राम मंदिर की पैरवी करने से पहले इन 7 मौकों पर मुलायम परिवार के खिलाफ खड़ी दिखीं अपर्णा
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लखनऊ। मुलायम परिवार की छोटी बहू अपर्णा यादव ने राम मंदिर के पक्ष में बयान दिया है। अपर्णा ने कहा है कि अयोध्या रामजन्मभूमि है और वहां श्रीराम का मंदिर ही बनना चाहिए। उनका ये बयान सपा, बसपा और कांग्रेस को जवाब एवं भाजपा के समर्थन में आंका जा रहा है। वैसे अपर्णा इसके पहले भी कई बार भाजपा की विचारधारा से मेल-खाते बयान दे चुकी हैं। समाजवादी पार्टी संरक्षक मुलायम सिंह के छोटे बेटे प्रतीक यादव की पत्नी होते हुए भी वे अखिलेश एवं पार्टी पर तंज कसती रही हैं। वे एक-दो नहीं, बल्कि कम से कम 7 बार सपा को असमंजस में डाल चुकी हैं।
पढ़ें: अपर्णा बोलीं- राम का मंदिर अयोध्या में बने
मौके
जब-जब
वे
सपा
के
खिलाफ
खड़ी
दिखीं:-
'भाजपा
से
उनकी
हार
ईवीएम
की
वजह
से
नहीं
हुई':
विगत
चुनावों
में
अर्पणा
लखनऊ
कैंट
क्षेत्र
से
सपा
की
उम्मीदवार
थीं।
उनके
सामने
कांग्रेस
से
पाला
बदलकर
बीजेपी
में
आईं
रीता
बहुगुणा
जोशी
थी।
खूब
कोशिश
के
बावजूद
अपर्णा
को
हार
झेलनी
पड़ी।
इस
पर
जहां
सपाईयों
ने
ईवीएम
को
दोष
दिया,
वहीं
अपर्णा
ने
दो
टूक
कहा
कि
कमी
ईवीएम
में
नहीं,
बल्कि
कहीं
और
रह
गई।
उन्होंने
कहा
कि
उनकी
हार
ईवीएम
मशीन
में
छेड़छाड
की
वजह
से
नहीं
हुई
है
बल्कि
उनके
ही
अपनों
की
वजह
से
हुई
है।
तीन
तलाक
के
बिल
को
भी
किया
सपोर्ट
अपर्णा
यादव
ने
इससे
पहले
बीजेपी
के
तीन
तलाक
पर
मोदी
सरकार
द्वारा
लाए
गए
बिल
का
भी
समर्थन
किया
था।
समाजवादी
पार्टी
जहां
इस
विधेयक
का
विरोध
कर
रही
थी
वहीं
अपर्णा
ने
कहा
था,
'यह
स्वागत
योग्य
कदम
है।
यह
महिलाओं,
खासकर
मुस्लिम
महिलाओं
को
और
मजबूती
देगा।
यह
उन
महिलाओं
की
तरफ
ध्यान
आकृष्ट
करेगा
जो
लंबे
समय
से
अन्याय
सहती
आ
रही
हैं।'
नोटबंदी
का
किया
समर्थन
नोटबंदी
के
एक
साल
पूरे
होने
पर
जहां
एक
ओर
समाजवादी
पार्टी
विरोध
कर
रही
थी,
वहीं,अपर्णा
ने
हैशटैग
'डेमोविन्स'
के
साथ
ट्वीट
किया
कि
अभी
इस
कदम
के
लाभ-हानि
पर
फैसला
सुनाना
जल्दीबाजी
होगी।
हमें
अभी
भी
इस
कदम
के
सही
परिणाम
का
पता
लगाना
है।
यह
सही
है
या
गलत,
यह
पता
लगाने
के
लिए
यह
वक्त
बहुत
कम
है।'
'मायावती
के
साथ
नहीं
होनी
चाहिए
थी
गेस्ट
हाउस
घटना'
अपर्णा
ने
गेस्ट
हाउस
कांड
के
लिए
मायावती
से
हमदर्दी
जताते
हुए
कहा
कि
इस
तरह
की
घटना
किसी
भी
महिला
के
साथ
नहीं
होनी
चाहिए।
बता
दें
कि
जब
1993
में
सपा
और
बसपा
ने
मिलकर
सरकार
बनाई।
तो
मुलायम
मुख्यमंत्री
बने
थे,
लेकिन
बाद
में
दोनों
पार्टियों
के
बीच
मतभेद
हो
गया।
2
जून
1995
को
बसपा
ने
सपा
से
समर्थन
वापस
ले
लिया।
जिसके
कारण
सरकार
गिर
गई।
इसके
बाद
उसी
दिन
सपा
के
विधायकों
और
सांसदों
की
अगुवाई
में
पार्टी
समर्थकों
ने
लखनऊ
स्थित
सरकारी
गेस्ट
हाउस
कांड
में
मायावती
और
बसपा
नेताओं
पर
हमला
कर
दिया।
मायावती
ने
कमरे
में
बंद
होकर
अपनी
जान
बचाई
थी।
इसे
ही
गेस्ट
हाउस
कांड
के
नाम
से
जाना
जाता
है।
योगी
आदित्यनाथ
से
की
मुलाकात
सपा,
बसपा
और
कांग्रेस
जहां
शुरू
से
ही
भाजपा
द्वारा
योगी
आदित्यनाथ
को
यूपी
का
सीएम
बनाए
जाने
से
खफा
थे।
आए
दिन
योगी
का
विरोध
कर
रहे
थे,
वहीं
अपर्णा
बिष्ट
यादव
ने
योगी
आदित्यनाथ
बिष्ट
से
न
सिर्फ
मुलाकात
की,
बल्कि
प्रशंसा
भी
की।
इस
दौरान
अपर्णा
के
पति
प्रतीक
यादव
ने
भी
योगी
से
मुलाकात
की
थी।
पीएम
मोदी
के
साथ
ली
सेल्फी,
राजनाथ
के
साथ
की
इफ्तार
पार्टी
पहले
अपर्णा
बीजेपी
के
वरिष्ठ
नेता
और
केंद्रीय
गृह
मंत्री
राजनाथ
सिंह
के
साथ
एक
इफ्तार
पार्टी
में
भी
नजर
आई
थीं।
वहीं,
पीएम
नरेंद्र
मोदी
के
साथ
ली
गई
एक
सेल्फी
को
शेयर
करने
के
कारण
भी
अपर्णा
चर्चा
में
रही
थीं।
'जाति
के
आधार
पर
आरक्षण
नहीं
दिया
जाना
चाहिए'
जहां
बसपा
निचली
जातियों
को
आरक्षण
की
हामीं
भरती
रही
है,
वहीं
संघ
से
सुर
मिलाते
हुए
अपर्णा
ने
कहा
था
कि
जाति
के
आधार
पर
आरक्षण
नहीं
दिया
जाना
चाहिए।
इसका
लाभ
जरूरतमंदों
को
ही
दिया
जाना
चाहिए।