सावन का आखिरी सोमवार, महाकाल के रूप में महादेव करेंगे कल्याण
वाराणसी। काशी जिसका नाम ही मुक्ति की राह पर अग्रसर कर देता है। जिसके कण-कण में शिव का वास माना गया है। जिसकी महिमा शास्त्रो में वर्णित है, वही काशी इस समय औघड़दानी बाबा भोले नाथ की भक्ति में लीन है। भक्ति भी ऐसी जिसमें हो मस्ती का आनंद, साथ हो सावन। इस पवित्र महीने के कुल 4 सोमवार थे जिनमे ३ बीत चुके हैं और चौथा आज है। ऐसे में शिवभक्तों का भोलेनाथ के दर पर जाना लाजमी है। पिछले तीन सोमवार तक काशी विश्वनाथ मंदिर में लाखों की संख्या में शिवभक्त दर्शन पूजन कर चुके हैं। वहीं इस अंतिम सोमवार को ऐसी उम्मीद लगाए जा रही है कि करीब 4 लाख लोग काशी विश्वनाथ में जलाभिषेक कर सकते हैं।
विश्वनाथ
मंदिर
की
ओर
से
रेड
कार्पेट
और
एलईडी
स्क्रीन
सावन
के
आखिरी
सोमवार
पर
आज
काशी
एक
बार
फिर
कावड़ियों
के
केसरिया
रंग
में
रंग
गई
है।
चारों
तरफ
बोल
बम
का
ही
नारा
सुनाई
दे
रहा
है।
काशी
विश्वनाथ
मंदिर
में
आने
वाले
भक्तों
को
ज्यादा
आसानी
से
इस
आखिरी
सोमवार
का
दर्शन
हो
इसके
लिए
मंदिर
प्रशासन
ने
पर्याप्त
व्यवस्था
की
बात
कही
है।
एक
तरफ
जहां
इस
सावन
में
कावड़ियों
और
शिवभक्तों
के
लिए
रेड
कार्पेट
लगे
हुए
हैं।
वहीं
बाबा
के
लाइव
दर्शन
के
लिए
मन्दिर
प्रशासन
ने
छत्ताद्वार
पर
बड़ी-बड़ी
दो
एलसीडी
स्क्रीन
लगाई
हैं।
जिससे
लाइन
में
खड़े
भक्तों
को
बाबा
विश्वनाथ
के
लाइव
दर्शन
हो
सकें।
वहीं
काशी
के
धर्मगुरु
पंडित
जितेंद्र
मोहनपुरी
की
मानें
तो
सावन
के
महीने
में
सोमवार
के
दिन
व्रत
रखकर
महादेव
की
आराधना
करनी
चाहिए।
ऐसा
करने
वालों
की
भोले
शंकर
सभी
मुराद
पूरी
करते
हैं।
आज
महाकाल
के
रूप
में
भगवान
शिव
करेंगे
भक्तों
का
कल्याण
पुराणों
के
अनुसार
भगवान
शिव
की
नगरी
काशी
है
और
वे
इस
आनंदवन
के
त्रिकण्टक
पर
विराजते
हैं।
भोलेनाथ
यानी
जहाँ
काशी
का
श्री
काशी
विश्वनाथ
मन्दिर
है
वह
स्थान
त्रिशूल
के
आकार
का
है।
यही
वजह
है
कि
यहां
होने
वाली
पूजाओं
के
संकल्प
में
महाशंषाने,
गौरी
मुखे,
त्रिकण्टक
विराजते
जैसे
शब्द
होते
हैं।
धर्मगुरु
पंडित
विजय
मोहन
पूरी
उर्फ
विजय
गुरु
जी
की
माने
तो
देवो
के
देव
महादेव
ने
इस
एक
महीने
अपने
भक्तों
के
कल्याण
के
लिए
अलग-अलग
स्वरूप
में
दर्शन
दिए
हैं
और
इसी
कड़ी
में
आज
महादेव
महाकाल
के
रूप
में
अपने
भक्तों
का
कल्याण
करेंगे
और
काशी
में
ऐसी
मान्यता
है
कि
दारानगर
के
महामृत्युंजय
मन्दिर
में
महाकाल
के
स्वरूप
का
दर्शन
करने
वालों
को
अकाल
मौत
से
मुक्ति
मिलती
है।
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