कैराना उपचुनाव: तबस्सुम हसन ने कहा- कैराना में ही दफन हो जाएगी भाजपा, 2019 में यूपी से भाजपा को मिलेंगी सिर्फ 3 सीट
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कैराना। यूपी की कैराना लोकसभा सीट काफी अहम मानी जा रही है। ये सीट बीजेपी सांसद हुकुम सिंह के निधन से खाली हुई थी। अब यहां जीत के लिए मुकाबला कैराना के दो परिवारों- हुकुम सिंह और अख्तर हसन के बीच है। इसे बेटी और बहु के बीच भी मुकाबला बताया जा रहा है। एक तरफ हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह बीजेपी की टिकट पर चुनावी मैदान में हैं। दूसरी तरफ दिवंगत सांसद मुनव्वर हसन की पत्नी तबस्सुम हसन आरएलडी के चुनाव चिह्न पर सपा-बसपा-कांग्रेस-आरएलडी गठजोड़ की साझा उम्मीदवार हैं। रुझानों की बात करें तो तबस्सुम हसम 65 हजार से अधिक वोटों से आगे चल रही। यदि यही रुझान बरकरार रहा तो बीजेपी के हाथ से यह सीट फिसल सकती है।
इसी बीच मीडिया से बात करते हुए तबस्सुम हसन ने कहा कि 'ये सच की जीत है, मैंने वोटिंग के वक्त जो कहा था मैं अभी भी उस पर कायम हूं। हमारे खिलाफ साजिश की गई इसलिए हम भविष्य में कोई भी चुनाव ईवीएम मशीन से करवाने के पक्ष में नहीं हैं। 2019 के लिए संयुक्त विपक्ष का रास्ता साफ हो चुका है। उन्होंने आगे कहा कि कैराना में ही दफन हो जाएगी भाजपा, 2019 में यूपी से भाजपा को मिलेंगी सिर्फ 3 सीट।
राजनीति की मैदान की मास्टर हैं तबस्सुम हसन
तबस्सुम हसन को राजनीति का लंबा अनुभव है। राजनीति के मैदान में उन्हें मास्टर कहा जाता है। कहते हैं वह आंकड़ों के खेल की माहिर हैं। साल 2009 में कैराना सीट से समाजवादी पार्टी की सांसद रह चुकी हैं। उनके पति मुनव्वर हसन 1996 में यहां से सांसद थे और बाद में 2004 में वो बसपा के टिकट पर मुजफ्फरनगर के सांसद बने। तबस्सुम के ससुर अख्तर हसन 1984 में कैराना से कांग्रेस के सांसद थे। तबस्सुम के बेटे नाहिद हसन कैराना विधानसभा से समाजवादी पार्टी के विधायक हैं, यानी तबस्सुम के परिवार का कैराना लोकसभा ही नहीं बल्कि मुजफ्फरनगर लोकसभा में भी काफी दखल है।
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उल्लेखनीय है कि कैराना लोकसभा सीट में शामली जिले की 3 और सहारनपुर जिले की 2 विधानसभाएं शामिल हैं. कैराना कस्बा शामली जिले में पड़ता है। 2011 में मायावती ने शामली को जिला घोषित करते हुए इसका नाम प्रबुद्ध नगर घोषित किया था। उसके बाद अखिलेश यादव ने 2012 में इसका नाम फिर से शामली कर दिया। उससे पहले कैराना, मुजफ्फरनगर की तहसील हुआ करता था।