अजय सिंह से कैसे बने महंत आदित्यनाथ, जानिए यूपी के नए सीएम को
महंत आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के नए मुख्यमंत्री हैं। जानें गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर से 5 कालीदास मार्ग तक आदित्यनाथ के सफर के बारे में।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश को उसका नया मुख्यमंत्री मिल चुका है। वो कोई और नहीं गोरखपुर से सांसद महंत आदित्यनाथ हैं। बता दें कि इस बार के विधानसभा चुनाव में देश में मोदी, प्रदेश में योगी, का नारा खूब चला था, जो अब चरितार्थ हो चुका है।
दिलचस्प रहा है सफर
यह बात दीगर है कि उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से सांसद योगी आदित्यनाथ लगातार सुर्खियों में बने रहते हैं। उनको को पंसद करने वाले और नापसंद करने वाले सभी एक बात को मानते हैं कि उन्हें पूर्वी उत्तर प्रदेश की राजनीति में अनदेखा नहीं किया जा सकता है। चुनाव के दौरान उत्तर प्रदेश में भाजपा का अहम चेहरा रहे आदित्यनाथ का राजनीतिक सफर काफी दिलचस्प रहा है।
उत्तराखंड से की है पढ़ाई
5 जून 1972 को जन्में महंत आदित्यनाथ का असली नाम अजय सिंह हैं। इन्हें अल्पसंख्यक समुदाय, खासकर मुस्लिमों को लेकर काफी आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल करने के लिए जाना जाता रहा है। हालांकि शोहरत ने इनके कदम आदित्यनाथ के नाम से ही चूमे। उत्तराखंड के एक गांव में पैदा हुए योगी ने गढ़वाल यूनिवर्सिटी से बीएससी की पढ़ाई की।
तब मिला आदित्यनाथ नाम
पढ़ाई के बाद वो गोरखनाथ मंदिर के महंत अवैद्यनाथ के संपर्क में आए। मंहत ने दीक्षा देकर अजय को योगी आदित्यनाथ का नाम दिया। अवैद्यनाथ ने 1998 में राजनीति से संन्यास लिया तो योगी आदित्यनाथ को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया।
और तब से हैं सांसद
अवैद्यनाथ ने 1998 में अपनी जगह योगी आदित्यनाथ को गोरखपुर से लोकसभा चुनाव लड़वाया, चुनाव जीतकर सिर्फ 26 साल की उम्र में योगी लोकसभा में पहुंच गए। तब से लगातार गोरखपुर लोकसभा सीट पर योगी का कब्जा है।
हिन्दू वाहिनी का किया गठन
महंत आदित्यनाथ अपनी कट्टर हिन्दू छवि के लिए जाने जाते हैं। राजनीति में पहचान बनी तो उन्होंने हिंदू युवा वाहिनी का गठन किया। वाहिनी पर कई मौकों पर कानून हाथ में लेने के आरोप लगे हैं। 2007 में गोरखपुर दंगे में योगी आदित्यनाथ को मुख्य आरोपी बनाया गया। इसमें उनकी गिरफ्तारी भी हुई। आदित्यानाथ गोरखनाथ मंदिर के महंत भी हैं।
बदलवा दिए थे मुहल्लों के नाम
महंत आदित्यनाथ ने राजनीति में अपनी ताकत बढ़ने पर गोरखपुर के कई ऐतिहासिक मुहल्लों के नाम तक बदलवा दिए हैं। उन्होंने उर्दू बाजार का नाम हिंदी बाजार कराया तो अली नगर को आर्यनगर का नाम दिया। मियां बाजार को माया बाजार का नाम दिया गया। ऐसे और भी कई उदाहरण हैं, जब आदित्यनाथ के सामने शासन-प्रशासन मुंह ताकते नजर आए हैं।
क्यों हैं लोगों की पसंद
लोगों का मानना है कि योगी जाति विशेष के विकास को मद्दनेजर न रखते हुए हिंदुत्व को आगे बढ़ाने पर फोकस करते हैं। कुछ लोगों का यह भी कहना है कि योगी आदित्यनाथ के बारे में एक सांप्रदायिक नेता होने की हवा बना दी गई है जबकि ऐसा नहीं है। वे हर धर्म का आदर करते हैं, हां यदि अन्याय हो रहा है तो निश्चित ही उसकी मुखालिफत करना गलत नहीं है।
इसलिए लोग करते हैं नापसंद
महंत आदित्यानाथ को नापसंद करने की सबसे बड़ी वजह है उनकी ओर से दिए गए विवादित बयान, लेकिन यूपी में की लोकप्रियता की वजह से उन्हें सार्वजनिक तौर पर कभी कुछ नहीं कहा गया। कट्टर सोच के लिए जहां एक बड़े वर्ग में पसंद किए जाते हैं वहीं एक वर्ग इसी वजह से उन्हें नापसंद भी करता है। कुछ का मत यह है कि भले ही योगी हिंदुत्व के प्रति कट्टर हों लेकिन वे ब्राह्मण वर्ग के हितैषी नहीं हैं।
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