खूनी खेल में माहिर था मुन्ना का 'यमराज' , बजरंगी की 'कोडिंग' जानकर दंग रह गई थी पुलिस भी
बागपत। माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी की बागपत जेल में बीते सोमवार हत्या कर दी गई थी। उसे जेल के अंदर ही सुनील राठी नाम के एक गैंगस्टर ने करीब 7 गोलियां मारी थीं। उसकी मौत के बाद से अलग-अलग कई तरह के खुलासे हो रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक मुन्ना बजरंगी और उसका गैंग पुलिस को चकमा देने में माहिर था। वे पुलिस के किसी भी तरह के सर्विलांस की जद में बमुश्किल ही आ पाते थे। पता चला है कि बजरंगी और उसके गैंग के लोगों ने क्राइम से रिलेडेट बात करने के लिए अलग-अलग तरह के कोडवर्ड रखे हुए थे जिसे बाद में पुलिस ने डीकोड किया और गिरोह की कारतूत सामने आ गई।
वर्ष 2000 से 2009 के बीच पुलिस और एसटीएफ के हाथों मुठभेड़ में बजरंगी गिरोह के कई गुर्गे मारे गए थे। पुलिस सूत्रों के अनुसार इससे घबराए बजरंगी ने मुंबई अंडरवर्ल्ड की तरह मोबाइल और टेलीफोन पर अपराध से जुड़ी बातचीत के लिए कुछ शब्द निर्धारित कर दिए थे। गुर्गे जब भी बजरंगी या गिरोह के अन्य सदस्यों से बातचीत करते तो उन्हीं शब्दों का इस्तेमाल करते थे। पुलिस के अनुसार बजरंगी को उसके गिरोह के सदस्य वीआईपी और भाईजान कहते थे। 9 एमएम की पिस्टल को नौ नंबर की चप्पल, रिवाल्वर के लिए भिंडी, कारतूस के लिए भूंजा या दाना और शूटर के लिए डॉक्टर शब्द का इस्तेमाल किया जाता था। अपराध जगत के कुख्यात नाम रहे मुन्ना बजरंगी और उसका गिरोह पुलिस को चकमा देने के लिए फोन और मोबाइल पर बातचीत के दौरान ऐसे ही कोड वर्ड का इस्तेमाल करता था।
वहीं, जिसकी हत्या करनी होती थी या रंगदारी वसूलनी होती थी उसे मरीज कहा जाता था। इसी तरह वर्ष 2005 में सेंट्रल जेल की बैरक में मारा गया बजरंगी गिरोह के खास शार्प शूटर अन्नू त्रिपाठी को दुस्साहसिक वारदातों के लिए यमराज कहा जाता था। पुलिस का सर्विलांस जब और सक्रिय हुआ तो बजरंगी गिरोह की चालाकियां पकड़ में आने लगीं और गुर्गों पर तेजी से शिकंजा कसा जाने लगा।
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