योगी सरकार का एक साल: सरकार की उपलब्धि और किन विवादों से पड़ा पाला
लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में जिस तरह से भाजपा को 403 विधानसभा सीटों में से 325 सीटों पर जीत मिली उसके बाद पार्टी में जबरदस्त खुशी की लहर थी, किसी को भी इस बात का अंदाजा नहीं था का पार्टी इतने बड़े बहुमत से जीत दर्ज करेगी। लेकिन इसके बाद प्रदेश के लोगों को भाजपा के शीर्ष नेतृत्व उस वक्त चौका दिया जब पांच बार के सांसद और फायर ब्रांड नेता योगी आदित्यनाथ को पार्टी ने मुख्यमंत्री बनाने का ऐलान किया। योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद पार्टी को उम्मीद थी कि अब प्रदेश में आने वाले समय में स्थिति मजबूत होगी, लेकिन महज एक वर्ष के भीतर गोरखपुर और फूलपुर में हार का सामना करना पड़ा उसने पार्टी को एक बार फिर से कटघरे में खड़ा कर दिया।
एंटी रोमियो स्क्वॉड बना चर्चा
पिछले एक वर्ष के कार्यकाल में योगी सरकार को कई बार आलोचना का सामना करना पड़ा तो कई बार सरकार की तारीफ भी हुई। आईए डालते हैं कि पिछले एक वर्ष के योगी सरकार के कार्यकाल पर एक नजर। पिछले वर्ष सरकार मे आने के बाद योगी सरकार ने अपने दो बड़े चुनावी वायदे को पूरा किया। सरकार कमें आते ही योगी आदित्यनाथ ने एंटी रोमियो स्क्वॉड का गठन किया, जिसपर जिम्मेदारी थी कि वह महिलाओं के साथ हो रही छेड़खानी पर लगाम लगाए। योगी सरकार के इस कदम को कई लोगों ने सराहा लेकिन कई लोगों ने इसकी आलोचना करते हुए कहा कि यह मोरल पुलिसिंग हैं और स्थानीय पुलिसकर्मी लोगों को इसकी आड़ में परेशान कर रहे हैं।
गोहत्या पर बैन, बूचड़खाने पर विवाद
इसके बाद योगी सरकार ने दूसरा बड़ा चुनावी वायदा पूरा करने के लिए कदम बढ़ाया, गो हत्या पर पाबंदी लगाकर। योगी सरकार ने प्रदेश में चल रहे तमाम अवैध बूचड़खानों पर ताला लगा दिया। लेकिन बाद में सरकार की मंशा पर सवाल खड़ा होने लगा। लोगों ने सरकार के इस फैसले की वजह से लोगों का रोजगार छिन जाने का हवाला दिया। दरअसल सरकार के इस कदम से ना सिर्फ इस धंधे से जुड़े लोगों पर असर पड़ा बल्कि किसानों को भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा।
कानून व्यवस्था
योगी सरकार को प्रदेश की बिजली की समस्या को दुरुस्त करने का श्रेय दिया जाता है, उन्होंने ना सिर्फ प्रदेश में बिजली की समस्या को दूर करने के लिए अहम कदम उठाए, बल्कि प्रदेश की सड़कों को दुरुस्त करने की ओर भी कदम बढ़ाया। लेकिन योगी सरकार को सबसे ज्यादा कानून व्यवस्था के मुद्दे पर आलोचना का सामना करना पड़ा है। सरकार का दावा है कि गुंडों में पुलिस का खौफ है, ऐसा इसलिए हो सका है क्योंकि सरकार ने अपराधियों के खिलाफ लगाम कसी है।
एनकाउंटर पर सवाल
लेकिन सरकार के आलोचकों का कहना है कि एनकाउंटर के जरिए सरकार ने प्रदेश में खौफ का माहौल बनाया है, पुलिस फर्जी एनकाउंटर कर रही है। साथ ही लोगों ने योगी सरकार पर पिछड़ी जाति के लोगों के साथ भेदभाव का भी आरोप लगाया है। पार्टी पर लगातार यह आरोप लगता रहा कि उसने दलितों के साथ अत्याचार किया और वह अगड़ी जाति के लोगों को अधिक प्राथमिकता दे रही है।
सरकार के बड़े फैसले
- योगी सरकार ने निवेशकों को आकर्षित करने के लिए यूपी समिट 2018 का आयोजन किया। इस मौके पर पीएम मोदी ने डिफेंड कोरिडोर यूपी में बनाए जाने का ऐलान किया। साथ ही रिलायंस, अडानी ग्रुप, टाटा बिड़ला ग्रुप ने प्रदेश में बड़े निवेश का ऐलान किया।
- प्रदेश में बोर्ड परीक्षा के दौरान बोर्ड माफियाओं से निपटने के लिए सरकार ने बड़ा कदम लिया। परीक्षा केंद्र को सीसीटीवी कैमरों से जोड़ा गया, जिससे नकल पर लगाम लगी। सरकार के सख्त कदम की वजह से 1129786 छात्रों ने परीक्षा छोड़ दी।
- प्रदेश की कानून व्यवस्था को बेहतर करने के लिए अपराधियों को दूर इलाके के जेलों में ट्रांसफर का ऐलान किया, जिससे कि वह जेल के भीतर से अपनी गतिविधियों को रोक सके। साथ ही प्रदेशभर में अपराधियों के खिलाफ एनकाउंटर से अपराध में लगाम लगी।
- मदरसों को आधुनिक करने के लिए योगी सरकार ने तमाम मदरसों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया। यहां सरकार ने एनसीईआरटी की किताबों को लागू किया और इंटर तक गणित व विज्ञान को अनिवार्य किया।
विवाद
योगी सरकार के इस एक वर्ष के कार्यकाल के दौरान एंटी रोमियो स्क्वॉड के जरिए लोगों का शोषण करने आरोप लगा। साथ ही गोहत्या को रोकने के नाम पर लोगों का रोजगार छीनने का भी आरोप लगा। इन दो बड़े विवाद के अलावा यूपी विधानसभा के भीतर बम की खबर की वजह से भी सरकार विवादों में आई। सरकार की ओर से कहा गया कि सदन में पीईटीएन विस्फोटक पाया गया, जोकि बाद में जांच रिपोर्ट में गलत साबित हुआ।
भगवाकरण, बीआरडी में बच्चों की मौत, उन्नाव में एचआईवी
उन्नाव
में
एक
साथ
फरवरी
माह
में
58
लोगों
को
गलत
इंजेक्शन
लगाने
की
वजह
से
एचआईवी
हो
गया,
जिसको
लेकर
सरकार
की
काफी
आलोचना
हुई।
वहीं
गोरखपुर
के
बीआरडी
अस्पताल
में
ऑक्सीजन
की
कमी
से
दर्जनों
बच्चों
की
मौत
की
वजह
से
सरकार
को
काफी
आलोचना
का
सामना
करना
पड़ा।
इसके
अलावा
सरकार
पर
प्रदेश
में
भगवाकरण
का
भी
आरोप
लगा।
हज
समिति,
एनेक्सी
भवन,
सहित
तमाम
पार्कों
को
भगवा
रंग
से
रंगवाने
की
वजह
से
भी
सरकार
को
आलोचना
का
सामना
करना
पड़ा।