मल्हनी विधानसभा उपचुनाव: सपा के लिए 'लकी' सीट पर धनंजय ने फंसा दिया पेंच
लखनऊ। यूपी में जिन सात सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं, उनमें एकमात्र मल्हनी सीट ही ऐसी है जिस पर विपक्ष यानी सपा का कब्ज़ा था। इस लिहाज से जिसकी जीत होगी वह यूपी में 2022 के विधान सभा चुनाव में राग मल्हनी जरूर आलापेगा। अगर बीजेपी की जीत हुई तो वो इसे सुशासन का नतीजा बताएगी और अगर विपक्ष जीता तो वो इसे सरकार की नाकामी का परिणाम बातएगा। वैसे मल्हनी में बीजेपी और सपा के बाद मुकाबले का तीसरा कोण निर्दलीय धनंजय सिंह हैं। बाहुबली धनंजय सिंह यहाँ राजनीतिक मैदान के पुराने खिलाड़ी हैं। हालांकि दो बार के विधायक और एक बार के सांसद धनंजय 2017 का विधान सभा चुनाव हार कर दूसरे स्थान पर रहे थे। सपा के कद्दावर नेता रहे पूर्व मंत्री पारसनाथ यादव के निधन के बाद मल्हनी विधानसभा पर उपचुनाव हो रहा।
सपा को सहानुभूति का सहारा
सपा को यहाँ सहानुभूति का सहारा है। इसीलिए समाजवादी पार्टी ने विधायक पारसनाथ यादव के निधन के बाद पुत्र लकी यादव को यहां से प्रत्याशी बनाया है। सत्तारूढ़ भाजपा ने छात्रनेता रहे मनोज कुमार सिंह को उतरा है और कांग्रेस ने पार्टी के पुराने कार्यकर्ता राकेश कुमार मिश्र को प्रत्याशी बनाया है। बसपा की तरफ से जय प्रकाश दुबे मैदान में हैं। मल्हनी विधान सभा क्षेत्र यादव बहुल इलाका है। इसलिए सपा ने अपनी इस परंपरागत सीट को बचाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है।
मल्हनी में सबसे ज्यादा यादव मतदाता
यहां के जातीय समीकरणों पर नजर डाले तो मल्हनी विधान सभा क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या लगभग 3.70 लाख है। मल्हनी विधान सभा क्षेत्र में सर्वाधिक लगभग 93 हजार यादव, 57 हजार अनुसूचित जाति, 46 हजार क्षत्रिय, 41 हजार ब्राह्मण, 33 हजार मुस्लिम और 53 हजार गैर यादव ओबीसी वोटर हैं। इस लिहाज से सपा को यादव और मुस्लिम मतदाताओं पर भरोसा है। जबकि बीजेपी को क्षत्रिय, ओबीसी, ख़ासकर निषाद समाज पर भरोसा है। क्योंकि निषाद पार्टी बीजेपी के साथ है। कांग्रेस और बसपा दोनों ने मल्हनी से ब्राह्मण योद्धा उतारे हैं। इस तरह बसपा और कांग्रेस दोनों को लगता है कि ब्राह्मण, बीजेपी और समाजवादी पार्टी से नाखुश हैं और इसका फायदा उनको मिल सकता है।
निर्दलीय धनंजय के आने से मुकाबला त्रिकोणीय
मल्हनी सीट समाजवादी पार्टी के पास थी। सपा के सामने इस सीट को बरकरार रखने की चुनौती है। सपा को लगता है सहानुभूति लहर के चलते इस यादव बहुल सीट पर लकी यादव लकी साबित होंगे। उनके सामने दो ब्राह्मण व दो क्षत्रिय प्रत्याशी हैं। इनमें ब्राह्मण और क्षत्रिय वोट बंट जायेगा और सपा की राह आसान हो जाएगी। भाजपा के मनोज सिंह भी क्षत्रिय हैं। लेकिन बीजेपी को सबसे ज्यादा नुकसान पूर्व सांसद निर्दल धनंजय सिंह पहुंचा सकते हैं। धनंजय ने पिछला चुनाव निषाद पार्टी से लड़ा था। हालांकि इस बार निषाद पार्टी बीजेपी के साथ है लेकिन धनंजय को लगता है कि मल्हनी के निषाद मतदाता अभी भी उनके साथ हैं। बसपा और कांग्रेस ने ब्राह्मण प्रत्याशी उतारकर जातिगत समीकरणों को थोडा उलझा दिया है। इस सीट से धनंजय सिंह ने निर्दल उम्मीदवार के रूप में अंततः नामांकन किया है। पहले चर्चा थी किजौनपुर की मल्हनी सीट पर कांग्रेस धनंजय को उतार सकती है। कहा जा रहा उन्हें 12 अक्टूबर को लखनऊ पहुंचकर पार्टी में शामिल होने का आमंत्रण भी मिल चुका था। मगर कांग्रेस ने ऐन वक्त पर पुराने कार्यकर्ता पर ही दांव लगाना बेहतर समझा। वजह कांग्रेस पार्टी के अंदर धनंजय का काफी विरोध हो रहा था। कांग्रेस प्रत्याशी राकेश कुमार मिश्रा उर्फ मंगला गुरू पुरवां समाधगंज के मूल निवासी हैं। वह इंटर पास हैं। उनकी राजनैतिक पृष्ठभूमि गांव से जुड़ी है। अपने गांव के प्रधान रहे और बीडीसी सदस्य भी रह चुके हैं। पहले यह क्षेत्र रारी नाम से जाना जाता था और इस सीट से धनंजय दो बार विधायक रह चुके हैं। वर्ष 2012 और 2017 के विधान सभा चुनाव में भी धनंजय सिंह का सीधा मुकाबला सपा प्रत्याशी पारसनाथ यादव से ही था।
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रारी 2012 में बन गया मल्हनी
नये परिसीमन में 2012 के चुनाव में रारी विधानसभा का नाम बदलकर मल्हनी हो गया साथ कई ऐसे गांव जुड़े जो यादव बाहुल थे। मौके की नजाकत देखते हुए पारसनाथ इसी विधानसभा को अपना कार्य क्षेत्र चुना। 2012 चुनाव से पूर्व धनंजय सिंह जेल चले गये। जेल में रहने के कारण उन्होने इस सीट पर अपनी पत्नी डॉ. जागृति सिंह को निर्दल प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतारा। यह चुनाव सपा के पारसनाथ यादव जीते लेकिन धनंजय का वोट बैंक भी काफी बढ़ गया। 2017 विधानसभा चुनाव धनंजय सिंह ने निषादराज पार्टी के बैनर तले लड़ा। यह चुनाव वे सपा प्रत्याशी पारसनाथ यादव से हार गये। उन्हे इस कुल 48 हजार 141 मत मिला। बीजेपी प्रत्याशी सतीश सिंह 38 हजार 966 वोट पाकर चौथे स्थान रहे।
रारी/मल्हनी सीट से जीतने वाले विधायक
2017 पारसनाथ यादव-सपा / 2012 पारसनाथ यादव-सपा / 2009 उप चुनाव में राजदेव सिंह-बसपा / 2007 धनंजय सिंह जनता-दलयू / 2002 धनंजय सिंह-निर्दल / 1996 में श्रीराम यादव-सपा
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