बाबा चुम्बक महादेव: इस शिवलिंग के समक्ष शपथ लेने से छूट जाती हैं सभी बुरी आदतें
इलाहाबाद। अगर आपको कोई बुरी आदत है और आप उस आदत को छोड़ना चाह रहे हैं लेकिन, लाख कोशिशों के बाद भी वह बुरी आदत आपसे दूर नहीं हो रही है तो आप सिर्फ दुआ और दवा तक ही सीमित ना रहें। बल्कि प्रयाग में स्थापित भगवान शिव के चुंबक महादेव स्वरूप का दर्शन करें। बाबा चुंबक महादेव के बारे में मान्यता है कि इनका दर्शन करने के पश्चात इनके सामने जो भी जिस बुरी आदत को छोड़ने की शपथ लेता है। वह आदत उसके जीवन से चली जाती है। लोगों का दावा है कि यहां ली गई शपथ भगवान शिव टूटने नहीं देते हैं। यह मंदिर प्रयाग के बेहद ही मशहूर इलाके कल्याणी देवी क्षेत्र में है। यहां कल्याणी देवी मंदिर परिसर में ही भगवान शिव का एक पुराना मंदिर बना हुआ है जहां पर स्थापित शिवलिंग को चुंबक महादेव के नाम से ख्याति प्राप्त है।
200
वर्ष
पूर्व
स्थापित
हुआ
था
शिवलिंग
कल्याणी
देवी
मंदिर
परिसर
में
स्थापित
इस
ख्याति
प्राप्त
शिवलिंग
के
नामाकरण
के
बारे
में
कोई
किवदंती
तो
प्रसिद्ध
नहीं
है।
लेकिन,
आपको
यहां
ऐसे
सैकड़ों
लोग
मिल
जाएंगे
जो
यह
दावा
करेंगे
कि
जो
भी
एक
बार
इस
शिवलिंग
का
दर्शन
कर
लेता
है
वह
चुंबक
की
तरह
यहां
आप
बार-बार
खिंचा
चला
आता
है।
मान्यता
है
कि
जब
बुरी
आदत
छोड़ने
के
लिए
कोई
शपथ
ली
जाती
है,
तो
भगवान
शिव
चुंबक
की
तरह
उससे
चिपक
जाते
हैं
और
बुरी
आदतों
से
उसे
दूर
रखते
हैं।
इसी
वजह
से
इन्हें
चुंबक
महादेव
कहा
जाता
है।
मंदिर
की
स्थापना
200
साल
से
पहले
कल्याणी
देवी
मंदिर
परिसर
में
की
गई
थी
और
इसी
नाम
से
लोग
हमेशा
से
इसे
जानते
रहे
हैं।
मंदिर
बहुत
भव्य
भले
ही
ना
हो
लेकिन,
स्वेत
पत्थर
से
निर्मित
शिवलिंग
बेहद
ही
सौंदर्य
से
भरा
हुआ
है।
वैसे
कल्याणी
देवी
मंदिर
का
पूरा
परिसर
ही
अद्भुत
शक्ति
का
बोध
कराता
है
और
यहां
हर
दिन
हजारों
की
संख्या
में
श्रद्धालुओं
की
भीड़
लगी
रहती
है।
गंगाजल
और
बेलपत्र
से
पूजा
जब
कभी
आप
इस
मंदिर
के
दर्शन
करने
जाएंगे
तब
आपको
इस
शिवलिंग
का
स्वरूप,
इसकी
शिल्प
कला
सब
कुछ
आपको
साधारण
लगेगी।
लेकिन,
दर्शन
के
बाद
ऊर्जा
से
भरे
जाने
वाले
आपके
मन
को
यह
शिवलिंग
असाधारण
शक्ति
संपन्न
होने
का
एहसास
कराएगा।
यहां
गंगा
जल
और
बेलपत्र
चढ़ाने
से
बाबा
चुंबक
महादेव
प्रसन्न
हो
जाते
हैं।
वैसे
आपने
भगवान
शिव
के
हजारों
से
शिवालयों
के
बारे
में
उनकी
शक्तियों
के
बारे
में
सुना
होगा।
लेकिन,
यहां
शिव
की
विशिष्ट
कृपा
अपने
आप
में
अद्वितीय
है।
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