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'हमें आडवाणी बना दिया रे अक्लेस.. लोग हंस रए हैं हमाए ऊपर'

मुलायम ने आवाज लगाकर कई बार घर आए अखिलेश के लिए चाय लाने को कहा लेकिन कोई नहीं आया तो दोनों सोफे पर बैठकर बातें करने लगें। दोनों की बीच जो बात हुई है, वो हमें भी पता चल गई है।

By रिज़वान
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नई दिल्ली। अखिलेश यादव के सामने मुलायम सिंह यादव पूरी तरह से चित्त हो गए हैं। साइकिल का निशान और समाजवादी पार्टी, दोनों ही अब अखिलेश के हैं। तमाम मनमुटाव के बावजूद अखिलेश यादव अपने पिता नेताजी मुलायम सिंह का सम्मान कर रहे हैं। अब चुनाव आयोग से उन्हें साइकिल को अपनाने की परमिशन मिल गई है तो वो आज साइकिल, पिताजी का आशीर्वाद और कुछ जरूरी सामान लेने नेताजी के पास उनके घर पहुंचे।

अखिलेश पहुंचे तो वहां पहले से मौजूद अखिलेश के भाई प्रतीक और सौतेली मां साधना उठकर दूसरे कमरे में चले गए। मुलायम ने आवाज लगाकर कई बार अक्लेस के लिए चाय लाने को कहा लेकिन कोई नहीं आया तो दोनों सोफे पर बैठकर बातें करने लगें। दोनों की बीच जो बात हुई है, वो हमें भी पता चल गई है।

हमें आडवाणी बना दिया रे अक्लेस.. लोग हंस रए हैं हमाए ऊपर

अखिलेश-नेताजी, हमें उत्तर प्रदेश चुनाव के लिए आशीर्वाद दीजिए।

नेताजी- पाटी, संगठन, कार्यकर्ता, परिवार, साइकिल सब ले लिए हो तो अब आशीवाद को ही क्या मना करेंगे तुमे, वो भी ले लो.. जाओ, हमाए आसीवाद तुमाए साथ है।

अखिलेश- हां, बस अब आपके आशार्वाद की ही कमी है नेताजी, बाकी कहीं और तो आपकी जरूरत भी नहीं है।

नेताजी- अक्लेस, ये तो बता तूने ऐसा क्यों किया? तू तो हमे एक झटके में ही आडवाणी बना दिया रे.. लोग हंस रए हैं हमाए ऊपर, कह रहे बेटे ने मागदशक बना के कोना में डाल दिया नेताजी को।

अखिलेश- नेताजी, आप मेरे पिता हैं, और मैं आपके साथ कुछ गलत नहीं होने दूंगा।

नेताजी- हमें राजनीति सिखा रए हो अक्लेस? अब क्या बचा है हमारे पास जो ये सब डायलॉग मार रहे हो। जाओ, ऐश करो..

अखिलेश-नेताजी, आप सर्वेसर्वा हैं, पार्टी के भी और परिवार के भी. आपके पास सबकुछ है। आप ये क्यों कहते हैं कि मेरे पास कुछ नहीं है।

नेताजी- हमाए पास तो अब सिप्पाल ही बचा है.. तन्हा, अकेला। भगवान तेरा भला करे अक्लेस... अरे अक्लेस, हमाए भाई सिप्पाल को भी अपने साथ ही रख लो. जो काम सही लगे पाटी में दे देना।

अखिलेश- आप कहते हो तो मान लेता हूं नेता जी लेकिन प्रदेश के लिए तो मैंने नेता चुन लिया है। चाचा शिवपाल को मैं खाड़ी देशों में पार्टी के प्रचार की जिम्मेदारी देकर सऊदी अरब भेज दूंगा।

नेताजी- अरे अक्लेस, हमाई ही कुछ लाज-सरम कल्ले कमसेकम। हमाई थोड़ी सी भी ना मानेगा तू।
अखिलेश- आपका पूरा ख्याल रखा जाएगा नेताजी, मैं आपके पड़ोस में ही तो रहता हूं। चाय, पानी, कंबल जिस चीज की जरूरत पड़े अपने पोते-पोती को आवाज लगा लेना। नेताजी, बातों में भूल गया था, मुझे प्रदेश में जाना है... साइकिल कहां खड़ी है, दिख नहीं रही।

नेताजी- ऊ देखो वहां कबाड़ में... वहीं कहीं खड़ी होगी या पड़ी होगी तुमाई साइकिल।
अखिलेश-नेताजी, इस तरह कूड़े में रखता है कोई इतनी काम की चीज को... और ये क्या? दोनों टायर पंक्चर?

नेताजी- ऊ तो मैंने नहीं किया... अच्छा समझा. वो सिप्पाल गया था कूड़े की तरफ चुनाव आयोग का फैसला आने के बाद...

अखिलेश- खैर नेताजी, पंक्चर है तो क्या हुआ। मैं ले जाऊंगा ऐसे ही अपनी साइकिल को लाइए चाबी दीजिए। आप तो ताला लगाकर खड़े किए हैं।

नेताजी-चाबी हमाए पास नहीं है, वो तो को गई। कंधे पर उठाए के ले जा. हमाए पास ना चाबी-वाबी...

अखिलेश- नेताजी, साइकिल को तो मैं ले ही जाऊंगा और आप रोक भी ना सकेंगे लेकिन ये बताइए मैं ताला लगी साइकिल को चलाउंगा कैसे?

नेताजी- ऊ, तुमाए चाचा हैं ना आमओपाल. ऊ एसपर्ट है नकली चाबी से ताला खोलने में. काहे घबराए हो, जाके उसे दिखा देना वो खोल देगा सब ताले। जाओ अब... वर्ना याद रखो हम भी पहलवान हैं।

राहुल सर, क्रीज में रहकर खेलिए, आप फिर स्टंप होते-होते बचे हैं

हमें आडवाणी बना दिया रे अक्लेस.. लोग हंस रए हैं हमाए ऊपर
एक तरफ सब कांग्रेस को मुकाबले से बाहर मान रहे हैं तो वहीं राहुल हैं कि खुद को राहुल द्रविड़ के स्टाइल से निकाल कर लोकेश राहुल के स्टाइल में ला रहे हैं। वो पिच छोड़कर आगे निकलते हैं और उठा के खेलते हैं। राहुल बाबा गए थे एक रैली में.. लोगों ने उत्साह नहीं दिखाया तो उन्हें लगा कि क्रीज छोड़कर खेलना चाहिए।

राहुल ने एक लंबी बॉल देखकर क्रीज छोड़ी। वो माइक से हटे, बोलते-बोलते अपनी मंहगी जैकेट उतारी और दिखा दी अपनी फटी हुई जेब। राहुल बाबा ने कहा कि देखो हालत क्या हो गई हमारी।

राहुल बाबा की फटी जेब भीड़ ने देखी तो थोड़ा परेशान हुई। किसी ने आवाज दी, राहुल भैया, क्रीज छोड़कर मारे फिर भी 30 गज के घेरे से पार नहीं। आखिर खुद फटेहाल हैं तो हमें क्या बचाएंगे?

अब राहुल ने इतना सुना तो परेशान हो गए। बोले, नोटबंदी में चार हजार मिले थे, कुछ दिन पहले। उन्हीं में घर का भी खर्च चलाया भैया और विदेश भी घूमने चला गया, अब नोटबंदी में विदेश जाऊंगा तो क्या सही-सलामत वापस आऊंगा? फट गई जेब...

रैली में बैठे लोगों ने फिर पूछा, भैया फिर हम को कैसे मुश्किल से निकालेंगे ये तो बता दीजिए?

राहुल ने फिर क्रीज छोड़ी, कहने लगे अब मैंने सुना है कि एटीएम से पैसा निकालने की तादाद बढ़ गई है। अब दस हजार मिलेंगे। मैं अपना एटीएम ले आऊंगा और साथ में मम्मी की एटीएम भी और फिर पैसे निकालकर सब चलेंगे विदेश घूमने चलेंगे.. बताइए भैया, कौन-कौन तैयार है?

भीड़ के हाथ उठे कुछ के विदेश जाने के लिए कुछ के सिर पकड़ने के लिए.. तब तक पीछे खड़े सिक्योरिटी के बंदे ने तेजी से आकर उनको जैकेट पहनाई और बोला.. सर, क्रीज में रहकर खेलिए , आप फिर से स्टंप होते-होते बचे हैं।
(ये एक व्यंग्य लेख है)

"सिद्धू जी, आप जान-बूझकर तो ऐसे शेर नहीं सुना रहे जो मुझे समझ में ना आएं"

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English summary
Satire akhilesh yadav in mulayam singh house and rahul gandhi in rally
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