काशी विश्वनाथ मंदिर में पवित्रता के लिहाज से ये सामान हुए बैन, पढ़िए पूरी लिस्ट
वाराणसी। काशी विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह में प्लास्टिक और थर्माकोल की लुटिया या गिलास ले जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। अब मंदिर के पुजारी भी प्लास्टिक के लोटे और बाल्टी को लेकर मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकेंगे। श्रद्धालु बाबा के जलाभिषेक के लिए गंगा जल या दूध कागज के गिलास में ले जा सकेंगे। पर्यावरण और श्रद्धालुओं की सुविधा की दृष्टि से ये निर्णय लिया गया है।
श्री काशी विश्वनाथ न्यास परिषद ने बैठक में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया गया है। इसमें नई व्यवस्था के अनुसार गर्भगृह में श्रद्धालुओं को चंदन लगाने, माला पहनाने और चरणामृत देने पर भी रोक लगा दी गई है। इसके लिए मंदिर परिसर में तीन स्थान चिह्नित किए गए हैं और इसके लिए यहीं पर व्यवस्था की जाएगी। गगरा में जल से जलाभिषेक को भी पूर्णत: प्रतिबंधित कर दिया गया है।
जलाभिषेक के बाद बर्तन फेंक देने की वीडियो सामने आने के बाद जलाभिषेक के लिए विग्रह कद स्वरूप के मुताबिक जल की धारा अर्पित करने के लिए स्टैण्ड बनेगा। ताकि विग्रह सुरक्षित रहे। इस व्यवस्था को लेकर गगरा में जल चढ़ाने पर पूरे तरीके से प्रतिबंध लगा दिया गया है। बता दे कि इसके पहले भी मंदिर परिसर में ज्वलनशील पदार्थ, तम्बाकू, इलेक्ट्रिक सामानों और नारियल, मिट्टी के पात्र सहित कई वस्तुओं पर प्रतिबंध है।
गर्भगृह की पवित्रता के लिए लिया गया फैसला
दरसअल श्रावण माह सहित तमाम विशेष पर्व पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन करने ले लिए बढ़ती जा रही है। यही नहीं आलम ये है कि शहर की सड़कों पर चारों तरफ 7 से 8 किलोमीटर की लंबी लाइन लगती जा रही है। लोग दर्शन और जलाभिषेक के बाद जल भर कर आये प्लास्टिक के लोटे और ग्लास को विग्रह के अरघे में छोड़ देते है या छूट जाते है। जिससे विग्रह की पवित्रता के लियाज से ठीक नहीं और विग्रह की सुरक्षा को भी देखा जा रहा है। न्यास के अध्यक्ष पंडित अशोख त्रिवेदी ने बताया कि न्यास की 95 वीं बैठक में ये फैसला लिया गया है जो जल्दी ही लागू हो जाएगी।