चांद तारे वाले हरे झंडे को बैन करने पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब
लखनऊ। उत्तर प्रदेश शिया सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने हरे रंग पर चांद तारा बने झंडे पर आपत्ति जताते हुए उच्चतम न्यायालय में याचिका दाखिल की थी। याचिका सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने भारत सरकार से मामले को गंभीरता से लेने को कहा है।
इस मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार से कहा कि वो चांद-सितारे वाले हरे झंडे को बैन करने की याचिका पर अपना जवाब दे। सरकार इस बारे में क्या सोचती है। जस्टिस एके सिकरी की अध्यक्षता वाली दो जजों की पीठ ने अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा है कि वो सप्ताह में केंद्र सरकार की राय बताए। कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार की इस बारे में राय जानने के बाद ही याचिका पर कोई फैसला सुनाया जा सकता है।
इस्लाम
से
संबंध
नहीं:
याचिकाकर्ता
सुप्रीम
कोर्ट
में
यह
याचिका
दायर
करने
वाले
रिजवी
का
कहना
है
कि
ये
झंडा
पाकिस्तान
के
राष्ट्रीय
ध्वज
से
मिलता
हैं।
सरसरी
निगाह
से
देखने
पर
ये
वैसा
ही
लगता
है।
कुछ
मौलवियों
ने
गलत
तरीके
से
इस
झंडे
को
इस्लाम
से
जोड़
दिया
है,
जबकि
इनका
इस्लाम
से
कोई
लेनादेना
नहीं
है।
उन्होंने
कहा
कि
इस
झंडे
के
कारण
कई
बार
तनाव
फैलता
है
और
दो
समुदायों
के
बीच
दूरी
बढ़ती
है।
उन्होंने
याचिका
में
ये
भी
कहा
गया
है
कि
पैगम्बर
मोहम्मद
साहब
अपने
कारवां
में
सफेद
या
काले
रंग
का
झंडा
प्रयोग
करते
थे।
1906
में
मुस्लिम
लीग
ने
बनाया
था
ये
झंडा
हरे
रंग
पर
बना
सफेद
चांद
तारे
वाला
इस्लामिक
झंडा
नहीं
है,
बल्कि
1906
में
मुस्लिम
लीग
ने
इस
झंडे
को
बनाया
था।
भारत
और
पाकिस्तान
के
अलग
हो
जाने
के
बाद
ये
झंडा
मुस्लिम
लीग
के
साथ
पाकिस्तान
चला
गया।
इस
झंडे
को
पाकिस्तान
का
झंडा
कहकर
भारत
में
फहराया
जा
रहा
है
यह
झंडा
पाकिस्तान
की
राजनीतिक
पार्टी
मुस्लिम
लीग
कायदे
आजम
का
झंडा
बनने
के
बाद
से
आज
तक
है।