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प्रधानमंत्री कार्यालय से नाराज हुआ इलाहाबाद हाईकोर्ट, ठोंका 5000 का जुर्माना

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लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने प्रधानमंत्री कार्यालय और कानून मंत्री पर 5000 रुपए का जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना कैग रिपोर्टों पर कार्रवाई की मांग से संबंधित जनहित याचिका पर आदेश के बावजूद जवाबी हलफनामा दाखिल नहीं करने से नाराज कोर्ट ने लगाया है। जस्टिस सुधीर अग्रवाल और जस्टिस अब्दुल मोइन की खंडपीठ ने सुनील कांदू की जनहित याचिका पर यह फैसला सुनाया।

केंद्र सरकार हर कैग की 5000 रिपोर्ट में सिर्फ 10 पर संज्ञान लेती है

केंद्र सरकार हर कैग की 5000 रिपोर्ट में सिर्फ 10 पर संज्ञान लेती है

याचिकाकर्ता ने पीआईएल में आरोप लगाया था कि केंद्र सरकार को कैग हर साल 5,000 रिपोर्ट्स देती है। जिसमें से मात्र दस रिपोर्ट्स को ही केंद्र सरकार संज्ञान में लेती है। बाकी की रिपोर्ट्स पर कोई कार्रवाई नहीं होती। याचिकाकर्ता ने कोर्ट में याचिका करके कैग के सुधार की मांग की थी। वहीं याचिकाकर्ता ने प्रदेश में महालेखाकार द्वारा पिछले दस वर्षों में लगाये गये लेखा परीक्षा आपत्तियों पर कोई कार्रवाई न होने का मुद्दा भी उठाया था।

 चार महीने बीत जाने के बाद भी पीएमओ ने नहीं दिया जबाव

चार महीने बीत जाने के बाद भी पीएमओ ने नहीं दिया जबाव

याचिका पर 9 जनवरी को सुनवाई के दौरान अदालत ने पाया कि एक अगस्त, 2017 को ही प्रतिवादियों को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया गया था। इसके लिए पीएमओ और कानून मंत्री को 1 महीने का समय भी दिया गया था। लेकिन चार महीने बीत जाने के बाद भी पीएमओ और कानून मंत्री की तरफ से कोर्ट के आदेश पर कोई जवाब नहीं आया। इससे नाराज कोर्ट ने पीएमओं पर 5 हजार का जुर्माना ठोंक दिया।

असिस्टेंट सलिसिटर जनरल ने मांगा और टाइम तो नाराज हुआ कोर्ट

असिस्टेंट सलिसिटर जनरल ने मांगा और टाइम तो नाराज हुआ कोर्ट

पीएमओ और कानून मंत्री की तरफ से जवाब दाखिल करने के लिए असिस्टेंट सलिसिटर जनरल एसबी पाण्डेय ने हाई कोर्ट से और समय मांगा तो कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए कि उन्हें एक और समय जवाबी हलफनामा दायर करने के लिए जुर्माने सहित समय दिया जा रहा है। इस मामले की अगली सुनवाई तीन हफ्ते बाद होने है। इसकी साथ असिस्टेंट सलिसिटर जनरल को इस मामले पर जबाव भी देना होगा।

English summary
Lucknow bench of the Allahabad high court has imposed a penalty of Rs 5,000 on the Prime Minister's Office (PMO) and the Union law ministry
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