नवरात्रि विशेष: पांडव रुके थे इस मंदिर में, दिन भर में 3 बार अपना रूप बदलती है प्रतिमा
अमेठी। देश में शरद नवरात्रि का पर्व शुरू हो गया है। इस नवरात्रि हम आपको अमेठी में स्थित मां अहोरवा भवानी के प्राचीन मंदिर के बारे में बताने जा रहे है, जिसे अहोरवा भवानी के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर की मान्यता है कि यहां दर्शन मात्र से ही असाध्य से असाध्य रोग दूर हो जाते है।
जिला मुख्यालय से 65 किलोमीटर दूर रायबरेली से इन्हौना मार्ग पर सिंहपुर ब्लाक में ये मंदिर स्थापित है। मंदिर में मां अहोरवा भवानी की प्राचीन मूर्ति स्थापित है। यही नहीं मंदिर में स्थापित मूर्ति नवरात्रि के दिनों में दिनभर में तीन रूप में परिवर्तित होती हैं। सुबह बाल रूप, दोपहर में युवावस्था वह शाम में वृद्ध रूप में नजर आती हैं। सुनने में ये बात जितनी अद्भुत है उससे ज्यादा यहां दर्शन करने वाले इस दिव्य दर्शन और रहस्य को देखने के लिए आते है। यहां आने वाले दर्शनार्थियों की मानें तो मंदिर में रखी मां की प्रतिमा पृथ्वी से उत्पन्न हुई है, मूर्ति का निर्माण नहीं किया गया है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, पांडव जब वनवास के दौरान अज्ञातवास का समय बिता रहे थे तो इसी क्षेत्र में काफी समय तक रुके थे। एक दिन जंगल में अर्जुन शिकार के लिए निकलते है तो वहां उनको जंगलों के बीचो-बीच दिव्य स्वरूप माता के दर्शन प्राप्त हुए। वहां से वापस लौट कर अर्जुन ने उस मंदिर और उसमें विराज हुई माता के विषय में अपने चारों भाइयों को जानकारी दी तो सभी ने उनका दर्शन कर पूजा अर्चना की। महाभारत में इस मंदिर और माता का उल्लेख स्पष्ट शब्दों में लिखा गया है।
लोगों के अनुसार माता के लिए इस भव्य मंदिर का निर्माण स्वयं पांडवों ने मिलकर किया था। लेकिन समय के साथ मंदिर में प्रतिमा विलुप्त हो गई फिर कालांतर स्थानीय व्यक्ति अहोरवा नामक पाल बिरादरी के व्यक्ति ने स्वपन में मां की मूर्ति को देखा, उसके बाद मां की खोज की जिसके बाद से इस मंदिर को अहोरवा भवानी के नाम से जाना जाने लगा। इस मंदिर में कई तरह की पौराणिक कहानियां हैं। इस मंदिर को और भी आस्था से लोग जोड़ कर देखते है कि गैर जनपद के भक्त मां के दर्शन के लिए आते हैं।