पिता के साथ एक ही क्लास में पढ़ते थे अटल जी, सहपाठी उड़ाते थे मजाक
Recommended Video
कानपुर। अटल बिहारी वाजपेयी का कानपुर शहर से एक मजबूत रिश्ता रहा है। राजनीति में उनके शिखर तक पहुंचने में कानपुर का एक महत्वपूर्ण योगदान रहा है। कानपुर से उन्होंने एमए की पढ़ाई की है। उन्होंने डीएवी कॉलेज से 1945-47 बैच में एमए किया। राजनीति विज्ञान से एमए करने के दौरान उनका एक किस्सा पूरे कॉलेज में मशहूर था।
दरअसल अटल बिहारी बाजपेई के साथ उनके पिता भी उसी कॉलेज में उसी विषय से और उसी बैच में एमए कर रहे थे। जैसे-जैसे उनके साथ पढ़ने वाले छात्र यह बात जानते जाते कि बाप बेटे की एक जोड़ी यहां साथ पढ़ रही है। वैसे-वैसे यह हंसी और ठिठोली का विषय बनता गया।
दूसरे सेक्शन के छात्र कई बार इस जोड़ी को देखने आते। यह छात्रों के लिए कौतुक का विषय था कि कैसे बाप और बेटे एक ही क्लास में पढ़ सकते हैं। कई बार प्रोफेसर भी इस बारे में हंसी मजाक कर लेते। लेकिन जब ये बातें ज्यादा होने लगीं तो दोनों ने अपने सेक्शन बदल लिए।
पर
नहीं
कर
पाए
एलएलबी
1945-47
बैच
में
अटल
जी
ने
डीएवी
कॉलेज
से
एमए
किया।
इसके
बाद
1948
में
उन्होंने
एलएलबी
में
प्रवेश
लिया।
लेकिन
एक
साल
की
पढ़ाई
के
बाद
ही
1949
में
वे
संघ
का
काम
करने
के
लिए
पढ़ाई
छोड़कर
लखनऊ
चले
गए
और
उनकी
यह
पढ़ाई
वहीं
पर
छूट
गई।
इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी पूरी तरह से राजनीति को समर्पित हो गए। संघ के दिग्गज नेताओं के संरक्षण में उन्होंने लोगों से मिलने-जुलने और भाषण देने की अपनी कला को विकसित किया। संघ के बड़े नेता अटल जी के बोलने की शैली के बहुत कायल थे।
ये भी पढे़ं- जब इंदौर एयपोर्ट पहुंचे सैफ अली खान बोले- आई कार्ड दिखाना जरूरी है क्या?