आनंद गिरि: महंगे फोन और लग्जरी गाड़ियों का शौक, अधिकारी आकर छूते पैर, ऐसी है लाइफस्टाइल
नई दिल्ली, 21 सितंबर: अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि के निधन के बाद से आनंद गिरि का नाम चर्चा में है। आनंद, नरेंद्र गिरि के शिष्य हैं और किसी जमाने में उनके खास हुआ करते थे, लेकिन पैसे और प्रॉपर्टी को लेकर दोनों में विवाद हुआ। जिसके बाद से दूरियां बढ़ती चली गईं। वैसे आनंद ने साधु-संतों वाला जीवन जीने के लिए अखाड़ा परिषद का साथ पकड़ा था, लेकिन उनकी लाइफ लग्जरी थी। आइए जानते हैं इस बारे में विस्तार से-
बुलेट से चलते हैं
आनंद गिरि को लोग छोटे महाराज भी कहते हैं। उनका रहन-सहन संतों से एकदम अलग है। वो महंगी गाड़ियों में घूमने के शौकीन हैं। उनके पास पहले एक होंडा सिटी और बुलेट हुआ करती थी। जब प्रयागराज में माघ मेला चलता था, तो वो बुलेट की सवारी करते थे। इसके अलावा कई बार वो लग्जरी गाड़ियों में घूमते हुए नजर आए। इन्हीं सब चीजों की वजह से उनकी मठ में दूसरे शिष्यों से अलग अहमियत रही है।
महंगे कपड़े पहनते
वहीं उनके हाथ में आपको एप्पल जैसे महंगे फोन भी देखने को मिल जाएंगे। कुछ लोगों को कहना है कि महंगे फोन भी आनंद गिरि कुछ ही महीनों में बदल दिया करते हैं। अब बात कपड़ों की, वैसे तो वो हमेशा भगवा कपड़े में दिखते हैं, लेकिन उनके करीबियों के मुताबिक वो साधारण कपड़े नहीं हैं। उनकी कीमत भी हजारों रुपये मीटर रहती है।
अधिकारी लेते हैं आशीर्वाद
प्रयागराज में आनंद गिरि का काफी रसूक है। जब भी कोई मंत्री, विधायक, सांसद या बड़ा आदमी संगम किनारे लेटे हनुमान जी के दर्शन करने आता, तो आनंद गिरि के साथ उसकी फोटो जरूर होती। कई बार वो बड़ी हस्तियों की डिमांड पर विशेष पूजा पाठ भी मंदिर में करवाया करते थे। एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया कि प्रयागराज के कई प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी भी उनके भक्त थे, जिस वजह से महंत के काम एक फोन पर हो जाया करते थे। कुछ अधिकारी तो मंदिर में आकर उनका पैर छूकर आशीर्वाद लेते नजर आए।
पुलिस जवान चलते थे साथ
आनंद गिरि को अपना रसूक दिखाने का काफी शौक था। इसकी वजह से उनकी सुरक्षा में दो पुलिस के जवान भी तैनात रहते थे। जब भी माघ मेला जैसा बड़ा अवसर आता, तो जवानों की संख्या 4 से 6 हो जाती थी। मठ के सदस्यों के मुताबिक एक संत को इस तरह का जीवन शोभा नहीं देता था, जिस वजह से कई बार उनकी शिकायत भी की गई। इन्हीं सब वजहों से नरेंद्र गिरि ने उनसे दूरी बना ली थी।
आनंद गिरि का दावा- नरेंद्र गिरि की हुई हत्या, पैसे-प्रॉपर्टी के लिए रची गई साजिश
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