मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद जेलों में शुरू हो सकती है गैंगवार, जानिए कब-कब हुई जेलों में हत्या
लखनऊ। पूर्वांचल के कुख्यात डॉन प्रेम प्रकाश उर्फ मुन्ना बजरंगी की बागपत जेल में गोली मारकर हत्या कर दी गई। मुन्ना बजरंगी हत्या के बाद अब तमाम खुलासे होने शुरू हो गए हैं। पुलिस और एसटीएफ की शुरुआती जांच में यह बात निकल कर सामने आ रही है कि बजरंगी की हत्या विधायक कृष्णानंद राय की हत्या का बदला ही है।
हालांकि एसटीएफ इन सभी पहलुओं पर जांच कर रही है, क्योंकि अभी तक यह पता नहीं चल सका है कि मुन्ना बजरंगी और सुनील राठी के बीच आपस में कोई विवाद था या नहीं। मुन्ना बजरंगी की हत्या में जिस सुनील राठी का नाम सामने आ रहा है, वह सुशील मूंछ का बेहद करीबी है। बता दें कि सुनील राठी अपने पिता नरेश राठी की हत्यारों से बदला लेने के लिए अपराध की दुनियां में कदम रखा था और दोनों की हत्या करने के बाद अपराध की दुनिया में अपना वर्चस्व जमाना शुरू कर दिया। कुछ ही समय में वह सुशील मूंछ गैंग का करीबी हो गया।
करीबियों
की
हत्या
के
बाद
कमजोर
था
हुआ
मुन्ना
बजरंगी
कुख्यात
डॉन
प्रेम
प्रकाश
उर्फ
मुन्ना
बजरंगी
अपने
साले
पुष्पजीत
की
हत्या
के
बाद
कमजोर
पड़ना
शुरू
हो
गया
था।
पुष्पजीत
की
हत्या
के
बाद
वह
उबर
पाता
इससे
पहले
पूर्वांचल
में
उसका
काम
संभालने
वाले
तारिक
की
लखनऊ
में
हत्या
कर
दी
गई।
तारिक
की
हत्या
के
बाद
चर्चा
थी
कि
मुन्ना
बजरंगी
अपने
दोनों
करीबियों
की
हत्या
का
बदला
लेगा,
लेकिन
ऐसा
नहीं
हुआ।
मुन्ना
बजरंगी
के
गैंग
में
कोई
ऐसा
नहीं
बचा
था
जो
उसका
उत्तराधिकारी
के
रूप
में
काम
संभाल
सके।
अब
एसटीएफ
मुन्ना
बजरंगी,
पुष्पजीत
और
तारिक
की
हत्या
के
बीच
कॉमन
कड़ियां
तलाश
करने
में
लग
गई
है।
जेल
में
कब-कब
हुई
हत्या
पूर्वांचल
के
कुख्यात
डॉन
प्रेम
प्रकाश
उर्फ
मुन्ना
बजरंगी
की
बागपत
जेल
में
हत्या
होने
के
यह
कोई
पहला
मामला
नहीं
है।
इससे
पहले
भी
जेलों
के
अंदर
हत्याएं
होती
रही
है।
जानकारी
के
अनुसार,
अनुराग
त्रिपाठी
उर्फ
अन्नू
त्रिपाठी
मुन्ना
बजरंगी
गैंग
में
शार्प
शूटर
था।
मई
2005
में
वाराणसी
जेल
के
बैरक
के
अंदर
अन्नू
त्रिपाठी
की
गोली
मारकर
हत्या
कर
दी
गई।
साल
2008
में
गाजियाबद
की
डासना
जेल
में
कविता
हत्याकांड
के
आरोपी
रविंद्र
प्रधान
की
संदिग्ध
हालत
में
मौत
हो
गई
थी।
साल
2009
में
गाजियाबाद
की
डासना
जेल
में
ही
बस
विस्फोट
कांड
के
आरोपी
शकील
अहमद
की
कथित
हत्या
हो
गई।
साल
2011
में
लखनऊ
जिला
जेल
में
सीएमओ
हत्याकांड
के
आरोपी
वाईएस
सचान
की
संदिग्ध
मौत
हो
गई।
साल
2012
में
मेरठ
जिला
जेल
में
तलाशी
के
दौरान
विवाद,
फायरिंग
में
दो
बंदियों
मेहरादीन
और
सोमवीर
की
मौत
हुई
थी।
साल
2014
में
गाजीपुर
जिला
जेल
में
जिला
प्रशासन
और
बंदियों
के
बीच
संघर्ष
में
बंदी
विश्वनाथ
प्रजापति
की
मौत
हो
गई।
साल
2015
में
मथुरा
जिला
जेल
में
दो
गुटों
के
बीच
फायरिंग
में
पिंटू
उर्फ
अक्षय
सोलंकी
और
राजेश
टोटा
की
गोली
लगने
से
मौत
हो
गई।
साल
2016
में
सहारनपुर
जिला
जेल
में
सुक्खा
नामक
कैदी
की
गला
रेतकर
हत्या
कर
दी
गई।
इतना
ही
नहीं
साल
2016
में
उरई
जिला
जेल
में
प्रिंस
अग्रवाल
की
मौत
हो
गई
थी।
मुन्ना
के
दो
साथियों
की
जेल
में
हुई
थी
हत्या
मुन्ना
बजरंगी
के
दो
करीबियों
की
पिछले
कुछ
साल
में
जेल
के
अंदर
ही
हत्या
हो
चुकी
है।
मुन्ना
के
खास
साथी
की
हत्या
2010
में
उरई
जिला
जेल
में
हुई
थी,
जबकि
मुन्ना
के
शार्प
शूटर
की
हत्या
2005
में
वाराणसी
जिला
जेल
में
हुई
थी।
बजरंगी
ने
भी
जेल
में
करवाई
थी
हत्या
मुन्ना
बजरंगी
को
बागपत
की
जिस
जेल
में
गोलियों
से
छलनी
कर
दिया
गया।
कभी
उसने
भी
इसी
जेल
की
सलाखों
के
अंदर
हत्या
करवाई
थी।
तकरीबन
14
साल
पहले
मार्च
2004
में
मुन्ना
बजरंगी
के
शूटरों
ने
वाराणसी
जेल
में
पार्षद
वंशी
यादव
को
गोलियों
से
भून
कर
मौत
के
घाट
उतार
दिया
था।
वर्चस्व
को
लेकर
हो
सकती
है
जंग!
मुन्ना
बजरंगी
की
हत्या
के
बाद
अब
यूपी
में
गैंगवार
का
खतरा
जताया
जाने
लगा
है।
पश्चिमी
यूपी
से
लेकर
पूर्वांचल
तक
अपराध
की
दुनिया
में
बड़े-बड़े
खिलाड़ी
हैं,
मुन्ना
बजरंगी
इनमें
कई
गैंग
का
करीबी
था।
जबकि
सुनील
राठी
गैंग
पश्चिमी
यूपी
में
सक्रिय
है।