राम लला हम आएंगे.....यह ऐतिहासिक नारा देने वाले बाबा सत्यनारायण मौर्य कौन हैं, जानिए
अयोध्या- 'राम लला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे'- 5 अगस्त को यह नारा ऐतिहासिक रूप से सच साबित होने जा रहा है। इसकी सारी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। देश के प्रधानमंत्री खुद 5 अगस्त को पवित्र राम मंदिर निर्माण का कार्य उसकी आधारशिला रखकर शुरू करने वाले हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि यह सफल नारा देने वाले बाबा सत्यनारायण मौर्य कौन हैं, जो करोड़ों लोगों की जुबान पर तो हमेशा के लिए चढ़ ही गया था, मंदिर आंदोलन के विरोधी भी भाजपा पर निशाना साधने के लिए इसका अक्सर उलटा प्रयोग करते देखे जा चुके हैं। बता दें कि यह नारा पहली बार 1986 में अयोध्या में नहीं, बल्कि मध्य प्रदेश के उज्जैन में लगाया गया था।
बाबा सत्यनारायण मौर्य ने दिया था ये नारा
राम मंदिर आंदोलन के दौरान एक ही नारा बच्चे-बच्चे की जुबान से गूंजा करता था- 'राम लला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे।' 5 अगस्त, 2020 को वह नारा सफल होने जा रहा है। उस दिन से अयोध्या में भगवान राम की जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण का कार्य शुरू हो रहा है। जिन्होंने यह नारा दिया था वह आज बेहद खास इंसान बन चुके हैं। वह लोगों के बीच बाबा सत्यनाराण मौर्य के नाम से लोकप्रिय हैं। मध्य प्रदेश के राजगढ़ के रहने वाले मौर्य ही वह शख्स हैं, जो 6 दिसंबर, 1992 को अयोध्या में मंच का कोऑर्डिनेशन देख रहे थे। खास बातचीत में मौर्य ने बताया है कि उन्हें इस बात की बहुत ही ज्यादा खुशी है कि यह नारा इतना लोकप्रिय बन गया। मंदिर आंदोलन के दौरान इन्होंने कई बार अयोध्या में दीवारों पर पेंटिंग भी बनाई थी।
'राम लला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे'
उन्होंने बताया कि यह नारा कब दिया और कैसे इतना लोकप्रिय बन गया। उनका कहना है कि, '1986 मैं उज्जैन में बजरंग दल के एक शिविर में कार्यकर्ता के रूप में शामिल हुआ था और एक सांस्कृतिक संध्या के दौरान मैनें यह नारा दिया- राम लला हम आएंगे......। लेकिन, हम नारे लगाने को लेकर बहुत अधिक गंभीर नहीं थे। मुझे खुशी है कि यह इतना लोकप्रिय हो गया।' अयोध्या में राम जन्मभूमि आंदोलन के दौरान इनपर 'प्रचार प्रमुख' का दायित्व था और अब निर्माण के बाद ये मंदिर परिसर में अपनी प्रदर्शनी लगाने की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि वह एक भव्य प्रदर्शनी पर काम कर रहे हैं, जो मंदिर में दिखाई जाने वाली प्रदर्शनी का हिस्सा बन सकती है। उनके मुताबिक, 'अयोध्या शोध संस्थान जो कि उत्तर प्रदेश संस्कृति विभाग का एक संगठन है, प्रदर्शनी के उन पेंटिंग्स और सामग्रियों का समन्वय कर रहा है, जो इस स्थल के इतिहास और इससे जुड़े संघर्ष को प्रदर्शित करेगा।'
मंदिर आंदोलन के विरोधी भी लगाते थे अलग अंदाज में ये नारा
गौरतलब है कि यह नारा इतना लोकप्रिय हुआ कि मंदिर आंदोलन के विरोधियों की भी जुबान पर चढ़ गया था। भाजपा नेताओं को उनके विरोधी दल वाले अक्सर यह कहकर तंज कसते थे कि 'मंदिर वहीं बनाएंगे, लेकिन तारीख नहीं बताएंगे।' लेकिन, आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर आंदोलन से जुड़े लोगों का इस नारे के जरिए बुना गया सपना सही साबित कर दिया। अब 5 अगस्त को होनी वाली भूमि पूजन और शिलान्यास समारोहों की तैयारियां अंतिम चरण में हैं। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शनिवार को खुद तैयारियों का जायजा लेकर लौट चुके हैं। मंगलवार को उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य भी हनुमानगढ़ी पहुंचे। श्री राम जन्मभूमि मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास ने खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों आधारशिला रखे जाने के कार्यक्रम की पुष्टि की है। जिस तरह से बाबा सत्यनाराण मौर्य का दिया वह नारा ऐतिहासक बन गया, उसी तरह से सुप्रीम कोर्ट से 9 नवंबर, 2019 को राम मंदिर के हक में आया वह फैसला ऐतिहासिक बन चुका है।
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