मथुरा के 'कृष्ण' ने लगाई ISRO में छलांग, परिवार ने समझा पढ़ाई का महत्व
वेल्डिंग का काम करके पिता को जो पैसे मिलते हैं, उसी से वो अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं।
मथुरा। कहते हैं सफलता किसी की मोहताज नहीं होती, ऐसा ही कारनामा कर दिखाया है मथुरा के लाल कृष्ण गोपाल ने, इसरो के लिए सलेक्ट होने वाले कृष्ण गोपाल का परिवार मध्यम वर्ग में रहकर अपना जीवन यापन करता है। बता दें की कृष्ण गोपाल के पिता पूरन सिंह अपने परिवार के साथ रिफाइनरी नगर स्थित गोपालपुरा कॉलोनी में रहते हैं और नेशनल हाईवे स्थित एक वेल्डिंग की दुकान पर काम करते हैं। वेल्डिंग का काम करके जो पैसे उन्हें मिलते है उसी से अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं। इनके परिवार में दो बेटी और एक बेटा है, कृष्ण गोपाल बड़ा बेटा है और दूसरे नंबर की बेटी खुशबू और तीसरे नंबर की बेटी सुनैना है। ये दोनों बेटी भी पढ़ रही है और परिवार में खुशी का माहौल है।
कैसे पढ़ कर अंतरिक्ष में पहुंचे?
जब हमने इसरो में चयनित हुए कृष्ण गोपाल से बात की तो उन्होंने बताया कि उनकी पढ़ाई मथुरा से हुई है। कृष्ण गोपाल ने नवीन विद्या मंदिर से फर्स्ट क्लास में आठवीं क्लास तक पढ़ाई की उसके बाद बारहवीं की पढ़ाई दाऊजी से पूरी की। इसके बाद उन्होंने इसरो के लिए परीक्षा दी, कृष्ण मैकेनिकल ब्रांच से वैज्ञानिक के पद पर चयनित हुए हैं। उनका कहना है कि हमेशा से उनका यही शौक रहा है, इस सफलता का श्रेय वो अपने परिवार को ही देना चाहते हैं। दसवीं और बारहवीं की जो पढ़ाई है, दोनों ही क्लासों में कृष्ण गोपाल के 70 प्रतिशत मार्क्स आए, उसके बाद उन्होंने इंजीनियरिंग की जिसमें उनके 75 प्रतिशत रिजल्ट आए।
बेटे ने जो मांगा वो हमने दिया
इसरो में चयन होने से पूरे परिवार में खुशी का माहौल है। कृष्ण गोपाल के पिता पूरन सिंह ने बताया कि जिस तरह से उनके बेटे ने मेहनत की है। उनको इस बात से बहुत उत्साह है कि उनका बेटा अब इसरो में काम करेगा, इससे परिवार के बाकी सदस्य भी काफी खुश हैं वहीं पिता का कहना है कि बेटे का इसरो में सलेक्शन होने से उसके छोटे भाइ-बहने को भी एक प्रेरणा मिलेगी।
घर, खेत बेचना पड़ता तो बेच देती बेटे की पढ़ाई के लिए
कृष्ण गोपाल की मां नीलम और दोनों बहनों सुनैना और खुशबू का कहना है उन्हें बहुत खुशी है। मां ने बताया कि बेटे के हुनर को देखते हुए उन्हें पहले से विश्वास था कि एक दिन उनका बेटा जरूर कुछ बड़ा करके दिखाएगा। इसीलिए मां मन ही मन ये बात संजोए रखती थीं कि बेटे की पढ़ाई में अगर कोई रुकावट आई तो वो जमीन बेचने से भी पीछे नहीं हटेंगी।
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