कानपुर पुलिस ने मैनपुरी से बहकर आई लाश को डंडे से धकेलकर हटाया, VIDEO VIRAL
कानपुर। सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो ने यूपी पुलिस का संवेदनहीन चेहरा सामने ला दिया है। इस वीडियो में पुलिसकर्मी हत्या कर नहर में बहाए गए एक छात्र को डंडे से कानपुर के ककवन थाने की सीमा से बाहर धकेलती दिखाई पड़ रहे है। इस छात्र की बीस दिन पहले मैनपुरी में हत्या करके हत्यारों ने लाश नहर में बहा दी थी। लाश दो सौ किलोमीटर बहकर कानपुर पहुंच गई थी और कानपुर पुलिस इसे दूसरे जिले की सीमा पर हटाकर मुसीबत से पीछा छुड़ाना चाहती थी।
सोशल मीडिया पर वायरल हुआ वीडियो
किसी तमाशबीन द्वारा मोबाईल फोन से खींचे इस वीडियो में एक लाश नहर में फंसी दिखाई पड़ रही है। लाश को देखने के लिए भीड़ जुटी है और सूचना पाकर वहां पहुंचे कानपुर के थाना ककवन के कुछ पुलिसकर्मी भी इसमें दिखाई पड़ते हैं। ग्रामीणों को लगता है कि पुलिस लाश को बाहर निकालेगी और उसकी पहचान करायेगी। लेकिन ऐसा कुछ नहीं होता बल्कि एक पुलिसकर्मी डंडे की मदद से लाश को धकेलकर आगे बहा देता है ताकि ये उसके थाने की सीमा से बाहर निकल जाए।
बेल्ट में लिखे स्कूल के नाम से हुई शव की पहचान
यह घटना बारह दिन पहले की है लेकिन सोशल मीडिया पर इस वीडियो के वायरल होने के बाद आला अधिकारी सक्रिय हुए और मामले पर जांच बैठा दी गई। बारह दिन तक लाश पानी में बहती रही और कल इसे एक राहगीर ने पनकी इलाके में देखा। बारह दिनों तक छह थानों की सीमा से गुजर ये पनकी पहुंची तब तक ये पूरी तरह सड़ चुकी थी। पनकी पुलिस ने लाश बाहर निकाली। यूनीफार्म और बेल्ट में लिखे स्कूल के नाम से पता चला कि ये मैनपुरी के अक्षरा स्कूल का छात्र है। मैनपुरी पुलिस से सम्पर्क साधा गया तो चला कि सोलह दिसम्बर को दसवीं कक्षा का छात्र अशोक यादव घर से स्कूल जाने के लिये निकला था और उसके बाद लापता हो गया। अशोक के पिता रामवीर यादव ने उसका अपहरण करके हत्या किए जाने के शक में रिपोर्ट दर्ज कराई हुई है। रामवीर ने नहर में मिली लाश की शिनाख्त कर ली है।
16 दिसंबर को हुई थी हत्या, तब से तैर रही थी लाश
अशोक की हत्या 16 दिसम्बर को मैनपुरी जिले के ओक्षा इलाके में कर दी गई थी। हत्या के बाद लाश को हजारा नहर में बहा दिया गया था। इसके बाद लाश मैनपुरी की सीमा से निकलकर कई जिले को पार करती हुई दस दिन बाद कानपुर पहुंची है। यहां ककवन पुलिस उसे डंडे से धकेल कर आगे बढ़ा दिया जिससे ये मामला उनके क्षेत्र के अंदर ना आए और उन्हें कोई कार्रवाई ना करनी पड़े। हालांकि इस बेजा हरकत के लिए एक सिपाही और दो होमगार्डों के खिलाफ कार्र की गयी है लेकिन क्या बीस दिन तक पानी में पड़े रहने के कारण हत्या के तमाम निशान मिट नहीं गए होगें। क्या इतने दिनों में मुजरिमों को बच निकलने मौके नही मिल गये होंगे।
कानपुर पुलिस का संवेदनहीन चेहरा आया सामने
अपराध को समय पर सामने लाने में कानपुर पुलिस की विफलता का एक सप्ताह में ये तीसरा केस है। इसी सप्ताह एक वकील की उसके चेम्बर में और एक संवासिनी की राजकीय महिला शरणालय में हत्या कर दी गयी थी। पुलिस इसे बीमारी से होने वाली स्वभाविक मौत मानती रही जबकि दोनो मामलों में पोस्टमार्टम में मौत का कारण मर्डर निकला। अब इस तीसरे मामले मे तो पुलिस का और भी अधिक संवेदनहीन चेहरा सामने आया है।