गजब! यूपी में ऐसी जगह जहां बेमौसम पेड़ों पर आते हैं आम
कानपुर। फलों का राजा आम सभी को लुभाता है। चाहे कच्चा आम हो या पका सबका यह मनपसंद फल है। हर किसी के मुंह में पानी आना लाजमी है क्योंकि यह फल है ही इतना लजीज। एक शीतल पेय के विज्ञापन में भी ताजे आम का स्वाद हर सीजन में देने का दावा किया जाता है लेकिन यूपी के कानपुर शहर में एक ऐसी जगह है जहां पर सितंबर माह में भी पेड़ से ताजा आम तोड़कर स्वाद ले सकते हैं।
आमूमन बारिश शुरू होते ही आम का फल बाजार से भी गायब हो जाता है लेकिन सितंबर महीने में पेड़ पर आम का फल देखकर लोगों में कौतूहल बना है। वैसे तो आम का मौसम मार्च से जुलाई के बीच का होता है मगर सितंबर में अगर कोई आम का पेड़ फल से लद जाए जाए तो क्या कहेंगे। इन दिनों कानपुर के रेलवे इलेक्ट्रिक लोको शेड में भीड़ लग रही है। लोको शेड में फलों से लदा आम का पेड़ चर्चा का विषय बना हुआ है। अधिकारियों के मुताबिक इस पेड़ पर कुछ सालों बाद इस मौसम में फल आते हैं।
चंद्रशेखर आजाद विवि के हार्टीकल्चर विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर विवेक त्रिपाठी कहते हैं कि कुछ पेड़ों में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के चलते बेमौसम फल आते हैं। इस मौसम में पैदा होने वाला आम बेहद खट्टा होता है। फल को मीठा बनाने के लिए 4 किलो गोबर की खाद, आधा किलो पोटाश, 200 ग्राम डीएपी, 50 ग्राम बोरेक्स मिलाकर पेड़ की जड़ में डालना होगा। शहर व आसपास के क्षेत्रों में गर्मी के मौसम में दशहरी आम की मांग ज्यादा रहती है। पड़ोसी जनपदों में सैकड़ों बाग हैं, जिनमें दशहरी आम की पैदावार अधिक होती है। इसके अलावा तोतापरी, चौसा और मलिहाबादी आम की भी अधिक मांग रहती है।
आमों में बीटा कैरोटीन की मात्रा भी अधिक होती है। स्वादिष्ट होने के साथ-साथ यह तमाम पोषक तत्वों से भी भरपूर होता है। आमों में पाया जाने वाला एडिपोनेक्टिन, कोलेस्ट्रॉल कम करता है और इंसुलिन के निर्माण को बढ़ाता है जिसके कारण शरीर में ऊर्जा अधिक मिलती है।
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