पापा चाहते थे डॉक्टर बने मारिया, पायलट बनने की जिद ने दिलाया था अलग मुकाम, जानें उनके बारे में सबकुछ
इलाहाबाद। मुंबई चार्टर्ड प्लेन हादसे में मौत का शिकार हुई पायलट मारिया जुबेरी इस समय देश की सबसे चर्चित शख्सियत बन गई हैं। चार्टर्ड प्लेन क्रैश होने से पहले उसे कम रिहायशी इलाके में ले जाने के कारण मारिया सोशल मीडिया पर छाई हुई हैं और राष्ट्रीय मीडिया में भी वह सुर्खियां बटोर रही हैं। लेकिन मारिया कौन हैं? और इनके पायलट बनने की पूरी कहानी क्या है इसे अब हर कोई जानना चाहता है। आइये हम आपको पायलट मारिया जुबेरी की बचपन से लेकर पायलट बनने और उनके जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं से रूबरू कराते हैं।
इलाहाबाद
में
हुआ
जन्म
संगम
नगरी
इलाहाबाद
के
रानी
मंडी
मोहल्ले
में
करीब
42
साल
पहले
मारिया
ने
डाक्टर
इकबाल
हसन
जुबेरी
की
बेटी
के
रूप
में
जन्म
लिया
था।
मारिया
इकबाल
की
पहली
संतान
थीं
और
सबसे
दुलारी
भी
थीं।
यही
कारण
था
कि
वह
पिता
द्वारा
डॉक्टर
बनने
के
दबाव
के
बावजूद
अपने
अलग
मुकाम
की
ओर
बढ़ीं
और
पायलट
बनीं।
मारिया
की
प्लेन
हादसे
मे
मौत
के
बाद
मारिया
के
घर
परिवार,
रिश्तेदार
मोहल्ले
में
मातम
है।
लेकिन,
मातम
के
बीच
हर
किसी
की
जुबान
पर
नन्हीं
मारिया
के
वही
सपने
हैं
जो
पायलट
बनने
के
लिये
बचपन
से
देखा
करती
थी।
प्लेन
देखने
में
लगती
थी
चोट
मारिया
के
पड़ोसी
इकबाल
चाचा
बताते
हैं
कि
मारिया
को
बचपन
से
ही
पायलट
बनने
का
जुनून
था।
जब
कभी
वह
प्लेन
की
आवाज
सुनती
तो
भागकर
छत
पर
चढ़
जाती
थी
और
उसे
तब
देखती
जब
तक
प्लेन
आंख
से
ओझल
नहीं
हो
जाता
था।
उस
समय
इक्का
दुक्का
प्लेन
कभी
कभार
नजर
आते
थे
और
उसे
देखने
की
चाहत
में
दौड़ते
हुये
मारिया
छत
की
ओर
भागती
थी।
कभी
मारिया
सीढी
पर
गिरी
तो
कभी
छत
पर
गिर
कर
गांठ
फोड़
लेती
थीं
लेकिन
उसके
प्लेन
देखने
का
जुनून
कम
नहीं
होता
था।
इकबाल
बताते
हैं
कि
मारिया
इसके
लिये
डांट
भी
खाती,
लेकिन
वह
कहती
कि
उसे
पायलट
ही
बनना
है।
अब
जब
मारिया
पायलट
बन
कर
अपने
सपने
को
जी
रही
थी
तो
उसे
इसी
प्लेन
में
अपनी
आखिरी
सांस
लेनी
पड़ी
है।
इलाहाबाद
में
की
पढ़ाई
मारिया
ने
इलाहाबाद
के
क्रास्थवेट
गर्ल्स
कॉलेज
और
फिर
सेंट
मेरीज
कालेज
से
12
वीं
तक
पढ़ाई
की।
इसके
बाद
इलाहाबाद
सेंट्रल
युनिवर्सिटी
से
उसने
बीएससी
से
ग्रेजुएशन
किया
और
फिर
रायबरेली
के
इंदिरा
गांधी
उड़ान
एकेडमी
से
पायलट
की
ट्रेनिंग
पूरी
की
थी।
मारिया
12
साल
पहले
पायलट
बनीं
और
उनकी
दक्षता
के
चलते
अब
तक
पांच
एयर
कंपनी
उसे
हायर
किया
था।
मारिया
एयर
एशिया
समेत
कई
एयरलाइंस
में
रह
चुकी
हैं।
कुछ
समय
पहले
ही
मारिया
ने
चार्टर
प्लेन
कंपनी
यूवाई
एविएशन
प्राईवेट
लिमिटेड
ज्वाइन
की
थी
और
उससे
पहले
मारिया
ताज
एयरवेज
में
काम
कर
रही
थीं।
बिना
ईद
मनाये
गईं
थी
वापस
यह
अजीब
ही
था
कि
मारिया
इस
में
ईद
मनाने
के
लिये
इलाहाबाद
आई
थी,
लेकिन
बिना
ईद
मनाये
ही
वापस
चली
गयी
थीं।
मारिया
आखिरी
बार
रमजान
में
इलाहाबाद
यानी
मायके
आई
थीं।
वह
इस
बार
बेटी
जैनब
को
साथ
लेकर
आई
थीं।
रमजान
मे
पांच
दिन
वह
यही
रुकी।
लेकिन
ईद
के
पहले
ही
उसे
मुंबई
जाना
पड़ा।
मां
फरीदा
कहती
है
कि
उन्हे
नहीं
पता
था
कि
अब
मारिया
हमारे
साथ
कभी
ईद
नहीं
मनायेगी।
नहीं
तो
वह
बेटी
को
जाने
नहीं
देती।
परिवार
के
बारे
में
मारिया
की
शादी
18
साल
पहले
रायबरेली
के
आमिर
रिजवी
के
साथ
हुई
थी
जो
फिल्म
प्रोडक्शन
के
कारोबार
में
हैं।
शादी
के
बाद
मारिया
पति
के
साथ
वे
मुंबई
शिफ्ट
हो
गईं
थी।
मारिया
की
बेटी
जैनब
15
साल
की
हैं
और
इसी
साल
उसने
हाईस्कूल
की
परीक्षा
पास
की
है।
मारिया
तीन
बहन
व
एक
भाई
थे।
डॉक्टर
साहब
की
छोटी
बहन
कुलकून
और
बारबरा
तथा
एक
भाई
राहिल
हसन
जुबैरी
है।
मारिया
और
बारबरा
मुंबई
में
रहती
थीं।
बारबरा
श्यामक
डावर
के
साथ
काम
करती
हैं।
जबकि
कुलकून
शारजाह
विश्वविद्यालय
में
मैनेजमेंट
की
प्रोफेसर
हैं।
बेटा
राहिल
दुबई
में
सिटी
बैंक
में
कार्यरत
है।
मारिया
की
मौत
की
खबर
पर
माता-पिता
इलाहाबाद
से
व
भाई
बहन
मुंबई
पहुंचे
हैं।
मऊआइमा
मे
शोक
मारिया
के
पिता
इकबाल
जुबैरी
पेशे
से
डाक्टर
हैं
और
इलाहाबाद
के
ग्रामीण
इलाके
मऊआइमा
में
45
साल
से
क्लीनिक
चला
रहे
हैं।
बचपन
में
मारिया
डॉक्टर
साहब
के
साथ
मऊआइमा
जाती
थी
और
पूरा
मोहल्ला
उसके
साथ
खेलता
था।
यही
कारण
हैं
कि
मारिया
की
मौत
की
खबर
पर
पूरा
मऊआइमा
शोक
मना
रहा
है।
डॉ.
इकबाल
बताते
है
कि
वह
बेटी
को
अपनी
तरह
डॉक्टर
बनाना
चाहते
थे,
लेकिन
बेटी
का
पैशन
पायलट
बनने
का
था
और
उसने
पायलट
बनकर
अपना
सपना
पूरा
किया।
ये भी पढे़ं- नेशनल हॉकी खिलाड़ी ने मोहल्ले के लड़कों पर लगाया गंभीर आरोप, फिर सामने आई ये सच्चाई