अदालती गलती को 41 साल में नहीं पकड़ पाए 11 जज, मौत के बाद जाकर मिला न्याय
मिर्जापुर। 1993 में आई फिल्म दामिनी में सनी देओल ने एक डायलॉग मारा था, न्यायालयों में तारीख पर तारीख मिलती है। इस डायलॉग ने न्याय व्यवस्था में देरी पर सवालिया निशान खड़ा किया था। इसका जीता जागता उदाहरण मिर्जापुर में देखने को मिला। मालूली त्रुटि के चलते 41 साल से महिला कोर्ट का चक्कर लगाती रही। इस बीच 11 जजों के सामने से फाइल गुजरी गई, पर इस पर किसी की नजर नहीं गई। अब जाकर सिविल जज(सीडी) लवली जायसवाल की नजर पड़ने पर उसे न्याय मिला। इस बीच वादिनी गंगा देवी का 2015 में निधन हो गया।
मकान
कुर्क
होने
पर
कोर्ट
से
फीस
जमा
करने
का
हुआ
था
आदेश
शहर
कोतवाली
क्षेत्र
के
बदली
कटरा
गिरधर
का
चौराहा
निवासिनी
गंगा
देवी
के
मकान
को
वर्ष-1975
में
किसी
कारणवश
डीएम
के
निर्देश
पर
सदर
तहसील
के
तहसीलदार
ने
कुर्क
कर
दिया।
प्रशासन
के
इस
आदेश
के
खिलाफ
गंगा
देवी
सिविल
जज(सीडी)
की
अदालत
में
मामला
दाखिल
कर
दिया।
कोर्ट
ने
वादिनी
को
वर्ष-1977
में
312
रुपये
कोर्ट
फीस
जमा
करने
का
आदेश
दे
दिया।
वादिनी
गंगा
देवी
ने
उसी
समय
कोर्ट
फीस
भी
अदालत
में
जमा
करा
दिया।
अदालत
ने
इस
मुकदमे
का
गुण-दोष
के
आधार
पर
निस्तारण
भी
41
वर्ष
पूर्व
गंगा
देवी
के
पक्ष
में
कर
दिया
था।
अदालत
के
इस
फैसले
के
विरोध
में
राज्य
सरकार
ने
सेसन
कोर्ट
में
अपील
दाखिल
कर
दिया।
41
वर्ष
बाद
मिला
न्याय
सेशन
कोर्ट
ने
सुनवाई
के
बाद
अपील
खारिज
कर
पत्रावली
अधीनस्थ
न्यायालय
को
वापस
कर
दिया।
इसके
बावजूद
लिपिकीय
और
अदालती
त्रुटि
के
कारण
कोर्ट
फीस
की
कमी
का
मामला
बीते
41
वर्षों
से
अदालत
में
चलता
रहा।
मुकदमे
की
पैरवी
करते-करते
गंगा
देवी
भी
वृद्ध
हो
गई
पर
उन्हें
अदालतों
की
तारीखों
से
छुट्टी
नहीं
मिल
पा
रही
थी।
जब
यह
मामला
सिविल
जज(सीडि)
लवली
जायसवाल
की
कोर्ट
में
पहुंचा
तो
उन्होने
पत्रावली
का
गहराई
से
अवलोकन
किया
तो
उन्होंने
त्रुटि
को
पकड़
लिया
और
31
अगस्त
2018
को
मुकदमे
का
भी
निस्तारण
कर
दिया।
2015
में
वादिनी
की
हो
गई
थी
मौत
मामूली
त्रुटि
के
चलते
मामले
के
निस्तारण
में
चार
दशक
का
समय
लग
गया।
इसी
बीच
वादिनी
गंगा
देवी
का
2005
में
निधन
हो
गया।
उनके
पौत्र
विवेक
तिवारी
ने
बताया
कि
उनको
कोर्ट
से
आदेश
मिला
तो
जानकारी
हुई।
41
बाद
न्याय
मिलने
पर
प्रसन्नता
जताई।
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