पैसे लेकर बेची गईं सीटें..RLD प्रदेश अध्यक्ष ने आरोप लगाते हुए अपने पद से दिया इस्तीफा
लखनऊ, 20 मार्च: हाल ही में संपन्न हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल गठबंधन कर चुनाव लड़ी। लेकिन यूपी की सत्ता पर काबिज नहीं हो सकी। गठबंधन की हार के बाद राष्ट्रीय लोकदल में तूफान मच गया है। आरएलडी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. मसूद अहमद ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। साथ ही, उन्होंने जयंत चौधरी और अखिलेश यादव के नाम एक चिट्ठी लिखी है। उस चिट्ठी में उन कारणों का जिक्र किया गया है जिस वजह से यूपी चुनाव के दौरान ये गठबंधन फ्लॉप साबित हो गया।

डॉ. मसूद अहमद ने अपने 7 पन्नों के पत्र में सबसे बसे बड़ा आरोप तो ये लगाया गया है कि चुनाव से पहले टिकटों को बेचा गया था। दूसरा आरोप ये है कि समय रहते गठबंधन की सीटों का ऐलान नहीं किया गया था। तीसरा आरोप है कि सपा द्वारा रालोद, महान दल, आजाद समाज पार्टी का अपमान किया गया। इस सब के अलावा मसूद अहमद की माने तो जब-जब दलित या फिर मुस्लिम समाज से जुड़ा कोई भी अहम मुद्दा आया तो उन पर अखिलेश यादव और जयंत चौधरी ने चुप्पी साध ली, जिसका सियासी नुकसान सभी पार्टियों को चुनाव के दौरान उठाना पड़ा।
आरएलडी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. मसूद अहमद ने कहा कि गठबंधन में लोग भाजपा के खिलाफ लड़ने के बजाय सीट बंटवारे को लेकर आपस में भिड़ गए। हमारे नेताओं की गलतियों के कारण हम जीत नहीं सके। हापुड़, बीकापुर समेत कई सीटों पर पैसा मांगा गया। जिससे पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल टूट गया। संगठन के दबाव में मैंने आपको सूचित किया। लेकिन आपने कोई कार्रवाई नहीं की। आपके द्वारा इसे पार्टी हित में बताकर मुद्दा टाल दिया गया। इतना ही नहीं, चिट्ठी में उन्होंने जयंत चौधरी और अखिलेश यादव पर सुप्रीमो कल्चर अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि संगठन को दरकिनार कर दिया गया।
मसूद ने आगे लिखा, ''जौनपुर सदर जैसी सीटों पर्चा भरने में आखिरी दिन तीन बार टिकट बदले गए। एक सीट पर सपा के तीन-तीन उम्मीदवार हो गए। इससे जनता में गलत संदेश गया। नतीजा ये कि ऐसी कम से कम 50 सीटें हम 200 से 10000 मतों के अंतर से हार गए। चिट्ठी में इस बात पर भी जोर दिया गया है कि सिर्फ चुनाव के दौरान प्रचार के लिए बाहर आने से कुछ नहीं होने वाला है। जनता के बीच रहना जरूरी है।
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मसूद अहमद ने जयंत चौधरी और अखिलेश यादव से अपने इस पत्र का 21 मार्च तक जवाब मांगा है। उन्होंने चिट्ठी में लिखा, यदि आप चाहें तो मुझे पार्टी से निष्कासित कर दें, लेकिन इन सवालों के जवाब 21 मार्च को होने वाली बैठक में या उससे पहले जनता के सामने रखें। यह पार्टी और गठबंधन के हित में होगा। यदि आप दोनों इन प्रश्नों का उत्तर 21 मार्च तक नहीं देते हैं तो इस पत्र को मेरा पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र माना जाए।