अच्छी पहल: विवादों का निपटारा कोर्ट के बाहर ही कराएंगे जज
देश में करीब 3 करोड़ मुकदमें कोर्ट में चल रहे हैं। इन मुकदमों को सुनने के लिए देश में पर्याप्त जज नहीं हैं। जजों के मुताबिक इन में बहुंत से मुकदमें केवल 'अहम' के कारण हैं।
बुलंदशहर। बुलंदशहर में जजों ने विवादों के वैकल्पिक समाधान और मध्यस्थता मार्ग पर एक साकारात्मक कदम उठाया है। एक पुस्तक विमोचन के बाद जिला जज ने बताया कि इस पुस्तक में विवादों के वैकल्पिक समाधान और मध्यस्थता मार्ग के बारे में लोगों को समझाकर कोर्ट में आने वाले केसों को समय रहते खत्म कराने पर जोर दिया जाएगा। साथ ही कहा कि पुस्तक को सरल भाषा में लिखा गया है, जिससे लोगों को समझने में आसानी रहे, जिससे लोगों में जागरुकता आ सकें।
जानें पूरा मामला
देश में करीब 3 करोड़ मुकदमें कोर्ट में चल रहे हैं। इन मुकदमों को सुनने के लिए देश में पर्याप्त जज नहीं हैं। जजों के मुताबिक इन में बहुंत से मुकदमें केवल 'अहम' के कारण हैं। ऐसे विवादों को गांव-देहात में बैठकर वैकल्पिक समाधान के माध्यम से लोगों को समझा-बुझाकर खत्म कराए जा सकते हैं। लोगों को जब तक सरल भाषा में नहीं समझाएंगे वो इसकी गहराई नहीं समझ सकेंगे।
लोगों की बातों को सुना
गांव में जाकर ऐसे लोगों के केसों को सुना जाएगा जो काफी समय से चल रहे हैं और वहीं पर दोनों पक्षों को समझा-बुझाकर उनका निस्तारण भी करा दिया जाएगा। जिला जज ओम प्रकाश अग्रवाल ने बताया कि अपराधिक प्रकरण न्यायालय में लंबित हैं और जिन धाराओं के अंतर्गत है, ऐसे मामले को सुलह समझौते के आधार पर दोनों पक्ष तैयार हो जाते हैं, उनका समझौता कर दिया जाता है। बताया कि दो से तीन महीन में लोक अदालत लगाकर लोगों के मुकदमों को खत्म कराया जाता है।
मध्यस्थता केंद्रों की अहमियत
जजों ने कहा कि अगर दो लोग तैयार हैं तो उनके लिए एक मध्यस्ता केन्द्र (एडीआर सेंटर) बनाया हुआ है। जिसमें लोगों की समस्याओं का समाधान कराया जाता है। उन्हें बताया जाता है कि आप अगर समझौते के लिए तैयार हो गए तो आप के कितने फायदे होंगे और राजी नहीं होंगे तो क्या नुकसान हो सकते हैं।
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