आखिर क्यों लाहौर से काशी आना पड़ा भोलेनाथ को, जानें वजह ?
वाराणसी। सावन का पावन महीना- जिस महीने में देवों के देव महादेव की पूजा और प्रार्थना करने से मनुष्य की सभी मनोवांछित इच्छाएं पूरी होती हैं। ऐसे में शिव के अतिप्रिय काशी में भोलेनाथ को पाकिस्तान के लाहौर से काशी के गंगा घाट पर आना पड़ा है। इनकी पूजा पाकिस्तानी शिव के नाम से की जाती है। शिव के प्रिय महीने में आज हम आपको वाराणसी के शीतला घाट पर स्थित पाकिस्तानी महादेव मंदिर के बारे में बताएंगे। यही नहीं इसका सरकारी दस्तावेजों में भी नाम दर्ज है और इस मंदिर का नाम भी पाकिस्तानी मंदिर है। वीडीए के रिकॉर्ड मंदिर भवन संख्या 382 जो बनारस कोतवाली जोन में आता है। जब हमने इस मंदिर के बारे में जानने की कोशिश की तो पता चला कि आखिर क्यों भोलेनाथ को बंटवारे के वक्त लाहौर को छोड़ काशी आना पड़ा ?
बंटवारे
के
दौरान
जमुना
दास
और
निहाल
चंद
भोलेनाथ
को
ले
आए
काशी
लाहौर
के
हीरा
व्यापारी
जमुना
दास
और
निहाल
चंद्र
ने
बंटवारे
के
बाद
आते
समय
करोड़ों
की
प्रापर्टी
वहां
छोड़कर
लाहौर
स्थित
घर
में
स्थापित
शिवलिंग
को
विसर्जित
करने
काशी
आए
थे।
राजघाट
के
पास
नाव
से
विसर्जित
करने
के
दौरान
कुछ
लोगों
ने
देख
लिया
था।
लोगों
के
कहने
पर
घाट
के
सीढ़ियों
के
पास
उस
समय
के
तत्कालीन
परिजनों
के
साथ
मिलकर
शिवलिंग
को
अनुष्ठान
के
बाद
स्थापित
करा
दिया।
बनारस
के
पियरी
की
रहने
वाली
गायत्री
देवी
ने
बताया
कि
यह
शिवलिंग
बंटवारे
के
बाद
पाकिस्तान
के
लाहौर
से
हमारे
परदादा
जमुना
दास
और
दादा
निहाल
चंद
लेकर
आये
थे।
मंदिर
का
शिवलिंग
पाकिस्तान
के
लाहौर
से
आया,
इसलिए
लोग
इसे
पाकिस्तानी
महादेव
कहने
लगे।
तत्कालीन
बूंदी
स्टेट
के
राजा
के
आदेश
पर
शिवलिंग
की
हुई
प्राण
प्रतिष्ठा
राजमंदिर
वार्ड
के
पार्षद
अजित
सिंह
ने
हमें
बताया
कि
शीतला
घाट
पर
बूंदी
स्टेट
के
राजा
गोपाल
महराज
रहा
करते
थे।
रोज
शाम
को
वो
यहां
से
राजघाट
तक
टहलने
जाते
थे।
एक
दिन
उन्होंने
देखा
कि
दो
लोग
शिवलिंग
को
गंगा
में
विसर्जित
करने
जा
रहे
थे।
राजन
ने
पहले
उन
दोनों
को
गंगा
में
शिवलिंग
को
विसर्जन
करने
से
रोका
और
फिर
कारण
जाना।
जब
राजा
गोपाल
दास
को
इस
बाद
की
जानकारी
हुई
की
ये
शिवलिंग
पाकिस्तान
ने
दोनों
हीरा
व्यापारी
साथ
लेकर
आये
हैं
तो
उन्होंने
इस
शीतला
घाट
पर
प्राण
प्रतिष्ठित
करने
का
आदेश
दे
दिया।
आज
वीडीए
सहित
सभी
सरकारी
दस्तावेजों
में
भी
इस
मंदिर
को
पाकिस्तानी
महादेव
मंदिर
के
नाम
से
ही
जानते
हैं।
केयर
टेकर
भी
इस
मंदिर
के
देख
निहाल
हो
गए
थे
मंदिर
वर्तमान
केयर
टेकर
अजय
शर्मा
बताया
की
मैंने
सुना
हैं
कि
दो
लोग
लाहौर
के
हीरा
व्यवसायी
जमुना
दास
और
निहाल
चंद
थे।
इन्हीं
लोगो
ने
उस
समय
शीतला
घाट
पर
इस
शिवलिंग
को
स्थापित
किया
था।
यही
नहीं
केयर
टेकर
अजय
शर्मा
ने
मंदिर
का
देखभाल
करता
हूँ
।
पहली
बार
संगमरमर
का
सफ़ेद
शिवलिंग
देखा
जिसमे
त्रिनेत्र
बना
है।
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