मुजफ्फरनगर पुलिस का बर्बर चेहरा, ग्रामीण की भैंस को रायफल की बटों से पीट-पीट कर मार डाला
गांव में अघोषित कर्फ्यू जैसे हालात हैं
मुजफ्फरनगर (उत्तर प्रदेश)। गौमांस की बात कह चूल्हे पर बन रही सब्जी जांचने को लेकर पुलिस का विरोध करना मुजफ्फरनगर जिले के शेरपुर गांव के ग्रामीणों को भारी पड़ रहा है। 2 मई को हुए बवाल के बाद पुलिस की लगातार दबिशों के चलते गांव में अघोषित कर्फ्यू जैसे हालात हैं। दबिशों के नाम पर पुलिस के तमाम कायदे-कानून को ताक पर रख जिस शैली को अपनाने की कहानी ग्रामीण बते रहे हैं, वो भयावह है। ग्रामीणों का आरोप है कि अज्ञात रिपोर्ट नाम पर पुलिस किसी को भी उठा ले रही है, तो वहीं घरों में बंधे मवेशियों को पुलिस रायफलों की बटों से पीटकर उनपर भी अपना गुस्सा उतार रही है।
2 मई को मुजफ्फरनगर के शेरपुर गांव में गोकशी की सूचना पर पहुंची पुलिस से ग्रामीणों का टकराव हुआ था। मामला तब बढ़ा था, जब गौमांस ना मिलने पर पुलिस ने घरों में जा -जाकर चूल्हे पर पक रही सब्जी को जांचना शुरू कर दिया था। इफ्तार के समय पुलिस के इस रवैये से ग्रामीण भड़क गए थे। टकराव के बाद ग्रामीणों ने पुलिस की दो बाइकें फूंक दी थी और पत्थरबाजी की थी तो पुलिस ने ग्रामीणों पर छर्रे चलाए थे, जिससे करीब एक दर्जन ग्रामीण घायल हुए थे। एक युवक की आंख में भी छर्रा लगा था। (इस पर हमने पूरी रिपोर्ट की थी जिसका लिंक खबर के आखिर में दिया गया है)
अब
क्या
हो
रहा?
बवाल
के
बाद
पुलिस
ने
20
नामजद
और
230
के
खिलाफ
अज्ञात
में
रिपोर्ट
दर्ज
की
थी।
अब
बीते
दस
दिन
से
पुलिस
लगातार
रात
में
(ज्यादातर
मौकों
पर)
गांव
में
दबिशें
डाल
रही
है
और
जो
भी
गांव
में
मिल
रहा
है,
उसी
को
उठा
रही
है।
ऐसे
में
गांव
में
दहशत
का
माहौल
है।
230
अज्ञात
पर
रिपोर्ट
ग्रामीणों
के
लिए
खौफ
बनी
हुई
है।
इसके
साथ-साथ
पुलिस
गिरफ्तारी
के
लिए
जो
तरीके
अपना
रही
है,
उस
पर
गंभीर
संवाल
उठ
रहे
हैं।
ग्रामीण
पुलिस
पर
दीवार
फांदकर
जनाने
घरों
में
घुसने,
मवेशियों
को
रायफलों
से
पीटकर
मार
डालने
और
औरते
को
भद्दी
गालियां
देने
का
आरोप
लगा
रहे
हैं।
घर
में
कोई
नहीं
था
तो
मवेशियों
को
पीटा
मामले
को
लेकर
ग्रामीण
कदीर
से
हमने
बात
की,
कदीर
पश्चिम
मुहल्ले
के
ही
रहने
वाले
हैं,
जहां
बवाल
हुआ
था।
उन्होंने
कहा
कि
पुलिस
का
रवैए
से
गांववालों
मे
दहशत
भी
है
और
रोष
भी।
उनका
कहना
है
कि
गांव
के
पश्चिम
मुहल्ले
में
शुक्रवार
(2
मई)
को
बवाल
हुआ
था,
जिसके
बाद
पुलिस
ने
रिपोर्ट
की
और
दबिश
डाल
रही
है,
ये
उनकी
कार्रवाई
का
हिस्सा
है
लेकिन
क्या
भैंसों
को
रायफलों
की
बटों
से
पीटना
और
कुछ
संगठनों
के
लोगों
को
साथ
में
लेकर
दबिश
के
लिए
आना
भी
क्या
कार्रवाई
का
हिस्सा
है?
कदीर कहते हैं हमारे घर से इस मामले में कोई नामजद नहीं है, हम किसी तरह के बवाल में शामिल भी नहीं थे लेकिन 9 मई को दबिश को आई पुलिस ने मेरे घर की आंगन की दीवार गिरा दी। घर में बुजुर्ग महिला के सिवा कोई नहीं था तो चारपाई को तोड़ दिया, फिर हमारी मिट्टी से बनी रसोई और चूल्हा भी तोड़ दिया। उनका कहना है कि पुलिस ने घर मे बंधी भैंस को रायफलों से पीटा, जिसके बाद भैंस जमीन पर गिर गई और काफी उपचार के बाद उसकी जान बच सकी। वो रुआंसे होकर कहते हैं कि आखिर उनकी भैंस की क्या गलती थी, वो तो बे-बोल जानवर है, उसे वर्दी और साहिब की पहचान थोड़े ही है।
मुहल्ला पश्चिम की ही असगरी ने बताया कि हमारे घर में बहू-बेटियां हैं लेकिन पुलिस दीवार फांद कर घुस गई और गाली-गलौच करते हुए पूछा कि मर्द कहां हैं, मना कर देने पर हमको गालियां दी। वो बताती हैं कि घर में बकरी का बच्चा खेल रहा था, वो रास्ते में आया तो उसके सिर पर सिपाही ने लात मार दी, जूते की चोट सिर में लगने से बकरी का बच्चा मर गया लेकिन उन्होंने गालियां देना जारी रखा और कब तक भागेंगे कि बात कहते हुए चले गए। जाकिर बौना नाम के शख्स की भैंस को पुलिसवालों के पीटने की बात ग्रामीणों ने कही, हालांकि जाकिर के गांव में ना होने के चलते इसको लेकर उनसे बात नहीं हो सकी।
टक्कर
मारने
पर
प्रधान
की
भैंस
को
मार
डाला
पुलिस
के
गुस्से
का
शिकार
ग्राम
प्रधान
की
भैंस
भी
हो
गई,
पुलिस
गांव
के
प्रधानपति
हाशिम
ठाकुर
की
बैठक
पर
दबिश
देने
पहुंची
तो
वहां
बंधी
भैंस
ने
एक
पुलिसवाले
की
तरफ
झौंकार
(नए
आदमी
को
टक्कर
मारने
की
कोशिश)
दिया।
इस
पर
गुस्साए
पुलिसवाले
ने
रायफल
की
बट
भैंस
के
सिर
पर
दे
मारी,
जिससे
भैंस
ने
दम
तोड़
दिया।
ये
मामला
8
मई
को
हुआ।
ग्राम प्रधानपति बवाल में आरोपी हैं, उनका पूरा परिवार गांव से फरार है। ऐसे में उनसे बात ना हो सकी, हमारी बात उनके बेटे आरिफ से हुई। आरिफ ने बताया कि उनके पिता बवाल की सूचना पर मौके पर गए थे और लोगों को समझा-बुझाकर मामले को खत्म कराने की कोशिश कर रहे थे लेकिन उनको भी पुलिस ने नामजद कर लिया। आरिफ का कहना है कि दबिश के दौरान उनके घर पर बुरी तरह से पुलिस ने तोड़फोड़ की है। आरिफ ने बताया कि बैठक में बंधे मवेशियों को पुलिस ने बुरी तरह पीटा है, जिससे उनकी भैंस ने दम तोड़ दिया।
हमारे
पास
भैंस
पीटने
का
टाइम
नहीं:
एसपी
पूरे
मामले
को
लेकर
जब
एसपी
अनंत
देव
से
बात
की
गई
तो
इस
बात
पर
ही
खफा
हो
गए
कि
पुलिस
पर
इस
तरह
के
आरोप
हैं।
उन्होंने
कहा
कि
बवाल
के
दौरान
की
वीडियो
पुलिस
के
पास
है
और
इसे
देखकर
ही
बवालियों
को
चिन्हित
किया
जा
रहा
है।
ग्रामीणों
की
दीवार
तोड़ने
या
फिर
मवेशियों
को
मारने
की
बात
पर
एसपी
ने
कहा
कि
पुलिस
के
पास
इतना
टाइम
नहीं
कि
वो
किसी
के
मवेशी
पीटती
फिरे।
पुलिस
के
साथ
आते
हैं
गौरक्षा
दल
के
लोग!
पुलिस
पर
ग्रामीणों
का
सबसे
गंभीर
आरोप
यह
है
कि
पुलिस
के
साथ
गौरक्षा
दल
के
लोग
भी
दबिश
में
साथ
आते
हैं,
जो
बदतमीजी
में
आगे
रहते
हैं।
कई
ग्रामीणों
ने
साफतौर
पर
ये
कहा
कि
पुलिस
अपने
साथ
कुछ
खास
संगठनों
के
लड़कों
को
लेकर
गांव
में
आती
है,
जो
पुलिस
की
मौजूदगी
में
बदतमीजी
करते
हैं।
ये
पूछने
पर
कि
ये
लोग
किस
दल
के
हैं
या
ग्रामीणों
ने
किसी
को
पहचाना
है?
गांववासी
किसी
का
चेहरा
पहचानने
से
इंकार
करते
हैं।
गांव
में
बचे
हैं
सिर्फ
बुजुर्ग
पुलिस
की
दबिश
के
बाद
गांव
में
खासकर
पश्चिम
मुहल्ले
में
जवान
लड़के-लड़कियां
बिल्कुल
नहीं
दिख
रहे
हैं।
जवान
लड़कों
को
बुजुर्गों
ने
अज्ञात
रिपोर्ट
में
उठा
लिए
जाने
के
डर
से
गांव
से
भेज
दिया
है
तो
लड़कियों
को
भी
ग्रामीण
बाहर
भेज
रहे
हैं।
गांव
की
अख्तरी
ने
बताया
कि
पुलिस
के
साथ
दूसरे
लोगों
के
आने
की
बात
लोग
कह
रहे
हैं,
ऐसे
में
जवान
बच्चियों
को
साथ
रखते
हुए
डर
लगता
है।
हमने
बच्चियों
को
रिश्तेदारी
में
भेज
दिया
है,
माहौल
सही
हो
जाएगा
तो
बुला
लेंगे।
यहां पढ़ें 2 मई की घटना- मुजफ्फरनगर: गोकशी की बात कह पुलिस ने की घर में पक रही सब्जी चेक, फायरिंग में 5 घायल