पत्नी की जान बचाने के लिए बेटे को बेचने पर मजबूर हुआ ये पिता, पुलिस ने की आर्थिक मदद
कन्नौज। उत्तर प्रदेश के कन्नौज से एक सनसनीखेज और हृदय विदारक मामला सामने आया है। यहां एक बेबस और लाचार पिता ने अपने ही कलेजे के टुकड़े का महज 25 हजार रुपए में सौदा कर दिया। यह सौदा उसने इसलिए किया ताकि वह अपनी पत्नी का इलाज करा सके। अपनों की जान बचाने के लिए आपने मकान और जमीन बेंचते तो सुना होगा, लेकिन बेटे को बेंचते हुए शायद ही किसी ने सुना हो। प्रसव पीड़ा से जूझ रही पत्नी के इलाज के लिए जब पैसे कम पड़े, तो युवक ने पत्नी और पेट में पल रहे बच्चे की जान बचाने के लिए अपने एक बेटे का सौदा कर दिया।
कन्नौज सौरिख थानाक्षेत्र के गांव बरेठी दारापुर निवासी अरविंद बंजारा बेहद गरीब हैं। उसकी चार वर्ष की एक बेटी रोशनी और एक साल का बेटा जानू है। पत्नी सुखदेवी सात माह से गर्भवती है। बुधवार सुबह सुखदेवी को अचानक तेज प्रसव पीड़ा होने लगी। इससे वह पत्नी को सौ सैय्या जिला अस्पताल ले गया। जहां चिकित्सकों ने उसके शरीर में बेहद कम खून पाया। यहां से उसे आगे रेफर कर दिया गया। इसके बाद अरविंद बंजारा पत्नी को लेकर जिला अस्पताल कन्नौज ले आया, जहां उसे भर्ती नहीं किया गया। अरविंद ने आरोप लगाया कि जिला अस्पताल में नर्सों ने उससे 25 हजार रुपए की मांग की है।
पैसे न होने पर वह पत्नी को लेकर मेडिकल कॉलेज पहुंचा। जहां सुखदेवी की नाजुक हालत देखकर चिकित्सकों ने भर्ती नहीं किया। पत्नी के इलाज के लिए पैसे न होने पर अरविंद ने अपने एक वर्षीय बेटे जानू को बेंचने का फैसला कर लिया। पत्नी और बच्चों के साथ मेडिकल कॉलेज के गेट पर आकर एक युवक से सौदा करने लगा। अरविंद ने पत्नी और उसके गर्भ में पल रहे बच्चे की जान बचाने के लिए 30 हजार रुपए में बच्चे को बेंचने की बात कही, लेकिन खरीदार 25 हजार रुपये देने को राजी हुआ।
खरीदार अपनी पत्नी से बच्चे को खरीदने की राय लेने घर चला गया। तभी कुछ लोगों ने इसकी सूचना पुलिस को दे दी। इससे मौके पर पहुंचे मेडिकल कॉलेज चौकी प्रभारी बृजेंद्र कुमार पुलिस बल के साथ पहुंच गए और अरविंद व उसकी पत्नी से पूछताछ की। अरविंद ने बताया कि वह बेहद गरीब है। पत्नी और पेट में पल रहे बच्चे को बचाने के लिए उसने अपने बेटे को बेंचने का फैसला लिया था। इसके बाद चौकी प्रभारी ने गंभीर हालत में सुखदेवी को मेडिकल कालेज में भर्ती कराया। चौकी प्रभारी ने सुखदेवी के इलाज में खर्च होने वाले पैसों की जिम्मेदारी ली।