इलाहाबाद यूनिवर्सिटी छात्रसंघ चुनाव जीतने के लिए चले ये हथकंडे, खत्म हुआ प्रचार
इलाहाबाद। केंद्रीय विश्वविद्यालय इलाहाबाद में छात्र संघ चुनाव 2018 की गतिविधियां अपने चरम पर पहुंच चुकी है। छात्र संघ चुनाव के लिए प्रचार का आज आखिरी दिन है और सारे प्रत्याशियों ने अपने प्रचार के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। कल छात्रसंघ भवन पर मतदान होना है और आज शाम 6:00 बजे प्रचार-प्रसार थम जाएगा। फिलहाल चुनाव में छात्र संगठन के बैनर तले उतरे प्रत्याशियों का पैनल हो अथवा निर्दलीय लड़ रहे प्रत्याशी, हर किसी ने अपना चुनावी समीकरण सेट करने के लिए जमीन आसमान एक कर दिया है। हॉस्टल के कमरों से लेकर शहर की गलियों में रहने वाले छात्रों के कमरों तक छात्र नेताओं का जमावड़ा लगा हुआ है। भोर में शुरू होने वाली वाहनों की लंबी लंबी कतारें देर रात तक पूरे शहर में घूम रही हैं और अपने पक्ष में मतदान करने के लिए प्रत्याशी छात्रों को रिझाने में लगे हुए हैं।
राजनैतिक दल अजमा रहे अपनी ताकत
छात्र राजनीति का वैसे तो मुख्य राजनीति से कोई सीधा संपर्क नहीं होना चाहिए। लेकिन, गुजरे एक दशक से यूनिवर्सिटी में होने वाले छात्र संघ के चुनाव मे राजनीतिक दल सीधा हस्तक्षेप करते हैं। इसके लिए बकायदा राजनैतिक दलों को समर्पित छात्र संगठन बना दिए गए हैं और इनके सहारे ही छात्र राजनीति से राजनीतिक दल अपनी आधारशिला को मजबूती देते हैं । मौजूदा समय में छात्र संघ का चुनाव राजनीतिक दलों की साख का विषय बन गया है । इतना ही नहीं यहां पर होने वाली हार-जीत स्थानीय चुनावों को भी पूरी तरह से प्रभावित करती है और पिछले कई चुनाव इस बात को साबित भी कर चुके हैं । फिलहाल इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में छात्रसंघ चुनाव भी इसी कड़ी का एक हिस्सा है । जिसमें भाजपा को समर्थित अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और समाजवादी पार्टी को समर्थित समाजवादी छात्र सभा व कांग्रेस को समर्थित नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया ने अपना पूरा दमखम इस चुनाव को जीतने में लगा दिया है ।
राजनीतिक दलों ने जीत के लिए लगाया पूरा जोर
चुनाव में सिर्फ छात्र संगठन ही नहीं मुख्य राजनीतिक दल के संगठन पदाधिकारी इस चुनाव में हिस्सा ले रहे हैं और लगातार रणनीति उनके द्वारा ही तय की जा रही है। ऐसे में यह साफ है कि इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में होने वाली हार-जीत आगामी लोकसभा चुनाव के दौरान पूर्वांचल में होने वाले राजनीतिक दलों की दिशा को साफ तौर पर दर्शाने वाले है । क्योंकि यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले छात्रों की संख्या पूर्वांचल का बखूबी प्रतिनिधित्व करती है। ऐसे में युवाओं की मंशा छात्र राजनीति में अब मुख्य राजनीतिक धारा की तरह ही प्रदर्शित होती है। इसलिए सभी राजनीतिक दलों ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी छात्र संघ में जीत के लिए अपना पूरा जोर लगा दिया है । पिछले कुछ चुनावों पर नजर डालें तो यूनिवर्सिटी में जिस छात्र संगठन की सरकार बनी थी उसके समर्थित दल ने ही स्थानीय राजनीति में अपना वर्चस्व बनाया था।
यह है पैनल
खिल भारती विद्यार्थी परिषद ने अतेंद्र सिंह को अध्यक्ष, विरेंद्र चौहान को उपाध्यक्ष, शिवम सिंह को महामंत्री, चंदन गुप्ता को संयुक्त मंत्री और अमित आनंदपाल को सांस्कृतिक सचिव के तौर पर अपना प्रत्यासी बनाया है। जबकि समाजवादी छात्र सभा ने उदय प्रकाश यादव को अध्यक्ष, मुनेश कुमार सरोज को उपाध्यक्ष, राहुल यादव को महामंत्री, सत्यम कुमार सिंह को संयुक्त सचिव के तौर पर अपने पैनल में जगह दी है।
आगे का कार्यक्रम
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मतदान
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पांच
अक्तूबर
सुब।
8
से
2
बजे
तक
होगा।
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मतगणना
-
5
अक्तूबर
को
ही
शाम
5
बजे
से
होगी।
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रिजल्ट
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मतगणना
पूरी
होने
के
बाद
5
अक्तूबर
की
देर
रात
रिजल्ट
जारी
होगा।
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शपथ
ग्रहण
-
6
अक्तूबर
को
दिन
में
11
बजे
से
छात्रसंघ
भवन
पर
शपथ
ग्रहण
समारोह
का
आयोजन
होगा।
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