यूपी के इस शहर को अलग 'राज्य' बनाने की मांग लिए पिछले डेढ़ महीने से धरना दे रहे हैं यहां के लोग
बुंदेलखंड। बुंदेलखंड पृथक राज्य की मांग अब जोर पकड़ने लगी है। डेढ़ माह से अनशन पर बैठे बुंदेलों ने सरकार को आईना दिखाने के तमाम प्रयास किये हैं, मगर आज केंद्र और प्रदेश की बीजेपी सरकार को मृत मान करीब 250 से अधिक बुंदेलों ने सामूहिक मुंडन करा मौजूदा सरकार का अंतिम संस्कार कर विरोध का संकेत दिया है। आगाह किया कि आगामी समय मे सरकार ने पृथक बुंदेलखंड राज्य की मांग पर बल नहीं दिया तो बुंदेले सरकार की ईंट से ईंट बजाकर अपना अधिकार छीन लेने को विवश होंगे।
महोबा के आल्हा चौक पर 250 से अधिक बुंदेलों का जमावड़ा किसी शमसान घाट का नहीं बल्कि यह विरोध है मौजूदा केंद्र और राज्य की बीजेपी सरकार का। जी हां, करीब डेढ़ माह से पृथक बुंदेलखंड राज्य की मांग को लेकर सैकड़ों समाज सेवी संगठन धरना प्रदर्शन करते आ रहे हैं। बावजूद सरकार द्वारा लगातार उपेक्षा की जा रही है। बुंदेलों ने अलग राज्य की मांग को लेकर तमाम पत्राचार कर सरकार को आगाह किया है। मगर सरकार की उदासीनता के चलते अब बुंदेलों ने मौजूदा सरकार को मृत मान लिया है।
बुंदेलखंड क्षेत्र में विकास के तमाम संसाधनों के बाद भी सरकार करोड़ों बुंदेलों को धोखा दे रही है। बुंदेलों ने कहा कि सरकार द्वारा बुंदेलखंड की उपेक्षा किये जाने और 61 वर्ष पुरानी अलग राज्य की मांग न माने जाने पर हम हमने सरकार को मृत समझ लिया है। इसी के मद्देनजर आज हम सभी 250 से अधिक बुंदेलों ने बहुचर्चित आल्हा चौक पर एकजुट होकर अपना सामूहिक मुंडन करा सरकार का अंतिम संस्कार कर दिया है। बुंदेलों ने माना कि अगर मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश के 23 जनपद मिल जाएंगे तो छोटे परिवार की तरह छोटे राज्य से विकास के नए आयाम खुलेंगे। अनशनकारी तारा पाटकार बताते हैं कि यदि अलग राज्य की मांग न मानी गई तो अनशन का स्वरुप आगे चलकर विकराल होगा।
भीख नहीं अधिकार चाहिए ,बुंदेलखंड राज्य चाहिए,अभी तो यह अंगड़ाई है आगे और लड़ाई है। जैसे जोशीले नारों के साथ बुंदेलखंड के जवान एकजुट हो गए हैं। 62 बर्षों से अपने अधिकार की लड़ाई को वृहद रूप देने के लिए अब गूंगी-बहरी सरकार को मृत मान कर अंतिम संस्कार कर दिया है।आगामी समय मे पृथक राज्य की मांग को लेकर ये बड़ा आंदोलन करेंगे। मौजूदा पीएम नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनाव की झांसी में आयोजित रैली के दौरान सरकार बनते ही अलग बुंदेलखंड राज्य की सहमति जाहिर की थी। मगर यह अब तक पूरी नहीं हो सकी है। जबकि बीजेपी सरकार छोटे राज्यों की पक्षधर मगर राजनीती के नफा नुकसान को देखकर बुंदेलियों को उनका हक नहीं दिया जा रहा।
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