गुलाबी शर्ट और जीन्स पहनकर कोर्ट में जाने से गुस्साए जज, लगाया 5 हजार का जुर्माना
इलाहाबाद। इलाहाबाद हाईकोर्ट में सोमवार को एक याचिका की सुनवाई के दौरान सिंचाई विभाग के एक्सईएन उस वक्त मुश्किल में फंस गये जब हाईकोर्ट ने उनके पहनावे पर नाराजगी जाहिर की। हाईकोर्ट ने फैंसी ड्रेस पहनकर कोर्ट रूम में आने को सही नहीं माना और विभागीय कार्रवाई करने का निर्देश देते हुये पांच हजार रुपये का जुर्माना ठोक दिया।
दरअसल सिंचाई विभाग के कर्मचारी के सेवानिवृत्त होने के बाद परिलाभों का भुगतान ना किये जाने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल हुई थी। जिस पर सोमवार को सुनवाई के दौरान जवाब देने के लिये सिंचाई विभाग वाराणसी के बंधी प्रखंड में तैनात एक्सईएन विजय कुमार हाईकोर्ट आये थे। लेकिन, वह कोर्ट रूम में अपने आधिकारिक ड्रेस कोड के बजाय हाफ पिंक शर्ट व जींस पहनकर पहुंचे। जिसे हाईकोर्ट ने अनुचित माना और पांच हजार का जुर्माना लगाते हुए विभागीय कार्रवाई का निर्देश दिया है। एक्सईएन के विरुद्ध विभाग की ओर से प्रतिकूल प्रविष्टि भी जारी की जायेगी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट का इस मामले में नाराजगी जताना और तत्काल कार्यवाही करना खासा चर्चा में रहा। हालांकि इससे पहले भी कई ऐसे मामले सामने आ चुके हैं जिसमें ड्रेस कोड के कारण अधिकारियों पर हाईकोर्ट ने हर्जाना व विभागी कार्यवाही का निर्देश दिया था । इस मामले में हाईकोर्ट ने उच्च स्तर के अधिकारी होने के कारण ड्रेस कोड में ना आने पर इसे गंभीरता से लिया और कार्यवाही की है। हाईकोर्ट ने हर्जाना लगाते हुये एक्सईएन से कहा कि एक प्रथम श्रेणी के अधिकारी को यह तो पता ही होता है कि हाईकोर्ट में हाजिर होते समय उनको क्या ड्रेस पहननी है और क्यों पहननी है।
याचिका की सुनवाई के दौरान जब एक्सईएन जवाब देने के लिए कोर्ट रूम में पहुंचे तो हाईकोर्ट ने सबसे पहले उनसे ड्रेस कोड में ना आने पर सवाल पूछा और नाराजगी व्यक्त करते हुए उनसे जानना चाहा कि क्या पिंक हाफ शर्ट और जींस उनके विभाग का ड्रेस कोड है ? और क्या सरकार द्वारा यह मान्य ड्रेस कोड है? हाईकोर्ट ने ड्रेस कोड पर सवाल किया कि क्या जींस पहनकर प्रथम श्रेणी का अधिकारी कार्यालय जा सकता है ?
हालांकि कोर्ट ने खुद ही यह साफ लहजे में स्पष्ट किया कि अधिकारी द्वारा पहना गया ड्रेस, ड्रेस कोड नहीं है और कोर्ट रूम में इस तरह से आना ठीक नहीं है। हाईकोर्ट ने हर्जाने को लेकर भी सख्त निर्देश दिया है और अगर अधिकारी महानिबंधक इसकी वसूली कर विधि सेवा समिति में जमा करायेंगे। इसके लिये वह भू-राजस्व की तरह भी वसूली को स्वतंत्र किये गये है। वाराणसी की निर्मला देवी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल थी।