आजमगढ़ में मोटर मैकेनिक से अंडरवर्ल्ड डॉन तक, अबू सलेम का सफरनामा
वाराणसी। 1993 में देश को दहला देने वाले मुंबई बम ब्लास्ट मामले में टाडा कोर्ट ने आज डॉन अबू सलेम समेत छह आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई। इस फैसले के बाद से अबू सलेम फिर से सुर्खियों में है। आइए जानते हैं कि आजमगढ़ के छोटे से कस्बे सरायमीर में मोटर मैकेनिक का कार्य करने वाला अबू सलेम इब्राहिम दाऊद की सल्तनत का बादशाह कैसे बना...
दिल्ली में ड्राइवर था सलेम
आजमगढ़ जिले के सरायमीर थाना क्षेत्र के स्थानीय कस्बा के पठान टोला मुहल्ला निवासी अबू सलेम के पिता अब्दुल कयूम पेशे से अधिवक्ता थे। उनका समाज में काफी दबदबा था। सलेम तीन भाईयों में दूसरे नंबर पर है। उसकी दो बहने भी है। सलेम की एक बहन की शादी जगदीशपुर और दूसरी की मुबारकपुर में हुई है। सलेम की उम्र को लेकर मतभेद है। सीबीआई के अनुसार सलेम का जन्म 1969 में हुआ है जबकि मुंबई पुलिस के रिकार्ड में जन्म तिथि 1962 दर्ज है। सलेम काफी छोटा था तभी उसके पिता की सड़क हादसे में मौत हो गयी थी। इसके बाद परिवार चलाने के लिए वह सरायमीर कस्बे में एक मोटर मैकेनिक की दुकान पर नौकरी करने लगा। कुछ दिन बाद वह टैक्सी चलाने के लिए दिल्ली चला गया।
1985 में पहली बार मुंबई गया सलेम
सलेम साल 1985 में पहली बार मुंबई पहुंचा। अजीविका चलाने के लिए उसने यहां 1986 में बांद्रा और अंधेरी के बीच एक रोटी डिलीवरी लड़के के रूप में काम किया। बाद में कुछ दिन अंधेरी के एक कपड़ा दुकान में भी काम किया। 1988 में पहली बार सलेम और उसके सहयोगी के खिलाफ अंधेरी पुलिस स्टेशन में पहला मामला दर्ज हुआ। जिसके बाद वर्ष 1988 में अबू सलेम की मुलाकात माफिया डान दाउद इब्राहिम के भाई अनीस इब्राहिम से हुई। पहले अनीस ने उससे चालक के रूप में काम लिया फिर कुछ समय बाद दाऊद से मिलवाया। वर्ष 1989 में सलेम दाउद के गिरोह में भर्ती हो गया। दाउद ने सलेम को फिल्म इंडस्ट्री में पैसा लगाने और वापस लाने की जिम्मेदारी सौंपी।
सलेम के अपराधों की सूची
कंपनी में सलेम को उपनाम अबू मिला। उसे मुंबई में डी कंपनी का बादशाह बना दिया गया। फिल्म इंडस्ट्री के साथ ही पूरी मुंबई में सलेम मशहूर हो गया। वर्ष 1992 कथित तौर पर फिल्म अभिनेता संजय दत्त को हथियार की आपूर्ति के मामले में भी उसका नाम आया। 12 मार्च 1993 में 12 स्थानों पर मुंबई में हुए सीरियल बम विस्फोट में 250 से अधिक लोग मारे गए थे और करीब 713 लोग घायल हुए। इस विस्फोट में करीब 27 करोड़ रुपये की संपत्ति को नुकसान पहुंचा था। इस घटना के बाद दाऊद अपने भाइयों के साथ दुबई भाग गया लेकिन सलेम मुंबई में अपना काम करता रहा। अबू सलेम ने वर्ष 1995 में बिल्डर प्रदीप जैन की हत्या की। कहते है कि तेरहवीं के दिन उसने फोन कर प्रदीप जैन की पत्नी से पूछा था कि विधवा होने का सुख तुम्हे मिल रहा है। इसके पूर्व 1993 में बिल्डर ओम प्रकाश कुकरेजा की हत्या में भी सलेम का नाम चर्चा में आया था। वर्ष 1997 संगीत सम्राट गुलशन कुमार की हत्या में भी कथित तौर पर सलेम का नाम चर्चा में आया था।
तीन शादियां कर चुका है सलेम
सलेम ने समीरा जोगेश्वरी से पहली शादी की थी जिससे एक लड़की थी। समीरा अब अमेरिका में रहती है उसके दो बेटे भी है। मोनिका बेदी से सलेम का इश्क किसी से छिपा नहीं है। इसके अलावा 18 सितंबर 2002 को सलेम और उसकी दूसरी पत्नी मोनिका बेदी जाली दस्तावेज ले जाने के लिए पुर्तगाल में गिरफ्तार किए गये। वर्ष 2005 में प्रत्यर्पण संधि के तहत सलेम को भारत लाया गया। वह तभी से जेल में बंद है। यही नही डान अबू सलेम लखनऊ पेशी पर आया था। इस दौरान उसने 2 फरवरी 2014 को ट्रेन में ही निकाह कर लिया। डॉन की यह शादी खासी चर्चा में रही।
दाऊद से अलग हुआ सलेम
1998 के बाद सलेम दाऊद से अलग हो गया। 2000 में उसने मिल्टन प्लास्टिक मालिक से तीन करोड़ फिरौती मांगी। 2001 में सलेम के खास अजीत ने अभिनेत्री मनीषा कोइराला के निजी सचिव को गोली मारी थी। 2001 में सलेम गिरोह के चार सदस्य इनकाउंटर में मारे गये। पुर्तगाल से प्रत्यर्पण के बाद सलेम दो बार अपने पैतृक गांव सरायमीर आया। पहली बार वह अक्टूबर 2007 में अपनी मां का निधन होने पर अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए आया था। इसके बाद उनके चालीसवें में शामिल हुआ।