11 गोलियां लगने के बाद भी मौत को मात देकर मॉर्च्युरी से जिंदा लौटा था मुन्ना बजरंगी
बागपत। माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी की बागपत जेल में सोमवार को हत्या कर दी गई थी। उसे जेल के अंदर ही सुनील राठी नाम के एक गैंगस्टर ने करीब 9 गोलियां मारी थीं। बताया जाता है कि नौ गोलियां मारने के बावजूद गैंगस्टर ने कन्फर्म किया था कि कहीं मुन्ना बजरंगी जिंदा तो नहीं है। वो इसलिए क्योंकि आज से 20 साल पहले दिल्ली के मायापुरी में एनकाउंटर के बाद भी मुन्ना बजरंगी बच गया था। हालांकि एनकाउंटर करने वाली पुलिस ने उसे मरा हुआ मान लिया था लेकिन वह जिंदा था जिसका पता बत चला वह मॉर्च्युरी में अचानक से हलचल करने लगा।
1998 में एसटीएफ का हुआ था शिकार
पूर्वांचल में आतंक मचाने वाला मुन्ना बजरंगी साल 1998 में एसटीएफ का शिकार हुआ था। दिल्ली में यूपी-दिल्ली पुलिस व मुन्ना बजरंगी की दिल्ली के सीमापुरी इलाके में मुठभेड़ हुई थी। जिसमें मुन्ना और उसके साथी यतेंद्र गुर्जर के अलावा दिल्ली पुलिस के एक सिपाही को भी गोली लगी थी। गोली लगने के बाद मुन्ना को मरा समझ कर पुलिस वाले मॉर्च्युरी ले आए थे, लेकिन वहां पता चला कि मुन्ना मरा नहीं था बल्कि वह जिंदा था। जिसके बाद पुलिस उसे फिर से अस्पताल लेकर पहुंची थी।
साथी की हो गई थी मौत
यूपी पुलिस के साथ एनकाउंटर में फायरिंग के दौरान मुन्ना बजरंगी को सात और उसके साथी यतेंद्र गुर्जर को तीन गोलियां लगी थीं। दोनों बदमाशों को एक निजी अस्पताल ले जाया गया तो डॉक्टरों ने दोनों को मृतक बताकर पोस्टमार्टम हाउस भेज दिया था। जहां पता चला था कि यतेंद्र की तो मौत हो गई थी लेकिन मुन्ना बजरंगी जिंदा था।
आतंक का पर्याय बन चुका था मुन्ना
इसके बाद मुन्ना बजरंगी को अस्पताल ले जाया गया और वहां उसका इलाज किया गया। इसके बाद मुन्ना बजरंगी ने रिट पिटीशन दी कि उसकी हत्या एडीजी अजय राज शर्मा और विक्रम सिंह कराना चाहते थे। विक्रम सिंह कहते हैं कि मुन्ना बजरंगी ने धन वसूली में जितना आतंक पैदा किया, उतना आतंक शायद ही कोई पैदा कर पाया हो।
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