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पूर्वांचल में मुख्तार अंसारी के परिवार की राजनीति

पूर्वांचल में मुख्तार अंसारी के परिवार की राजनीति निभाएगी अहम भूमिका, अंसारी के बेटे के सामने अपने पिता की कमी को पूरा करने की चुनौती

By Ankur
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लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी ने इस बार गैंगस्टर मुख्तार अंसारी और उनके भाई को अपनी पार्टी से टिकट दिया है, लेकिन मुख्तार अंसारी हत्या के आरोप में जेल की हवा खा रहे हैं और कोर्ट ने उन्हें प्रचार के लिए पैरोल देने से इनकार कर दिया है। ऐसे में उनके लिए प्रचार करने का जिम्मा मुख्तार अंसारी के बेटे और उनके भाई के कंधो पर है। इन नेताओं को मुस्लिम वोटों को अपने पक्ष में करने के साथ ही मुख्तार अंसारी के क्षेत्र में प्रचार करने की अतिरिक्त जिम्मेदारी है।

अंसारी के बेटे के सामने बड़ी चुनौती

अंसारी के बेटे के सामने बड़ी चुनौती

मुख्तार अंसारी के परिवार का प्रभाव मुख्य रूप से मऊ में हैं, जहां से मुख्तार अंसारी ने चार बार चुनाव जीता है, यही नहीं यहां से हमेशा से ही 1969 से मुसलमान उम्मीदवार ही चुनाव जीतता आया है। एक तरफ जहां मुख्तार अंसारी का बेटा अब्बास अंसारी घोसी से पहली बार मैदान में है तो दूसरी तरफ सिगबेतुल्ला खान खान मोह्मदाबाद से मैदान में है जोकि अंसारी परिवार का पारिवारिक गृहक्षेत्र है। अब्बास अंसारी का सीधा मुकाबला सपा के विधायक सुधाकर सिंह और भाजपा के फागु चौहान से हैं जोकि तीन बार बसपा व भाजपा के टिकट पर चुनाव जीत चुके हैं।

क्या है वोटों का समीकरण

क्या है वोटों का समीकरण

घोसी में तकरीबन चार लाख मतदाता हैं, जिसमें 75000 मुस्लिम, 70000 दलित हैं, बाकी के मतदाता अन्य जातियों के हैं। यहां 60000 राजभर जाति के, 45000 पिछड़ी जाति चौहान मतदाता हैं जबकि बाकी के 70, 000 मतदाता ओबीसी जाति हैं जिसमें यादव, मल्लाह और अन्य जातियों के लोग हैं। एक तरफ जहां भाजपा को उम्मीद है कि वह हिंदु वोटों को अपनी ओर कर सती है, तो अब्बास इस उम्मीद पर टिके हैं कि अगड़ी ओबीसी जाति का मतदाता सपा, भाजपा और बसपा के बीच बंट जाएगाष सपा उम्मीदवार यहा क्षत्रीय जाति का है तो भाजपा उम्मीदवार लोनिया जाति का है, ऐसे में सभी अपने राजनीतिकर समीकरणों को साधने में लगे हैं। यहां भाजपा राजभर जाति के वोटों पर बढ़त बना सकती है, इसकी बड़ी वजह है पार्टी ने यहां सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के साथ गठबंधन किया है जिसके नेता ओम प्रकाश राजभर हैं।

अब्बास को जीत का भरोसा

अब्बास को जीत का भरोसा

वहीं अब्बास को उम्मीद है कि वह मुस्लिम-दलित वोटों के अलावा अन्य जाति के वोट भी हासिल करेंगे क्योंकि सपा परिवार के भीतर फूट पड़ी है, जिसका उन्हें लाभ होगा। अब्बास कहते हैं कि हमें यहा हर बार 15-20 फीसदी वोट हर जाति का हासिल होता है, हमने लोगों की यहां मदद करने का काम किया है, हम गरीबों को ताकतवर लोगों के खिलाफ लड़ने में मदद करते हैं। यहां गौर करने वाली बात है कि मुख्तार अंसारी ने 2012 में यहा तीसरे स्थान पर रहे थे। अब्बास का कहना है कि मैं हर उम्मीदवार की तरह यह नहीं कहुंगा की मैं भारी मतों से जीतुंगा लेकिन मेरे पापा बड़े अंतर से जीत हासिल करेंगे। अंसारी परिवार ने प्रचार में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है, हर तरफ बैनर, पोस्टर हैं तो मुख्तार जिंदाबाद के कॉलर ट्यून भी लोगों के फोन में हैं, जिसे एक उर्दू शायर ने गाया है।

मुख्तार अंसारी के खिलाफ की गई साजिश

मुख्तार अंसारी के खिलाफ की गई साजिश

आपको बता दें कि अब्बास अंसारी राष्ट्रीय जूनियर शूटिंग चैंपियंशिप 2012 व 2013 में गोल्ड मेडल जीत चुके हैं। अब्बास का कहना है कि यह पहली बार है कि चुनाव आयोग ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है कि जेल में बंद उम्मीदवारों को प्रचार के लिए पैरोल पर जेल से बाहर ना आने दिया जाए, यह पहली बार है कि सपा, भाजपा और सीबीआई ने एक साथ मिलकर अंसारी को जेल से बाहर नहीं आने देने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंकी है। पीएम की भाषण से साफ है कि मुख्तार अंसारी का क्या प्रभाव है, लेकिन इन सारे प्रयासों ने लोगों में गुस्सा भर दिया है और हर व्यक्ति इस बार मुख्तार के लिए वोट करेगा।

मऊ का समीकरण

मऊ का समीकरण

आपको बता दें कि मुख्तार अंसारी लखनऊ जेल में है, वह बसपा के टिकट पर 1996 में जीते, निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर 2002, 2007 में चुननाव जीता, इसके बाद 2012 में अंसारी ने कौमी एकता दल का गठन किया। यहां गौर करने वाली बात यह है भी है कि पिछले दो चुनावों में बसपा उम्मीदवार दूसरे स्थान पर रहा था। मऊ में अंसारी के समर्थन में अंसारी के छोटे बेटे ने प्रचार किया। मऊ में कुल एक लाख मुस्लिम व दलित मतदाता हैं। यहां कोई भी तीसरी जाति ऐसी नहीं है जो इसका मुकाबला कर सके। यहां सपा उम्मीदवार अल्ताफ अंसारी जोकि 2012 में तीसरे नंबर पर रहे थे, जबकि भाजपा अंसारी से महज 10000 वोट पीछे रही। वहीं महेंद्र राजभर के खाते में 40000 राजभर जाति के वोट आए, यहां सवर्ण मतदाता सिर्फ 50000 के करीब हैं।

सिगबतुल्लाह भी झोंक रहे ताकत

सिगबतुल्लाह भी झोंक रहे ताकत

मुख्तार अंसारी के भाई सिगबतुल्ला की मोहम्मदाबाद सीट जोकि गाजीपुर जिले में है पर नजर डालें तो उन्होंने 2007 व 2012 में यहां से जीत हासिल की थी। दूसरे भाई अफजाल अंसारी ने 1985 से 1996 तक लगातार जीत हासिल की, लेकिन 2002 में भाजपा उम्मीदवार कृष्णानंद राय से चुनाव हार गए जिनकी बाद में 2005 में हत्यार कर दी गई, राय की हत्या का आरोप मुख्तार अंसारी पर है। सिगबतुल्लाह का बेटा मन्नु अंसारी यहां प्रचार की कमान संभाले हैं, जहां भाजपा की अल्का राय जोकि कृष्णानंद राय की पत्नी हैं उम्मीदवार हैं। अल्का राय सिगबतुल्लाह के लिए सीधी चुनौती खड़ी कर रही हैं। अफजाल अंसारी बसपा के लिए पूर्वांचल में तमाम सीटों पर प्रचार कर रहे हैं, उन्होंने उन तीनों सीटों पर जनसभा की है जहां से उनका परिवार मैदान में है।

English summary
Mukhtar Ansari family politics to play key role in eastern UP. Ansari son has a challenge to fill the space of his father.
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