PCS-2013 में CBI ने पकड़ा खेल, UPPSC ने कटऑफ से 60 अंक ज्यादा पाने वाले को कर दिया फेल
इलाहाबाद। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की भर्तियों की जांच में जुटी सीबीआई ने पीसीएस 2013 की भर्ती मे बड़ा खेल पकड़ा है। इस भर्ती में एक उम्मीदवार को निर्धारित कटऑफ से 60 अंक ज्यादा मिलने के बावजूद उसे फेल कर दिया गया था। यह मामला सीबीआई के हाथ लगा है, जिससे अब गड़े मुर्दे का उखड़ना तय है। सीबीआई के इलाहाबाद कैंप कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार पीसीएस 2013 की भर्ती में लखनऊ के रहने वाले युवक को अभिहित अधिकारी पद के लिए निर्धारित कट ऑफ से 60 नंबर ज्यादा मिले थे। बावजूद उसके उसे फेल कर दिया गया। इतना ही नहीं दो बार हाईकोर्ट को संबंधित अभ्यार्थी के मामले में हस्तक्षेप करना पड़ा और दोनों बार अभ्यार्थी को आयोग ने कोर्ट के दखल के बाद पास कर दिया। हालांकि बाद में अभ्यार्थी का अकेले इंटरव्यू किया गया और फिर फेल कर दिया। आश्चर्य की बात है कि अभ्यार्थी खुद को इंटरव्यू में दिए गए नंबर को दिखाने की मांग आरटीआई के तहत कई बार कर चुका। लेकिन, आयोग इस पर कोई जवाब नहीं दे रहा है। बहरलहाल सीबीआई को मिले साक्ष्यों के आधार पर अब अभिहित अधिकारी के पूरा चयन ही धांधली में फंसा नजर आ रहा है।
अभ्यार्थी
ने
खुद
दिया
साक्ष्य
प्राप्त
जानकारी
के
अनुसार
पीसीएस
2013
में
अभिहित
अधिकारी
के
37
पदों
पर
विशेष
शैक्षिक
अर्हता
वालों
का
चयन
होना
था।
इसमे
केमेस्ट्री
के
साथ
एमएससी
या
समकक्ष
योग्यता
मांगी
गई
थी।
इसमे
लखनऊ
के
एक
अभ्यार्थी
ने
आवेदन
किया
और
उसे
पीसीएस
प्री-2013
में
एक्जीक्यूटिव
ग्रुप
में
सफल
किया
गया,
लेकिन
अभिहित
अधिकारी
के
लिए
असफल
कर
दिया
गया।
पहला
सवाल
यही
उठा
था,
क्योंकि
अभिहित
अधिकारी
की
मेरिट
काफी
नीचे
थी
और
अभ्यार्थी
एक्जीक्यूटिव
ग्रुप
में
सफल
था।
यानी
अधिक
नंबर
होने
के
बावजूद
उसे
जबरन
फेल
किया
गया।
हाईकोर्ट
ने
किया
हस्तक्षेप
सीबीआई
को
दिये
गये
साक्ष्य
में
बताया
गया
है
कि
अभ्यार्थी
ने
पहले
आयोग
में
अपील
की
कि
वह
अभिहित
अधिकारी
पद
की
योग्यता
रखता
है
इसलिए
उसे
इस
पद
के
लिए
भी
सफल
किया
जाए,
लेकिन
आयोग
ने
जब
अभ्यार्थी
को
राहत
नहीं
दी
तो
अभ्यार्थी
ने
हाईकोर्ट
में
याचिका
दाखिल
की।
याचिका
पर
सुनवाई
करते
हुए
कोर्ट
ने
आयोग
को
आदेशित
किया
तो
अभ्यर्थी
को
अभिहित
अधिकारी
पद
के
लिए
सफल
घोषित
कर
दिया
गया।
मुख्य
परीक्षा
में
भी
जबरन
फेल
अभ्यार्थी
ने
पीसीएस
2013
की
मुख्य
परीक्षा
दी
तो
वह
उसमें
वह
असफल
हो
गया।
लेकिन,
अंतिम
परिणाम
घोषित
होने
के
बाद
जब
आयोग
ने
पीसीएस
2013
का
कट
ऑफ
और
मार्कशीट
जारी
की
तो
अभ्यर्थी
का
नंबर
अभिहित
अधिकारी
पद
के
लिए
निर्धारित
कट
ऑफ
से
60
नंबर
ज्यादा
था।
अभ्यार्थी
ने
फिर
आयोग
में
अपील
की,
लेकिन
ने
दोबारा
उसे
सफल
नहीं
माना।
परेशान
अभ्यार्थी
फिर
से
हाईकोर्ट
की
शरण
में
गया
जिस
पर
सुनवाई
करते
हुए
हाईकोर्ट
ने
आयोग
की
कार्यशैली
पर
फटकार
लगाई
।
कोर्ट
के
आदेश
के
बाद
अभ्यार्थी
को
मुख्य
परीक्षा
के
लिये
भी
सफल
घोषित
किया
गया।
इंटरव्यू
में
फिर
फेल
और
सवाल
आयोग
ने
अभ्यार्थी
का
अकेले
इंटरव्यू
करवाया
और
अंतिम
तौर
पर
उसे
असफल
कर
दिया
गया।
अभ्यार्थी
ने
आयोग
से
आरटीआई
के
माध्यम
से
इंटरव्यू
मे
मिले
नंबर
की
जानकारी
मांगी,
लेकिन
आश्चर्यजनक
तौर
पर
अभ्यार्थी
के
कयी
आरटीआई
आवेदन
पर
कोई
जवाब
नहीं
मिला।
इस
मामले
के
साक्ष्य
मिलते
ही
सीबीआई
ने
आयोग
पर
सवालों
की
बौछार
कर
दी
है
और
आयोग
इस
मामले
में
अभी
तक
जवाब
नहीं
दे
सका
है।
याद
दिला
दें
कि
इसी
तरह
पीसीएस
2015
मेन्स
की
अभ्यर्थी
सुहासिनी
बाजपेई
और
2013
की
आरओ-एआरओ
भर्ती
में
गाजीपुर
की
महिला
अभ्यार्थी
का
भी
मामला
गड़बड़ी
से
जुडा
हुआ
है।
ये
है
उलझा
हुआ
मामला
सीबीआई
ने
आयोग
से
अभ्यार्थी
के
फेल
पास
होने
पर
सवाल
पूछा
तो
आयोग
ने
जवाब
दिया
कि
अभिहित
अधिकारी
का
पद
दिव्यांग
के
लिए
आरक्षित
था
इसलिए
संबंधित
अभ्यार्थी
को
सफल
नहीं
किया
गया
था।
इस
जवाब
पर
सीबीआई
ने
दोबारा
सवाल
किया
कि
जब
अभ्यर्थी
ने
हाईकोर्ट
में
याचिका
की
तो
वहां
यह
क्यों
नहीं
बताया
गया
कि
पद
दिव्यांग
के
लिए
आरक्षित
था
?
अभ्यर्थी
जब
पद
के
योग्य
नहीं
था
तो
उसका
इंटरव्यू
क्यों
करवाया
गया
?
फिलहाल
आयोग
सीबीआई
के
इन
प्रश्नों
में
उलझा
हुआ
है
और
उसे
समझ
में
नहीं
आ
रहा
कि
आखिर
जवाब
क्या
दे
?
फिलहाल
सीबीआई
की
जांच
में
यह
साफ
हो
गया
है
कि
पीसीएस
2013
सामान्य
चयन
के
साथ
जिन
13
पदों
पर
दिव्यांगों
के
विशेष
चयन
हुआ
था,
उसमें
अभिहित
अधिकारी
नहीं
था।
यानी
आयोग
की
कथनी
करनी
में
फर्क
साफ
नजर
आ
रहा
है
।
ऐसे
में
अब
अभिहित
अधिकारी
का
पूरा
चयन
ही
सवालो
में
है।
सीबीआई
अब
कार्मिक
विभाग
से
तत्कालीन
चयन
का
डाटा
ले
रही
है
और
आयोग
इस
मामले
में
पूरी
तरह
घिरता
नजर
आ
रहा
है।
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