़क पर टहलते हुए आ गए। आमतौर पर ऐसे बच्चे पुलिस की वर्दी देखकर ऐसे भाग खड़े होते हैं जैसे ओझा को देखकर भूत लेकिन ये बच्चे तो इंसान को उसकी नजर से टाल जाते हैं कि वो कैसा इंसान है। फिर क्या आशीष में अच्छा इंसान देख बच्चे नजदीक आए और बोले बाबू जी भूख लगी है। फिर क्या था आशीष ने बच्चों को न सिर्फ खाना खिलाया बल्कि उनके पास बैठकर खुद भोजन किया। फिर बच्चों को ठेले से फल खरीदे तो बचपन मानों सावन की तरह खिलखिलाकर हंस पड़ा। बस यही खुशी तो आशीष को सुकून देती है। लोगों की जिंदगी में थोड़ी सी भी रोशनी कर पाने पर आशीष इसे असीम आनंद मानते हैं। आशीष कहते हैं सिपाही होने के साथ मानव सेवा करना पहला प्रयास है।
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