मुन्ना बजरंगी की ही तरह उसके शार्गिदों की भी हुई थी हत्या
वाराणसी। अपराध की दुनिया मे हनुमान के नाम से जाने जाने वाले प्रेमप्रकाश उर्फ मुन्ना बजरंगी को आज मौत की चादर ओढ़ा दी गयी। 40 लोगो की हत्या करने वाले इस मुन्ना बजरंगी के दो शागिर्द शार्प शूटर अन्नू त्रिपाठी और बाबू यादव भी कभी लोगों के दिलों में दहशत बनाया करते थे। जिस तरह से आज बागपत जेल में मुन्ना बजरंगी की हत्या हुई ऐसे ही 2005 में वाराणसी के सेंट्रल जेल में मुन्ना के शागिर्द अन्नू त्रिपाठी की भी हत्या अलसुबह ही कर दी गयी थी, और उस हत्या को जेल में बंद कई नामचीन अपराधियों ने एक साथ मिलकत हत्या को अंजाम दिया था।
वही दूसरा शागिर्द बाबू यादव जिसे राजनीत का शौक जगा और जेल में रहते हुए ही निकाय चुनाव में जीत दर्ज कर पार्षद बन गया। कुछ दिनों तक जेल में रहने के बाद बाबू यादव सपा के शासन काल मे सत्ता का दबाव बना जमानत पर बाहर आया और बृजेश सिंह के भतीजे और भाजपा के विधायक सुशील सिंह के घर के पास पुलिस मुठभेड़ में मार दिया गया।
पार्षद बंशी यादव से शुरू हुई थी जेल में हत्या का सिलसिला
जानकारी के अनुसार वाराणसी जेल में हत्या का सिलसिला पार्षद बंशी यादव की हत्या से शुरू हुआ था। दशाश्वमेघ में मार्केट में रंगदारी को लेकर इस हत्याकांड को अंजाम दिया गया। जब यहां के पैसे की डिमांड मुन्ना बजरंगी ने अपने शागिर्दों अन्नू और बाबू से की तो उन्होंने बंशी को रास्ते से हटने को कहा। उन दिनों बंशी यादव एक हत्या के आरोप में जिला जेल में बंद था। जब बंशी ने मुन्ना का फरमान नही माना तो बाबू और अन्नू ने मुलाकाती बन जिला जेल पहुँच बंशी की हत्या मुहर्रम के दिन कर दी। जिसके बाद प्रशासन में हड़कम्प मच गया। तब से जेल में हत्या का सिलसिला शुरू हुआ।
यहां पहले पेशी पर मुस्कुराते आया था जरायम की दुनिया का हनुमान
जरायम की दुनिया का हनुमान कहे जाने वाले जौनपुर का रहने वाला मुन्ना बजरंगी दिल्ली और मुंबई पुलिस की ज्वाइंट आपरेशन में सरेंडर करने के बाद जब पहली बार वाराणसी पेशी पर न्यायालय पहुँचा तो उसकी खुशी का ठिकाना नही थी। दरसअल कुछ दिनक तक था जेल में रहने पर वो अपने सारे कारनामों को आसानी से अंजाम दे दिया करता था। इस बात का गवाह है उस पहली पेशी की तस्वीर जब सफेद कैप और सफ़ेद शर्ट में कोर्ट पहुँचे मुन्ना बजरंगी की तस्वीर जिसमे वो हर किसी को देख मुस्कुराता रहा और उसके साथ स्थानीय पुलिस के साथ मुंबई और दिल्ली के पुलिस वालों का सैलाब मौजूद था।
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